For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुंगेरीलाल के वैक्सीन सपने (कहानी) /शेख़ शहज़ाद उस्मानी :

मुंगेरीलाल और कोरोनाकाल... सबके बहुत बुरे हालचाल! लॉकडाउन पर लॉकडाउन... घर में क़ैद सब जॉब डाउन, रोज़गार डाउन! बेचारे मुंगेरीलाल ने अपनी कम्पनी की नौकरी छोड़कर बड़ी मुसीबत कर ली थी सात साल पहले। उनका काम और रुझान दिलचस्प और संतोषजनक था, फ़िर भी सपनों और दिवास्वप्नों में खोये रहने और बड़ी-बड़ी बातें फैंकने के कारण दफ़्तर, घर, बाज़ार और ससुराल सभी जगह लोग उनका मज़ाक उड़ा-उड़ा कर मौज-मस्ती कर लिया करते थे। उन सबकी बातों को मुंगेरीलाल कभी हल्के में, तो कभी बहुत गंभीरता से ले लेते थे।

एक बार कम्पनी के बॉस की ख़ूबसूरत जवाँ सेक्रेटरी ने उनकी हँसी क्या उड़ाई, कि उन के दिल पर गहरी चोट नहीं, चोटें लग गईं। बॉस तक बातें पहुँचीं और फ़िर... फ़िर बॉस से बहस हो ही गई। नौकरी गँवानी पड़ी। कई विषयों में डिग्रीधारी मुंगेरीलाल ने टीचिंग क्षेत्र में भाग्य और अपनी ईमानदार सेवाएं आजमाने का बड़ा फैसला कर लिया।

"तुम से नहीं हो पायेगा टीचरी का काम! क्लास में पढ़ाते हुए कहीं खो गये, तो तमाशा बना देंगे कक्षा के बच्चे!" मुंगेरीलाल की पत्नी सहित संयुक्त परिवार के सभी लोगों की यही राय थी। लेकिन उनका फैसला नहीं बदला गया और पिछले सात सालों से शहर के एक बड़े से स्कूल में बड़ी कामयाबी के साथ छोटी-बड़ी सभी कक्षाओं में भिन्न विषय ही नहीं पढ़ाते रहे, बल्कि चित्रकला और मंचीय कार्यक्रमों में भी उनका विशेष योगदान रहा।

लेकिन कोबिड-19 के विश्वव्यापी संक्रमण और नोवेल कोरोना वाइरस के हमले से एक ज़बरदस्त ब्रैक उनके जीवन में आ गया था। लॉकडाउन में ऑनलाइन कक्षाओं की ज़िम्मेदारी निभाना मुश्किल हो रहा था। हर रोज़ ऑनलाइन पढ़ाते वक़्त कोई न कोई गड़बड़ी हो जाती थी। मुंगेरीलाल हर रोज़ के अनुभव अपनी डायरी में नोट करना नहीं भूलते थे। उनके परिवारजन उनसे, उनकी ऑनलाइन कक्षाओं और उनके डायरी लेखन से परेशान हो रहे थे।

आज उनकी डायरी उनके पिताजी के हाथ लग गई। वे उसे अपने कमरे में ले गये और उसका एक-एक पेज उन्होंने पढ़ डाला :

(01/08/2020 ) -

आज साइंस का नया चैप्टर तैयार नहीं कर पाया था, सो आज कोरोना के बारे में पढ़ा दिया। गूगल मीट में बच्चों ने चैटिंग में लिखा :

"अबे, तुझे मुंगेरीलाल सर का संक्रमण हो गया है। वैक्सीन 2021 में आयेगा। अभी नहीं।"

"सर तो कह रहे थे कि तैयार हो गया। भारत में ही। भारत कोरोना की, उसके ख़ानदान की हरक़तों को वर्षों से जानता है। भारत ही सबसे पहले देश में और अपने दोस्त देशों में वैक्सीन फ्री में बँटवायेगा!"

"तू भी यार! सर की बातों को सही मान लेता है! मालूम है न उनकी सपनों में खो जाने की आदत!"

"कौन नहीं जानता! पिछले दिनों कितनी बार ऑनलाइन क्लास डिस्टर्ब हुई पढ़ाते-पढ़ाते कहीं खो जाने की वज़ह से!"

बच्चे ऐसी बातें करते हैं चैटिंग में! ऐसा कब हुआ, क्यूं हुआ? जबकि मैं तो उन्हें अपडेट्स देने की जागरूक करने की कोशिशें करता हूँ!

(03-08-2020) -

आज अंग्रेज़ी की ऑनलाइन क्लास में आठवीं कक्षा के बच्चों को कोरोना और वैक्सीन की कहानी हिंदी में सुनाई। कुछ बच्चों ने चैटिंग में मेरा नाम 'मुंगेरी कोरोना' रखा, तो कुछ ने 'मुंगेरोवैक्स-2020' ।

इस तरह की बातें डायरी में पढ़ने के बाद पिताजी अपसेट हो गये।

"मैंने पहले ही मुंगेरी को समझाया था कि टीचिंग लाइन के बजाए फ़िल्म लाइन में चला जाये या लेखक-कवि बन जाये!" यह सोचते हुए पिताजी चुपचाप मुंगेरी के कमरे में वह डायरी रखने गये। मुंगेरीलाल देर रात दो बजे भी बिस्तर पर लेटे हुए जाग रहे थे।

"बेटा, आप सोये नहीं! तुम्हारी डायरी पढ़ी मैंने। तुम योग और ध्यान पर ध्यान दो; कोरोना और वैक्सीन पर नहीं!

