For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -दीपावली (दिल में चरागे इश्क़ तो पहले जलाइए )

मफऊल -फ़ाइलात -मफाईल -फाइलुन 

 

दिल में चरागे इश्क़ तो पहले जलाइए |

नफ़रत मिटा के दीपावली फिर मनाइए |

 

तहवार भाई चारे का अहले वतन है यह

लग कर गले से रस्मे महब्बत निभाइए|

 

होने लगीं हवाएँ भी ज़हरीली दोस्तों

आतिश फशाँ पटाखे न घर में चलाइए |

 

करवा के बंद हर तरफ होता हुआ जुआ

रुसवाइयों से दीपावली को बचाइए  |

 

फरहत ही जिस ग़रीब की मंहगाई खा गई

कैसे मनाए दीपावली वो बताइए |

 

दीपावली की दुगनी खुशी पाना है अगर

रूठे हुए पड़ोसी को जा कर मनाइए |

 

बच्चों के साथ कोई हो जाए न हादसा

घर अपने सिर्फ़ फुलझड़ी तस्दीक़ लाइए |

 

आतिश फशाँ ---आग उगलने वाले

तहवार--पर्व ,  फरहत ----खुशी 

 

(मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 584

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on October 20, 2017 at 7:44pm

मुहतरम जनाब आरिफ़ साहिब , ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on October 20, 2017 at 7:43pm

जनाब आशुतोष साहिब , ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया
आपका अंदाज़ा सही है के में ए और पा में अ को गिराया गया है , अब आप इसी तरह गिराकर
पढ़ें ------सादर

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 20, 2017 at 6:13pm
आदरणीय तस्दीक़ जी आपकी बेहतरीन ग़ज़ल लगातार पढ़ने को मिल रही है आदरणीय मैं सिर्फ जो लगा लिख रहा हूँ
नफ़रत मिटा के दीपावली फिर मनाइए |थोडा प्रवाह बाधित लग रहा है दीपावली में पा की मात्र क्या गिर सकती है मुझे जानकारी नहीं है नफरत मिटा दिलों से दिवाली मनाइये एक सुझाव के बतौर ।।आपके मार्गदर्शन से मैं मुझे समझने में मदद मिलेगी सादर
Comment by Mohammed Arif on October 20, 2017 at 6:08pm
आदरणीय तस्दीक़ अहमद जी आदाब,दीपोत्सव पर बेहतरीन ग़ज़ल की सौग़ात । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें ।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on October 20, 2017 at 12:33pm
जनाब सलीम साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया
Comment by SALIM RAZA REWA on October 20, 2017 at 10:27am
जनाब तस्दीक साहब,
ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए मुबारक़बाद.. ख़ास तौर पर मतले ने कमाल कर दिया... दिल में चरागे इश्क़ तो पहले जलाइए |
नफ़रत मिटा के दीपावली फिर मनाइए... वाह मक़ता भी बकमाल है.. पूरी ग़ज़ल के लिए फिर से मुबारक़बाद.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आसमाँ को तू देखता क्या है अपने हाथों में देख क्या क्या है /1 देख कर पत्थरों को हाथों मेंझूठ बोले…"
9 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बेवफ़ाई ये मसअला क्या है रोज़ होता यही नया क्या है हादसे होते ज़िन्दगी गुज़री आदमी…"
27 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"धरा पर का फ़ासला? वाक्य स्पष्ट नहीं हुआ "
39 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Richa Yadav जी आदाब। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। हर तरफ शोर है मुक़दमे…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"एक शेर छूट गया इसे भी देखिएगा- मिट गयी जब ये दूरियाँ दिल कीतब धरा पर का फासला क्या है।९।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल से मंच का शुभारम्भ करने के लिए बहुत बहुत हार्दिक…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी आदाब।  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बात करते नहीं हुआ क्या है हमसे बोलो हुई ख़ता क्या है 1 मूसलाधार आज बारिश है बादलों से…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"खुद को चाहा तो जग बुरा क्या है ये बुरा है  तो  फिर  भला क्या है।१। * इस सियासत को…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
5 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ग़ज़ल~2122 1212 22/112 इस तकल्लुफ़ में अब रखा क्या है हाल-ए-दिल कह दे सोचता क्या है ये झिझक कैसी ये…"
9 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"स्वागतम"
9 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service