For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हे भगवन तू कईसन दिन दिखावाला ,

हे भगवन तू कईसन दिन दिखावाला ,
आज से बीस साल पाहिले बबुनी जनमली ,
दहेज़ के बात होत रहे हजार में ,
ओ घरी इंजिनियर डाक्टर कलक्टर ,
मिळत रहले चालीस पचास हजार में ,
हमहू सोचनी बैंक में पैसा ,
बीस साल में होई आठ गुना ,
लाईकानो के भाव बढ़ी लउकत बा नमूना ,
ता हम ओ घरी सतर हजार जमा करवानी ,
एही साल पाच लाख साठ हजार पावनी ,
बाकिर इ कम पर गइल,
ऊपर वाला लेकन के भाव ,
बीस लाख के ऊपर चल गइल ,
जवान हमारा लगे पैसा रहे ,
ऊपर से महंगाई के मार ,
पिउन दामाद मिलल उहो सरकारी ,
अब सोची ले हम अपना बेटिया के ,
येताना पढ़वानी,
ऊपर से ओकरा सादी में ,
सब कुछ लुटावानी,
हमारा बेटिया के बेटा कहे न बनवाला ,
हे भगवन तू कईसन दिन दिखावाला ,

Views: 324

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on September 6, 2010 at 6:30pm
करारी चोट की है गुरु जी अपने अपनी लेखनी के माध्यम से| समाज जागृत हो रहा है परन्तु अभी स्थिति बहुत ख़राब है|
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on March 27, 2010 at 7:52pm
bahut badhiay guru jee......dahej sahi me bahut bara burayi baa........lekin kail bhi kaa jaa sakat baa..ekra khatir sabke ek jut hokhe ke pari jaun ki bahut muskil baa.....

bahut badhiya guru jee....aisehi agar likhe wala kranti bhi hokho ta dahej [ratah ke khatam kare ke bahut madad mili.....
bahut shaandaar guru jee aisa hi likhat rahi/////

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 27, 2010 at 7:50pm
गुरु जी, रौवा जवन आपन कविता के माध्यम से समाज के बुराई दहेज़ के तरफ सबकर ध्यान आकृस्त कैनी हा उ काबिले तारीफ़ बा , दहेज़ रूपी दानव आज के समय मे बुद्धिजीवी वर्ग के भी सोचे पर मजबूर कर देत बा की हे भगवान् काहे लइकी दिहल ह लइका काहे ना .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
21 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service