For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

" उसको कहते किसान है यारों "

" उसको कहते किसान है यारों "

बहर - 2122 1212 22/112


सबसे जो मूल्यवान है यारों ....
उसको कहते किसान है यारों ....

मौला महफ़ूज आप सब को रखें
आप .....भारत कि शान है यारों ..

फेक दी जिसने बेटी कचरे में
माँ वो कितनी महान है यारों ...

जिंदगी से कहीं ज़ियादा , क्यों
प्यारा लगता श्मशान है यारों ...

झूठ देखों यहाँ पे चीखे और
सच... बना बेजुबान है यारों ...

तीर बस प्यार का चले जिस से
आप...... ऐसी कमान है यारों ....

जिंदगी इक हुबाब है जब , किस
बात ......का फ़िर गुमान है यारों ..

पंकजोम " प्रेम "
( मौलिक और अप्रकाशित "

Views: 415

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by पंकजोम " प्रेम " on October 22, 2017 at 7:01pm
जी आदरणीय mahendra जी .... मैं ध्यान रखूंगा .... शुक्रगुज़ार हूँ , आपके आशिर्वाद का ....
Comment by Mahendra Kumar on October 6, 2017 at 9:51pm

आ. पंकजोम जी, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. आ. समर सर की बातों से मैं भी सहमत हूँ. उनका संज्ञान लीजिए. सादर.

Comment by Samar kabeer on October 1, 2017 at 9:06pm
जनाब पंक्जोम'प्रेम'साहिब आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,लेकिन ग़ज़ल अभी कुछ और समय चाहती है,बहरहाल इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

'उसको कहते किसान है यारों'
इस मिसरे में रदीफ़ 'है यारों' की जगह 'हैं यारों'हो रही है,दूसरी बात जब दोस्तों से ख़िताब किया जाता है तो 'यारों' नहीं "यारो"कहते हैं ।

'मौला महफ़ूज़ आप सबको रखें
आप भारत कि शान है यारों'
इस शैर के ऊला मिसरे में 'रखें' को 'रखे' होना चाहिए,और सानी मिसरे में 'कि' को 'की'होना चाहिए,और यहाँ भी रदीफ़ 'है'कि जगह 'हैं'हो रही है ।
'प्यार लगता श्मशान है यारों'
ये मिसरा लय में नहीं है ।
पांचवें शैर के ऊला में 'देखों'-'देखो' ।
'आप ऐसी कमान है यारों'
इस मिसरे में भी 'है''हैं' हो रहा है ।
आख़री शैर शिल्प का शिकार है ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )

चली आयी है मिलने फिर किधर से१२२२   १२२२    १२२जो बच्चे दूर हैं माँ –बाप – घर सेवो पत्ते गिर चुके…See More
40 minutes ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय निलेश सर ग़ज़ल पर नज़र ए करम का देखिये आदरणीय तीसरे शे'र में सुधार…"
5 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आदरणीय भंडारी जी बहुत बहुत शुक्रिया ग़ज़ल पर ज़र्रा नवाज़ी का सादर"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"  आदरणीय सुशील सरनाजी, कई तरह के भावों को शाब्दिक करती हुई दोहावली प्रस्तुत हुई…"
8 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . . .

कुंडलिया. . .चमकी चाँदी  केश  में, कहे उमर  का खेल ।स्याह केश  लौटें  नहीं, खूब   लगाओ  तेल ।खूब …See More
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
10 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय निलेश सर ग़ज़ल पर इस्लाह करने के लिए सहृदय धन्यवाद और बेहतर हो गये अशआर…"
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. आज़ी तमाम भाई "
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आ. आज़ी भाई मतले के सानी को लयभंग नहीं कहूँगा लेकिन थोडा अटकाव है . चार पहर कट जाएँ अगर जो…"
10 hours ago
Aazi Tamaam commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"बेहद ख़ूबसुरत ग़ज़ल हुई है आदरणीय निलेश सर मतला बेहद पसंद आया बधाई स्वीकारें"
11 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आ. आज़ी तमाम भाई,अच्छी ग़ज़ल हुई है .. कुछ शेर और बेहतर हो सकते हैं.जैसे  इल्म का अब हाल ये है…"
11 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आ. सुरेन्द्र भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है बोझ भारी में वाक्य रचना बेढ़ब है ..ऐसे प्रयोग से…"
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service