परम स्नेही स्वजन,
ओ बी ओ प्रबंधन ने निर्णय लिया है कि प्रत्येक माह के प्रारम्भ में ही "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे" की घोषणा कर दी जाए जिससे कि सबको पर्याप्त समय मिल जाय| अतः आप सबके समक्ष फरवरी माह का मिसरा-ए-तरह हाज़िर है| इस बार का मिसरा जाने माने शायर जनाब एहतराम इस्लाम साहब की गज़ल से लिया गया है| हिन्दुस्तानी एकेडमी से प्रकाशित "है तो है" आपकी ग़ज़लों का संग्रह है जिसमे हिंदी, उर्दू की कई बेशकीमती गज़लें संगृहीत है|
"अबके किस्मत आपकी चमकी नहीं तो क्या हुआ"
बह्र: बहरे रमल मुसम्मन महजूफ
अब(२)/के(१)/किस्(२)/मत(२) आ(२)/प(१)/की(२)/चम(२) की(२)/न्(१)/ही(२)/तो(२) क्या(२)/हू(१)/आ(२)
२१२२ २१२२ २१२२ २१२
फाइलातुन फाइलातुन फाइलातुन फाइलुन
रदीफ: नहीं तो क्या हुआ
काफिया: ई की मात्रा (चमकी, आई, बिजली, बाकी, तेरी, मेरी, थी आदि)
मुशायरे की शुरुआत दिनाकं २६ फरवरी दिन रविवार लगते ही हो जाएगी और दिनांक २८ फरवरी दिन मंगलवार के समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा |
अति आवश्यक सूचना :- ओ बी ओ प्रबंधन ने यह निर्णय लिया है कि "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-२० जो पूर्व की भाति तीन दिनों तक चलेगा,जिसके अंतर्गत आयोजन की अवधि में प्रति सदस्य अधिकतम तीन स्तरीय गज़लें ही प्रस्तुत की जा सकेंगीं | साथ ही पूर्व के अनुभवों के आधार पर यह तय किया गया है कि नियम विरुद्ध व निम्न स्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये और बिना कोई पूर्व सूचना दिए प्रबंधन सदस्यों द्वारा अविलम्ब हटा दिया जायेगा, जिसके सम्बन्ध में किसी भी किस्म की सुनवाई नहीं की जायेगी |
मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव तरही मुशायरे" के सम्बन्ध मे पूछताछ
( फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो २६ फरवरी दिन रविवार लगते ही खोल दिया जायेगा )
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मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह
(सदस्य प्रबंधन)
ओपन बुक्स ऑनलाइन
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हर शेर नगीने सा दमक रहा है
ग़ज़ल से आपने गम ए जानां और गम ए दौरां का खूबसूरत नजारा पेश किया है
स्वागत बधाई व आभार
डॉ अज़ीज़ साहब, सबसे पहले तो ओ बी ओ के इस मंच पर आपका स्वागत है, किस किस शेर पर दाद दूँ , सभी एक पर एक है, तेज आंधी, दर पे कुंडी वाले शेर बहुत ही प्यारे लगे , मक्ता का क्या कहना , वाह वाह, क्या करीने से गिरह बाँधी है, दाद कुबूल करे जनाब, ओ बी ओ के ताज में एक हीरा और जुड़ गया ।
वाह.........वाह.....वाह..........
bahut behtreen ghazal har sher lajabaab.
इस खूबसूरत ग़ज़ल के लिए दाद कुबूल करें अज़ीज़ साहब
दोस्तों,
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - २० में चंद अशआर पेश कर रहा हूँ - सुरिन्दर रत्ती - मुंबई
सुब्ह भी खुल के कभी हसती नहीं तो क्या हुआ I
रूठ जाये शाम ये बोलती नहीं तो क्या हुआ II १ II
गाहे-गाहे वो मेरी दहलीज़ पर आने लगे I
शोख नज़रें इस तरफ तकती नहीं तो क्या हुआ II २ II
क़ुर्ब है अहसास है इस दिल में बसते आप हैं I
काकुलों में उंगली फेरी नहीं तो क्या हुआ II ३ II
जोश में तो होश भी जाता रहा सरकार का I
इश्क़ में मन की कभी चलती नहीं तो क्या हुआ II ४ II
रोज़ ही हमने मनाई ईद खायी दावतें I
अब के किस्मत आपकी चमकी नहीं तो क्या हुआ II ५ II
बिखरे हैं अल्फाज़ शायर यूं ही हम तो बन गये I
सीख "रत्ती" शायरी आती नहीं तो क्या हुआ II ६ II
वाह रत्ती साहब वाह, बहुत अच्छे , बढ़िया शेर पढ़े है, जोश में होश वाला शेर भी बहुत बढ़िया निकाले है, बधाई स्वीकार करे ।
गणेश जी, शुक्रिया आपको जोश में होश वाला शे'र पसंद आया, सुरिन्दर रत्ती - मुंबई
बहुत खूब रत्ती साहब
हर शेर पसंद आया
रोज़ ही हमने मनाई ईद खायी दावतें I
अब के किस्मत आपकी चमकी नहीं तो क्या हुआ II ५ II
गिरह के शेर ने तो कायल कर दिया
वीनस भाई धन्यवाद आपको मेरी छोटी सी कोशिश पसंद आयी, सुरिन्दर रत्ती - मुंबई
गाहे-गाहे वो मेरी दहलीज़ पर आने लगे I
शोख नज़रें इस तरफ तकती नहीं तो क्या हुआ II २ II...bahut khoob...
बिखरे हैं अल्फाज़ शायर यूं ही हम तो बन गये I
सीख "रत्ती" शायरी आती नहीं तो क्या हुआ II...ek mukammal gazal na hone ki 'RATTI" bhar bhi gunjaish nahi.
behad umda Surinder ji.
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