सादर अभिवादन !!
’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ चौबीसवाँ आयोजन है.
इस बार का छंद है - भुजंगप्रयात छंद
आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ –
21अगस्त’ 2021 दिन शनिवार से 22 अगस्त’ 2021 दिन रविवार तक
हम आयोजन के अंतर्गत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं. छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है, दिये गये चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.
(चित्र अंतर्जाल से)
केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं.
भुजंगप्रयात छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक ...
जैसा कि विदित है, कईएक छंद के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.
********************************************************
आयोजन सम्बन्धी नोट :
फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो
21अगस्त’ 2021 दिन शनिवार से 22 अगस्त’ 2021 दिन रविवार तक, यानी दो दिनों के लिए, रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.
अति आवश्यक सूचना :
छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...
विशेष : यदि आप अभी तक www.openbooksonline.com परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.
मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
Tags:
Replies are closed for this discussion.
यहाँ माँ सभी को सदा पालती है
समझ ले जमाना उसे ढालती है।।
सबक जिन्दगी का उसे है सिखाती
पकड़ हाथ उसको जहाँ में चलाती।।
*
यहाँ मोरनी जो लिए बाल अपने
चली है खुले में तनिक वो विचरने।।
मगर चाहती है उन्हें वो सिखाना
बिछा जाल बैठा शिकारी जमाना।।
*
सँभलकर जगत में चलो बालकों तुम
न फँसकर किसी जाल होना यहाँ गुम।।
उछल कूँद अच्छी मगर ध्यान रखना
नजर से न मेरी कभी दूर रहना।
*
यही राष्ट्र पक्षी देश का है हमारे
करे चाल से लीडरों को इशारे।।
नहीं स्वार्थ अपने सदा देखना तुम
मुझी सा जतन से प्रजा पालना तुम।।
मौलिक अप्रकाशित
छपते-छपते मुहावरे को आपने सिद्ध किया है, आदरणीय लक्ष्मण धामी जी.
चित्रानुरूप प्रस्तुति हेतु धन्यवाद.
वस्तुत: आपकी प्रस्तुति भुजंगप्रयात छंद नहीं है. बल्कि, फऊलुन की चार आवृतियाँ हैं, जो वाचिक भुजंगप्रयात के समकक्ष होता है.
सादर
आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। सम्भवतया इस छंद को समझने में भूल हुई है । पुनः समझने का प्रयास कर कोशिश करूँगा । सादर..
भाई लक्ष्मण जी, आयोजन में सहभागिता के लिए धन्यवाद ।
शेष जनाब सौरभ साहिब कह चुके हैं ।
आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति के लिए धन्यवाद। गलती समझ आ गयी । अगली रचना में सभी को संतुष्ट करने का प्रयास रहेगा।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |