For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

२२१  २१२१ १२२१ २१२

 

जब छीनने छुडाने के साधन नए मिले

हर मोड़ पर कई-कई सज्जन नए मिले

 

कुछ दूर तक गई भी न थी राह मुड़ गई

जिस राह पर फूलों भरे गुलशन नए मिले

 

काँटों से खेलता रहा कैसा जुनून था

उफ़! दोस्तों की शक्ल में दुश्मन नए मिले

 

जितने भी काटता गया जीवन के फंद वो  

उतने ही जिंदगी उसे बंधन नए मिले

 

अपनों से दूर कर न दे उनका मिज़ाज भी  

गलियों से अब जो गाँव की आँगन नए मिले

 

 

मौलिक/अप्रकाशित.

Views: 857

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on July 21, 2016 at 1:31pm

उत्साहवर्धन के लिए दिल से आभार आदरणीय राम शर्मा जी. सादर.

Comment by Ashok Kumar Raktale on July 21, 2016 at 12:29pm

उत्साहवर्धन के लिए दिल से आभार आदरणीय डॉ. विजय शंकर साहब. सादर.

Comment by Ram Sharma on July 21, 2016 at 12:05pm
बहुत ही बढ़िया... बधाई कबूल फरमाएं
Comment by Dr. Vijai Shanker on July 21, 2016 at 10:16am
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल , बधाई , आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी , सादर।
Comment by Ashok Kumar Raktale on July 20, 2016 at 10:28pm

सादर आभार आदरणीय सतविन्द्र कुमार जी.

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on July 20, 2016 at 4:58pm
बहुत उम्दा ग़ज़ल आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी।सादर नमन
Comment by Ashok Kumar Raktale on July 20, 2016 at 1:35pm

आदरणीय डॉक्टर साहब सादर आपसे गजल पर तारीफ़ पाना हौसला दे रहा है. बहुत-बहुत आभार आदरणीय डॉ. सुर्याबाली 'सूरज' साहब. सादर.

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on July 20, 2016 at 10:57am

अशोक भाई बेहतरीन कलाम से नवाजा है मंच को आपने 

खास कर ये शेर तो ग़ज़ब का हुआ है 

काँटों से खेलता रहा कैसा जुनून था

उफ़! दोस्तों की शक्ल में दुश्मन नए मिले

दाद कुबूल करें 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 19, 2016 at 11:14pm

आदरणीय अशोक भाईजी, मुझ नाचीज़ को अपनी औकात में ही रहने दें. 

हम आपस में मिलजुल कर तिल-तिल लगातार अध्ययन करते जा रहे हैं ! यही अपना संबल है. बाकी की क्या बातें करनी ? 

आपको भी आदरणीय, गुरु पूर्णिमा की सादर शुभकामनाएँ

Comment by Ashok Kumar Raktale on July 19, 2016 at 11:06pm

सर्वप्रथम गुरु पूर्णिमा पर गुरुवर को सादर प्रणाम. प्रस्तुत गजल को सराहने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी.सतत प्रयास से अब आपकी , आदरणीय समर कबीर साहब की प्रतिक्रियाओं से कुछ आस बँधी है. सादर.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
7 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
8 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service