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मेरी हर निशानी मिटाने से पहले ।
वो रोया बहुत भूल जाने से पहले ।।1
गयी डूब कश्ती यहाँ चाहतों की ।
समंदर में साहिल को पाने से पहले ।। 2
जफ़ाओं के मंजर से गुज़रा है कोई ।
मेरा ख़त गली में जलाने से पहले ।।3
वो दिल खेलने के लिए मांगते हैं ।
मुहब्बत की रस्मे निभाने से पहले ।। 4
ये तन्हाइयां हो न जाएँ सितमगर ।
चले आइये याद आने से पहले ।।6
मेरे हाल पर छोड़ दे मुझको जालिम ।
मुझे और सपने दिखाने से पहले ।।7
जमाने की तासीर समझा करो तुम ।
किसी दिल पे जादू चलाने से पहले ।।8
वो देकर गया है नई इक चुनौती ।
मेरा हौसला आजमाने से पहले ।।9
बुलन्दी पे लाने की आदत है उनकी ।
नज़र से किसी को गिराने से पहले ।।10
यकीं कैसे कर लूं मैं तुझ पर ऐ जालिम ।
सराफत का मंजर दिखाने से पहले ।।11
तस्सवुर जवाँ हो गए सब हमारे ।
तुम्हारी ग़ज़ल गुनगुनाने से पचले ।112
है भौरों को पूरी खबर अब कली की ।
हवाओं में खुश्बू समाने से पहले ।।13
नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
Comment
आ0 राज नावादवी साहब हार्दिक आभार ।
आ0 राज नावादवी साहब हार्दिक आभार ।
आ0 कबीर सर सादर नमन के साथ आभार ।
ग़ज़ल पर आपकी महत्वपूर्ण इस्लाह से सहमत हूँ । कुछ सोच कर शेर को ठीक करूँगा ।
सराफत में टाइपो त्रुटि है । शराफत शब्द ही सहीह है ।
पुनः सादर नमन ।
आद0 नवीन मणि त्रिपाठी जी सादर अभिवादन। बढिया ग़ज़ल कही आपने। शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ। सादर
आ0 तेजवीर सिंहः साहब ग़ज़ल तक आने के लिए तहे दिल से बहुत शुक्रिया ।
आ0 वी ऍम वृष्टि जी ग़ज़ल तक आने के लिए हार्दिक आभार ।
आ0 नीलम उपाध्याय जी बहुत बहुत हार्दिक आभार ।
आ0 बसन्त कुमार शर्मा साहब तहेदिल से शुक्रिया।
आ0 लक्ष्मण धामी मुसाफ़िर साहब हार्दिक आभार ।
आ0 ब्रजेश कुमार ब्रज जी हार्दिक आभार ।
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