For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भोजपुरी साहित्य में माई के गीत के साथ 'अतेन्द्र' क आगाज़ .......

टन-टन टन-टन घंटा बाजे

          मईया तोरे दुआरे

आस लगाके खड़ा बा निर्धन

             कब से तेरे सहारे

ओ मईया दे दे तू दर्सन्वा रे------ओ

 

अरऊल फूल सोहेला तुहें

   अऊर घिऊआ के बाती

नरिअर से त भोग लागेला

   देख चुनरी लाल सुहाती

जय जय जय जयकार लगाके

          लोगवा सबे पुकारे --------ओ

 

अहिरा दुधवा चढ़ावे अऊरी

        पंडित कथा कहेला

जय माता दी -जय माता दी

        हर पल रसवा बहेला

लेईके हाथ त्रिशूल ई देख

            शेरवा करे सवारी -------ओ

 

घन-घन-घन  घनघोर घटा बा

           हर-हर चलेला हऊआ

मईया के जब रथवा चले हो

          हिलेला तीनों लोकवा

मालिन फूल चढ़ावे खातिर

              रसता तोरे निहारे --------ओ

 

निबीं के डरिया परे हो झूला

        झूले सातों बहिनिया

देवता चांवर डोलावें देख

         फूटे सातो रगिनिया

महिमा लिखे *रवि* जन तोरे

        किरिपा से ही लिखावे ----------ओ

 

                          लेखक - अतेन्द्र कुमार सिंह *रवि*

Views: 1386

Replies to This Discussion

माई के बड़ा सुन्दर गीत लिखला भैया|
जय माता की|

ध्वन्यात्मक शब्द के प्रयोग अच्छा लाग रहल बा..

जब मइया के गीत, भा कवनो भक्ति-गीत, लिखल जाओ त मात्रा आ वर्ण दूनो के ध्यान राखल जरूरी होला. तहार एह गीत में एह तरी के प्रयासो भइल रहित त एह भजन के गेयता निकहा बढ़ि गइल रहित. ओइसे निकहा कोसिस बा..  बधाई.

 

एगो बात:

//घन-घन-घन  घनघोर घटा बा

हर-हर चलेला हऊआ

मईया के जब रथवा चले हो

हिलेला तीनों लोकवा

मालिन फूल चढ़ावे खातिर

रसता तोरे निहारे//

ई बतावऽ.. जब मइया के परताप से तीनों लोक काँपे लागो.. करिया घन घेराइल होखो.. हर हर हउआ आन्हीं अस चलत होखो त कवन माली भा मलिनिया ओढ़ल फूल चढ़ावे खातिर उनकर रस्ता निहारी..?? .. कहवाँ?? .. आ, ऊ रस्ता निहारी कि भागि चली??

भाई, मज़ाक ना.. हमार कहनाम अतने बा जे एक अंतरा में एकई भाव के बनावल-राखल गीत-रचना के प्रवाह आ खूबसूरती के तार्किको रूप से बढ़ा देला..  एह पऽ हमनी के ध्यान राखीं जा..

 

एक बेर फेर एह भक्ति-गीत पर बहुत-बहुत बधाई..

Aap dwara kail wiwechna bahut nik lagal. I kul milake aur badhiya likhe khatir prerit karela aa dosh dur kare me sahayak hola. Ekar bahut jarurat ba.
Saadar.

आशीष भाई,  तऽ .. ईहे नू ओबीओ पर हमरा के घींचले बा ....

ji.

सबसे पहिले आपके सादर प्रणाम बा अऊर माई क गीत तनिको कहीं भी पसंद आईल ओकरा खातीं बहुत बहुत धन्यवाद ......

एगो बात हमरो ओरी से प्रति उत्तर के रूप में  :

//घन-घन-घन  घनघोर घटा बा

हर-हर चलेला हऊआ

मईया के जब रथवा चले हो

हिलेला तीनों लोकवा

मालिन फूल चढ़ावे खातिर

रसता तोरे निहारे//

 

ईसन मान्यता बा  कि, अगर माई के किरिपा हो भी जाला त उनिके शुद्ध  रूप के दरसन बरा बिकट अऊर भयावह  होखेला ,मईया के दरसन ईसहीं नाही हो जाला,शायद वोहिके बखान करेके के  कोशिश कईले बानी  ...अगर एकरे बाद भी कऊनो गलती होखे त वोके चिन्हित करिके बताई कि का हो सकेला ...आभार .... 

 

अतेन्द्रभाई, तनिको पसंद का आवेला?

नया हस्ताक्षर हवऽ लोग. एह पीढ़ी से आगे चले आ कलम थामे के अपेक्षा होखी, कि, हमहूँ लिखनी   के बेजायँ संतुष्टि में ओदाइल लइकन के जमात देखीं जा?

भाई साहब, बतकूचन ना विचार होखो.  मान्यता के अपना जगहा रहे दियाओ. 

निकहे बुझा गइल त सुनीं, सहीं...  आ, नाऽऽ  त  महीं..

खूब लीखीं जा.... सस्नेह आशीर्वाद.

भाई अतेन्द्र जी, सौरभ भईया जवना बिंदु के बारे में रौआ के खुल के बतवलन ह, अमूमन वोइसे कोई ना बतावे ला, खाली इशारा भर कर देवेला, रौआ सौभाग्यशाली बानी कि गुणी जन के आशीर्वाद एह रूप में मिळत बा, आ ऐसन आशीर्वाद ओ बी ओ के मंच पर ही संभव बा,

राउर रचना ह, वोपर आइल सुझाव मानी भा ना मानी, लेखनी के विस्तार देवे के अगर होखो त माने के चाहि आ अगर स्वतः सुखाय में रहल चाहत बानी त मत मानी पर हर हाल में कुतर्क के सहारा ना लेवे के चाहि |

 

एक गीत में माई के भिन्न भिन्न रूप के चर्चा कर सकत बानी पर एक स्टेंजा एक भाव पर केन्द्रित होखल नीमन कहाला |

 

 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया... सादर।"
24 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय समर साहब,  इस बात को आप से अच्छा और कौन समझ सकता है कि ग़ज़ल एक ऐसी विधा है जिसकी…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"वाह, हर शेर क्या ही कमाल का कथ्य शाब्दिक कर रहा है, आदरणीय नीलेश भाई. ंअतले ने ही मन मोह…"
8 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"कैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास ।  .. क्या-क्यों-कैसे सोच कर, यदि हो…"
8 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"  आदरणीय गिरिराज जी सादर, प्रस्तुत छंद की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. सादर "
9 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"  आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, वाह ! उम्दा ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
9 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विविध
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सभी दोहे सुन्दर रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . उल्फत
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय नीलेश भाई , खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई आपको "
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय बाग़पतवी भाई , बेहतरीन ग़ज़ल कही , हर एक शेर के लिए बधाई स्वीकार करें "
14 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । आपके द्वारा  इंगित…"
17 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service