हो सके तो कुछ पूजा पाठ भी कर लिया करो! मन को शांति मिलेगी!"

मुंगेरीलाल ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। पिताजी हैरान हो गये। मुंगेरी की आँखें भले खुली हुईं थीं, लेकिन वे कोरोना की वैक्सीन के विचारों में खोये हुए थे।

पिताजी ने उनका कंधा हिला कर कहा, "बेटा, कैसा महसूस कर रहे हो? सब ठीक तो है न!"

"सब ठीक-ठाक है। वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल केवल भारत में ही ठीक-ठाक चल रहा है!" बिस्तर पर ही बैठते हुए मुंगेरीलाल ने कहा।

"कौन सा वैक्सीन? तुम्हें क्या लेना-देना वैक्सीन की खोज और ट्रायल वग़ैरह से, ऐं! सो जा! चल, मैं तेरे सिर पर मालिश कर देता हूँ। पिताजी की स्नेहिल मालिश ने लोरियों का काम किया। मुंगेरीलाल की गहरी नींद लग गई। पिताजी ने संतोष की साँस ली और फ़िर वहीं मुंगेरीलाल के बगल में सो गये। उन्हें शक़ था कि वह रात में फ़िर जाग सकता है।

सुबह जब मुंगेरीलाल जागे, तो ऑनलाइन कक्षा की तैयारी करने से पहले कुछ ढूंढ़ रहे थे।

"क्या ढूंढ़ रहे हो?" उनकी पत्नी ने पूछा।

"यहीं तो रखी थी!"

"क्या?"

"वैक्सीन!"

"वैक्सीन या ईअर-फोन?"

"हाँ-हाँ.. वही हमारी ऑनलाइन वैक्सीन है! उसके बिना पढ़ाना मुमकिन नहीं मेरे लिए!"

"ईअर-फ़ोन आपके कानों में लगे हैं न!" पत्नी ने उनका कान पकड़ कर याद दिलाया।

आज दसवीं क्लास की सामाजिक विज्ञान की ऑनलाइन क्लास शेड्यूल थी। बड़ी मेहनत से एक पीपीटी प्रेजेंटेशन तैयार किया था मुंगेरीलाल ने। ऑनलाइन कक्षा में नया चैप्टर समझाने के दरमियाँ उन्होंने स्क्रीन शेअर कर पीपीटी चालू कर दी और फिर कुर्सी में बैठ गये। पता ही नहीं चला कि कब पंद्रह मिनट निकल गये। कहीं खो गये थे मुंगेरीलाल। अचानक ध्यान आया, तो गूगल मीट पर देखा कि ज्वाईन किये हुए पैंतीस बच्चों में से तीस क्लास छोड़ चुके थे। जो बचे थे, उनसे उन्होंने पूछा :

"उम्मीद है यह पीपीटी देखकर चैप्टर का हर कॉनसेप्ट क्लियर हो गया होगा!"

"जी सर! लेकिन यह समझा कि किस देश में कोरोना वैक्सीन का काम किस स्टेज पर पहुंच गया है ... और भारत में क्या चल रहा है!" एक छात्र ने बताया।

मुंगेरीलाल ने चौंक कर फाइल चैक की। दरअसल वह अन्य पीपीटी थी, जो उन्होंने वैक्सीन अपडेट्स और संबंधित फोटोज़ से बनायी थी वाट्सएप पर दोस्तों को भेजने के लिए।

"कोई बात नहीं.. आजकल यही सीन है... यही अनसीन है बेटा! आई मीन, नॉलिज ही वैक्सीन है!" मुंगेरीलाल ने यह कहकर बच्चों को संतुष्ट किया और वैक्सीन पर ही होम असाइनमेंट्स देकर क्लास ओवर घोषित की।

आज बच्चों ने चैटिंग में लिखा था :

"मास्किंग, फ़िज़िकल/सोशल डिस्टेंसिंग और इम्यूनिटी ही वैक्सीन है... !"

"बाक़ी मुंगेरी सर का हसीन पीपीटी सीन है!"

___________

(PPT = कम्प्यूटर पर शैक्षणिक स्लाइड्स युक्त फाइल प्रस्तुति)

(मौलिक, स्वरचित, अप्रसारित व अप्रकाशित)
शेख़ शहज़ाद उस्मानी
शिवपुरी, (मध्यप्रदेश)
[रचना तिथि - 11-11-2020]

Views: 384

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on November 18, 2020 at 6:51pm

जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब, अच्छी कहानी लिखी आपने, बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Chetan Prakash on November 15, 2020 at 11:53am

नमन, मान्यवर ! कहानी, लघु-कथा से इतर गम्भीर साहित्यिक विधा है। लेकिन मोहतरम, नाचीज आपकी कहानी का उद्देश्य ही नहीं समझ पाया।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद * बम बन्दूकें और तमंचे, बिना छिड़े ही वार। आए  लेने  नन्हे-मुन्ने,…"
8 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
" प्रात: वंदन,  आदरणीय  !"
14 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद : रौनक  लौट बाजार आयी, जी   एस   टी  भरमार । वस्तुएं …"
14 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम..."
20 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Monday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Oct 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
Oct 12

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service