For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"एक था और एक थी"

This poem is not written by me......This is my one of favourite poem

एक था’ और एक थी’

‘था’ ने थी’ से मोहब्बत की

अफसाना हो गया

दुश्मन सारा जमाना हो गया।

गली गली

उन्ही दो नामो के चर्चे

दिवारो पर

उन्ही दो नामो के पर्चे

‘थी’ बेचारी क्या करे

जिये की मरे

कह ना सकी

सह ना सकी

मर गयी,

एक बहुत लम्बी याञा

एक हिचकी मे

तय कर गयी

‘था’ को ना जाने क्या हो गया

उसे लगा जैसे सब खो गया

बेसुध सा रहने लगा

और

जमाना उसे पागल कहने लगा

कभी कभी वो

एकांत मे चला जाता,

कोमल कोमल उंगलियों से

धरती के कागज पर

‘थी’ का नाम लिखता,

उसी के चिञ बनाता

और

जब कभी होंठो से

उसके गीत गुनगुनाता,

तो

लोगो से पत्थरो कि बौछार पाता

और

एक दिन आया,

जब सहानभुति के अभाव ने

उसको भी खाया

कहानी समाप्त हुई।।।।।।।।।।।।

संयोग से इस कहानी को

एक फिल्म निर्माता ने

फिल्मा दिया

अजी ! गजब ढा दिया

लोग बेतहाशा

फिल्म देखने जाने लगे,

टिकट पाने के लिए

लम्बी- लाईन लगाने लगे

और

गली गली

उसी फिल्म के गीत गाने लगे।

कलाकारों ने भी भुमिका

कुछ ऐसी निभाई

गिलसरिन आँखो मे लगाकर

आँसुओ की वो धारा बहाई

कि जनता को फिल्म

जरुरत से ज्यादा पसंद आई

परिणाम हुआ ऐसा

फिल्म को नाम मिला

निर्माता को पैसा

सोचता हूँ

कैसा जमाना गया है

नाटक को पुरस्कार

हकीकत को पत्थर कि बौछार

दुनिया वालो

तुम्हे सौ-सौ नमस्कार।।।

Views: 432

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on September 6, 2010 at 6:51pm
सब फायदे की दुनिया है | अपना फायदा जहा हो वही पर सब लग जाते है| कोई किसी का दर्द नहीं समझता है|

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 31, 2010 at 9:16pm
Raju bhai , rauwa baut hi badhiya kaam kaini ha eha post kar key , wokai achha rachna ba.
Comment by Admin on March 31, 2010 at 2:09pm
बहुत बढ़िया यह कविता है, जिन्होने भी इसे लिखा है वो बधाई के पात्र तो है ही, राजू जी आपको भी बहुत बहुत बधाई,यहाँ पोस्ट करने के लिये , आज का समय ही ऐसा आ गया है की duplicate इतना चमकदार हो गया है की original पर शक होने लगता है.
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on March 31, 2010 at 2:02pm
waah raju bhai waah .............
bahut khoob,
lajawab,
mindblowing,
shaandaar,
jaandaar

likhat rahi bhai ehi tarah....bahut aage jaib raua....maane ke pari raur talent....kab ka chij ke kahan likhe ke ba ee talent raua andar bahut badhiay baa

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
16 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
22 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Oct 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service