For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तरही मिसरा
'हाफिज़ नासिर' की मशहूर ग़ज़ल का इक मिसरा
"तूने क्या मुझको मुहब्बत में बना रक्खा है "
वज्न- २१२२११२२११२२२२
काफिया- आ की मात्रा
रद्दीफ़- रक्खा है
तो आ जाइये मुशायरे की रौनक बढ़ाने के लिए अपनी ग़ज़लों के साथ, ग़ज़ल नहीं तो कम से कम एक दो शेर ही सही|

Views: 1870

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

मै सोचा ना था एक दी आप सब मिलोगे ,
मेरी किस्मत सभी को दोस्त बना रखा हैं
waah, mujhe to padhne me hi bhut maza aa raha hai
वाह वाह, आपकी ग़ज़ल तो जान डाल दी इस तरही मुशायरा मे, बहुत खूब आज़र साहब, जबरदस्त ग़ज़ल कही है आपने,

पिछले सप्ताह मेरे बड़े भाई श्री नवीन चतुर्वेदी जी की पहल पर प्रायोगिक तौर पर शुरू किये गए तरही मुशायरे का आज समापन किया जा रहा है| कई शायरों ने इस मुशायरे में बढचढ कर हिस्सा लिया तो कईयों ने एक्के दुक्के शे'र ही चलाये| 

कई सदस्यों की ज़ोरदार मांग है कि ऐसे आयोजन हर सप्ताह किये जाएं| अतः इस मांग को मद्देनज़र रखते हुए अगले सप्ताह के तरही मिसरे की घोषणा कल अर्थात गुरुवार को की जाएगी और मुशायरे की शुरुवात शनिवार सुबह से की जाएगी|

(आदरणीय संजीव सलिल जी द्वारा "तरही मुशायरा" के लिये भेजी गई ग़ज़ल जो मैं हुबहू यहाँ पोस्ट कर रहा हूँ)
"तूने क्या मुझको मुहब्बत में बना रक्खा है "
वज्न- २१२२११२२११२२२२ = २३
काफिया- आ की मात्रा
रद्दीफ़- रक्खा है

हास्य मुक्तिका

संजीव 'सलिल'

आत्मीय!
वन्दे मातरम.
मैं गजल तो कहता नहीं, मुक्तिका की कोशिश है. यदि आपके पैमाने पर ठीक हो तो ही दें अन्यथा छोड़ दें.

हास्य मुक्तिका

संजीव 'सलिल'

मेरे दिल ने तो तुझे रब्बा बना रक्खा है.
तूने मेकप का मुझे डब्बा बना रक्खा है..

मैं तो दीवाना हूँ तेरा तहे-दिल से जानम.
तूने पर्दा किया, क्या बब्बा बना रक्खा है..

मैंने दामन को जो थामा तो झटकती क्यों हो?
मैं तो नेता नहीं, जो धब्बा बना रक्खा है..

गले मिलती हो अकेले में, कोई आये तो.
दूर हो जाती हो क्या अब्बा बना रक्खा है..

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- झूठ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति और प्रशंसा से लेखन सफल हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . पतंग
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय "
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने एवं सुझाव का का दिल से आभार आदरणीय जी । "
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . जीत - हार
"आदरणीय सौरभ जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया एवं अमूल्य सुझावों का दिल से आभार आदरणीय जी ।…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गीत रचा है। हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। सुंदर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ। सादर "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहो *** मित्र ढूँढता कौन  है, मौसम  के अनुरूप हर मौसम में चाहिए, इस जीवन को धूप।। *…"
Monday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सुंदर दोहे हैं किन्तु प्रदत्त विषय अनुकूल नहीं है. सादर "
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, सुन्दर गीत रचा है आपने. प्रदत्त विषय पर. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, मौसम के सुखद बदलाव के असर को भिन्न-भिन्न कोण…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . धर्म
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service