For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दो तनिक मुझ मूढ़ को भी ज्ञान अब माँ शारदे-गजल

२१२२/२१२२/२१२२/२१२
दो तनिक मुझ मूढ़ को भी ज्ञान अब माँ शारदे
चाहता  हूँ  मारना  अभिमान  अब  माँ  शारदे।१।
*
आ गया देखो  शरण  में  शीश चरणों में पड़ा
भाव पूरित शब्द दो अभिदान अब माँ शारदे।२।
*
यूँ असम्भव  है  समझना  ईश  के  वैराट्य को
कर सकूँ केवल तनिक गुणगान अब माँ शारदे।३।
*
व्याप्त तनमन में अभी तक नष्ट हो ये मूढ़ता
फूँक दो इक मन्त्र  देता  कान अब माँ शारदे।४।
*
मार्गदर्शन आप कर दो खोलकर मन के नयन
इस जगत से क्यों रहूँ अन्जान अब माँ शारदे।५।
*
उम्र  बीती  है  समूची  व्यर्थ  ही  नैपथ्य में
हो जगत में आपसे पहचान अब माँ शारदे।६।
*
बस समर्पण और अर्पण शेष कोई भाव ना
हो न मन में मान या अपमान अब माँ शारदे।७।
*
दो मधुर वाणी तनिक कर्कश हुए इस कण्ठ को
गा सकूँ जो  आप  का  जयगान  अब माँ शारदे।८।
*
मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

Views: 235

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 1, 2023 at 3:22pm

आ. भाई गुरप्रीत जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी जानकर हर्ष हुआ। उपस्थिति व स्नेह के लिए आभार.। 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 1, 2023 at 3:19pm

आ. भाई फूल सिंह जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।

Comment by Gurpreet Singh jammu on January 29, 2023 at 5:05pm

वाह वाह आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफ़िर जी, इस रंग में क्या ख़ूब लिखा है आपने। मुझे बहुत अच्छी लगी आपकी  ये ग़ज़ल। बहुत ही सहज और पूरी सफलता से भावना व्यक्त करती हुई।बहुत बधाई आपको। सातवें शेर में ' ना ' को आपने 2 के वज़न पर लिया है। बाकी गुणिजन अधिक बता पाएंगे।

Comment by PHOOL SINGH on January 27, 2023 at 2:54pm

सर बहुत सुंदर रचना बधाई स्वीकार करें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service