सभी साहित्य प्रेमियों को
प्रणाम !
साथियों जैसा की आप सभी को ज्ञात है ओपन बुक्स ऑनलाइन पर प्रत्येक महीने के प्रारंभ में "महा उत्सव" का आयोजन होता है, उसी क्रम में ओपन बुक्स ऑनलाइन प्रस्तुत करते है ......
"OBO लाइव महा उत्सव" अंक ११
इस बार महा उत्सव का विषय है "तेरे बिना जिया लागे ना"
आयोजन की अवधि :- ८ सितम्बर २०११ गुरूवार से १० सितम्बर २०११ शनिवार तक
महा उत्सव के लिए दिए गए विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना काव्य विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते है साथ ही अन्य साथियों की रचनाओं पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते है |
उदाहरण स्वरुप साहित्य की कुछ विधाओं का नाम निम्न है ...इस ११ वें महा उत्सव में भी आप सभी साहित्य प्रेमी, मित्र मंडली सहित आमंत्रित है, इस आयोजन में अपनी सहभागिता प्रदान कर आयोजन की शोभा बढ़ाएँ, आनंद लूटें और दिल खोल कर दूसरे लोगों को भी आनंद लूटने का मौका दें |
अति आवश्यक सूचना :- ओ बी ओ प्रबंधन से जुड़े सभी सदस्यों ने यह निर्णय लिया है कि "OBO लाइव महा उत्सव" अंक ११ जो तीन दिनों तक चलेगा उसमे एक सदस्य आयोजन अवधि में अधिकतम तीन स्तरीय प्रविष्टि ही प्रस्तुत कर सकेंगे | साथ ही पूर्व के अनुभवों के आधार पर यह तय किया गया है कि नियम विरुद्ध और गैर स्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये और बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकेगा, यह अधिकार प्रबंधन सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा और जिसपर कोई बहस नहीं की जाएगी |
( फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो ८ सितम्बर लगते ही खोल दिया जायेगा )
यदि आप अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें |
( "OBO लाइव महा उत्सव" सम्बंधित किसी भी तरह के पूछताक्ष हेतु पर यहा...
मंच संचालक
Tags:
Replies are closed for this discussion.
भाई सतीशजी, आपने इस कविता को मान दिया है, मैं आभारी हूँ.
अद्भुत...अनुपम..सौरभ जी,
एक-एक शब्द नगीने की तरह जड़ा है आपने. एक लहर की तरह उठती है ये कविता और साहिल तक पहुँचती है.
बहुत ही सुंदर...
हार्दिक शुभकामनाएँ,
आराधना
आपको प्रस्तुत कविता भायी है, मेरा श्रम सार्थक हुआ.. मेरा हार्दिक धन्यवाद ..
सुन्दर रचना \
वन्दनाजी,
आपकी दृष्टि ने कविता को मान दिया है. हार्दिक धन्यवाद ..
आदरणीय योगराजभाईसाहब, आपकी टिप्पणी का अर्थ शाब्दिक मात्र कत्तई नहीं हुआ करता, बल्कि वह व्यक्तित्त्व के दोनों स्तरों मे से एक अन्तःकर्ण के चारों अवयवों --मनस, चित्त, बुद्धि एवं अहंकार-- को संतुष्ट कर रहा होता है. अब किसी रचनाधर्मी के लिये अपने श्रम की सार्थकता को परिभाषित होता हुआ देखना आह्लादकारी तो होगा ही. कुछ यही स्थिति मेरी बन रही है.
मैंने अपनी कविता की चारों अंतराओं को भी अन्तःकर्ण के उन्हीं अवयवों को उसी क्रम में निरुपित करने का प्रयास किया है; यथा, मनस, चित्त, बुद्धि तथा अहंकार यानि अस्मिता के होने का अनुभव. यानि वैयक्तिक आचरण के इन विशेष आयाम के आलोक में प्रस्तुत रचना को देखा जाय तो संभवतः वैचारिक विस्तार कुछ और प्रश्रय पा जायँ.
आपकी सदाशयता को मेरा नमन.
आप इसको अतुकांत छंद कह रहे हैं ! सर अगर ये अतुकांत है तो तुकांत छंद क्या होगा ?
आदरणीय, आप चाहे जो कहें, हैं तो यह छंद-मुक्त रचना ही. हाँ, अलबत्ता इस रचना को अतुकांत मात्र नहीं विशिष्ट-अतुकांत रचना कहा है... !! :-)))))))
आदरणीय सौरभ भाई जी, जो कहता हूँ दिल से कहता हूँ जो महसूस करता हूँ केवल वोही कहता हूँ !
अवश्य. जी आपने एकदम सही कहा. आपके शब्दों से निस्सृत संवेदना, उनमें गहनता और संदेशों में अंतर्निहित धारा के प्रवाह का सबसे बड़ा कारण, सर, यही है. इसीकारण तो सभी रचनाधर्मी आपकी दिशा-निर्देशित करती प्रतिक्रियाओं की शिद्दत से प्रतीक्षा करते हैं.
सादर..
सौरभ पाण्डेय जी, इतने सुंदर मोती पिरोदिये आपने इस रचना में मन पुलकित हुआ - एक निराला अंदाज़ है आपका - सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें - सुरिंदर रत्ती, मुंबई
मैं मूक आँखों की छली
चुप हेरती, निहारती
सशंक मैं गुहारती
चुपचाप ओट में छिपी
विभोर ! तुमसे हारती
मैं फूल-फूल रह गयी
बहार किन्तु ले गये
भाई सुरिंदर रत्ती साहब, आपने इस रचना को हृदय से अराहा है. आपका सदा आभारी रहूँगा. आपका सहयोग निरन्तर बना रहे.
सादर ..
नाऽऽऽ..
तुम कब्भीऽऽऽऽ .. नहीं.. समझोगे..... ... .. .....
आद. सौरभ भइया... जोर देकर कहे हुआ मासूमियत भरा अंतिम वाक्य तो मोह लेता है...
अत्यंत भाव प्रवण रचना है...
सादर बधाई....
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |