For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय काव्य-रसिको,

सादर अभिवादन !

 

’चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का यह आयोजन लगातार क्रम में इस बार एक सौ बारहवाँ आयोजन है.   

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ  

22 अगस्त 2020 दिन शनिवार से 23 अगस्त 2020 दिन रविवार तक
 
इस बार के छंद हैं - 

सार छंद और हरिगीतिका छंद 

हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं. छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है, दिये गये चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं. 

चित्र अंतर्जाल के सौजन्य से 

हरिगीतिका छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक ...

सार छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

********************************************************

आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 22 अगस्त 2020 दिन शनिवार से 23 अगस्त 2020 दिन रविवार तक, यानी दो दिनों के लिए, रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें। 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  8. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com  परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 3415

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आपका बहुत धन्यवाद अजय गुप्ता जी, 

 रचना में सुधार करने के लिए कृपया मार्गदर्शन प्रदान करेंगे तो आपका आभारी रहुँगा.

आदरणीय मुकुल कुमार जी सादर, भाव सुंदर लिए हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. किन्तु अंतर्यति पर ध्यान नहीं दिया गया है. वर्तनी को अपने मनमर्जी अनुसार तोड़-मरोड़ किया है जो ठीक नहीं है.  द्वितीय छंद की अंतिम पंक्ति में मात्राक्रम में भी गड़बड़ी नजर आ रही है. देख लें. सादर 

आदरणीय मुकुल कुमार जी

मनमोहक भावों के साथ किये छंद प्रयास पर हार्दिक बधाई। 

आदरणीय मुकुल जी, छंदो के विन्यास में शब्दों को सजाने का अभ्यास करना उत्तम प्रयास-प्रक्रिया है. विश्वास है, आप इस प्रक्रिया के बाद सार्थक वाक्य-रचना करनेु लगेंगे. 

आपकी तार्किक रचनाओं की प्रतीक्षा रहेगी. 

अग्रिम शुभकामनाएँ.

हरिगीतिका                                                                          

.....................

पंकज, सरोज, नलिन, जलज, राजीव नाम पुकारिये
अरविन्द, शतदल, पद्म या फिर कंज मन में धारिये
नीरज कहें, या और कुछ दें नाम पर मैं पुष्प हूँ
हाँ मैं कमल हूँ, जी कमल हूँ, मैं कमल का पुष्प हूँ

मैं देवप्रिय आसन सदा मैं हाथ में उनके रहूँ
हरि पद्मनाभ कहा रहे अभिमान मैं क्यों ना करूँ
नारायणी का वास जिसमें जानिये वो पुष्प हूँ
हाँ मैं कमल हूँ, जी कमल हूँ, मैं कमल का पुष्प हूँ

कीचड़ भरा तालाब हो, अभिराम कर देता उसे
रहता अकंटक हूँ भला भाता नहीं हूँ मैं किसे
जो मर्म जीने की कला का कह रहा वो पुष्प हूँ
हाँ मैं कमल हूँ, जी कमल हूँ, मैं कमल का पुष्प हूँ

सूरज उगेगा रात बीतेगी रखो विश्वास ये
हर तम हटेगा हम खिलेंगें दृढ़ रहे मन आस ये
इस राष्ट्र के दर्शन व इसकी भावना का पुष्प हूँ
हाँ मैं कमल हूँ, जी कमल हूँ, मैं कमल का पुष्प हूँ

[मौलिक एवं अप्रकाशित ]

आदरणीय अजयजी

चारों छंदो की प्रथम दो पँक्तियों के लिए विशेष हार्दिक बधाई । विधान के अनुसार तीसरी और चौथी पँक्तियों में भी तुकांतता आवश्यक है जो बन नहीं पाई।

सादर

बहुत बहुत आभार अखिलेश जी। आपकी शंका सही है। गीत रचना करने का प्रयास था। जो उल्लेख न कर सका। ध्यान देने व स्पष्ट राय रखने रखने हेतू आभार

आदरणीय अजय गुप्ता जी सादर, उसे/किसे की गलत तुकांतता के अतिरिक्त हरिगीतिका छंद आधारित सुंदर गीत रचा है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. रचना के उपर /हरिगीतिका आधारित गीत/ लिखा जाता तो  आदरणीय अखिलेश जी को संशय न होता.

हाँ मैं कमल हूँ, जी कमल हूँ, मैं कमल का पुष्प हूँ........सुंदर पंक्ति. सादर 

आदरणीय अशोक आपकी प्रोत्साहना से मन प्रफुल्लित है। प्रयास रहेगा कि जो सुझाव आपने दिए हैं उन्हें रचना में डाल सकूं। पुनः आभार

बहुत सुन्दर छंदगीत सृजन हार्दिक बधाई आदरणीय अजय जी

बहुत आभार प्रतिभा जी

वाह ! बहुत खूब !!  

आदरणीय अजय जी,

आपका रचना-कर्म शिल्प सम्बन्धी बाधाओं को पार करने के स्थान पर उन्हें समाहित करता हुआ पद-रचना का कारण बना रहा है.

तुकान्तता के विधान के अनुसार आधार-पंक्ति को एक बार पुनः देख लेना उचित होगा. 

’पुष्प हूँ’ वस्तुतः तुकान्तता में पदान्त के लिए शब्द-समुच्चय है. इस हिसाब से समान्त शब्द या शब्द-समुच्चय क्या हुआ ? बस इसी सुधार को लेकर मैं सचेत करना चाह रहा हूँ. 

बहरहाल, आपकी काव्य-प्रतिभा निखर कर समक्ष आयी है.

शुभातिशुभ

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
16 hours ago
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Friday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Friday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service