For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

“महँगाई महारानी”

यह ब्लॉग लिखकर मैने इन महाकवियो के महा कुंभ मे सिर्फ़ एक डुबकी लगाने की कोशिस की है.



यह एक ऐसी महारानी है जिनका नाम शायद ही किसी के मधुर वाणी का मोहताज हो.मतलब सॉफ है की द्देश् के हर मध्यम और निम्न वर्ग के लोग के मुह से अक्सर ही इनका नाम निकल ही जाती है, आख़िर महारानी जो है, भाई पूरे देश पर राज करती है यह महारानी.
पहले तो इनकी चर्चाए या नाम चुनाव के समय ही सुनने को मिलते थे, पर आजकल तो इनकी चर्चाए ………आप बस मे जा रहे हो तब भी, ट्रेन मे सफ़र कर रहे हो तब भी और यहा नही सुनाई दिया तो चौराहे के चाय दुकान पर तो अवश्य ही महँगाई चालीसा सुनने को मिल जाएगी.
हमारे देश मे एक कहावत है कि ……………………………………
“दाल रोटी खाएँगे और प्रभु का गुण गाएँगे “
इस महारानी साहेबा ने तो इस कहावत को ही बेकार कर दिया क्योकि इधर दाल
के दाम तो सचिन के शतक की बराबरी कर रही है .
अब बात करते है महारानी के मंत्री मंडल के बारे मे……
मेरा तो मानना है की सचिन के बैट और दाल
मे तो कोई अंतर ही नही है .एक तरफ तेंदुलकर अपनी बैट से शतक जमाते है तो दूसरी तरफ महँगाई महारानी की सरकार दाल के दामो मे ही शतक जमाने लगती है. लेकिन दोनो मे एक समानता ज़रूर है ……अब आप पूछेंगे की क्या?

तो वो यह है की – यह तभी होता है जब दोनो आती है .
वो मैदान मे आते है तो और ये सरकार मे आती है तो, हम बीच-बीच मे “महँगाई महारानी की जय“ को भी बोलते रहेंगे नही तो क्या पता कल कही हमारी महारानी साहेबा नाराज़ हो गयी तो सचिन का शतक पूरा हो ना हो लेकिन इधर चीनी ज़रूर सतक मार देगी और अभी तो त्योहारो का मौसम चल रहा है सारा मज़ा ही फीका पड़ जाएगा
और मेरा मानना तो ये है की हमारी खाने –पीने के चीज़ो को किसी की नज़र लग गयी है ,नही तो दाल,चीनी,तेल,हल्दी,गुड इत्यादि जैसे ही चीज़ो को क्यों आड़े हाथो लिया जाता .
मैने तो अपने एक रिश्तेदार के शादी मे हल्दी का अच्छा हुकूमत देखा ,..दूल्हे की माँ हल्दी पर हल्दी पोते जा रही है तो दूर से ही दूल्हे के पिता जी कहते है ----“अरे भाई हल्दी 40 से 140 की हो गयी है ज़रा कम-कम लगाओ”
भाई हद तो तब हो गयी जब महारानी सरकार के एक मंत्री जी ने यह कह दिया की –“अब ग़रीब लोग ज़्यादा खा रहे है, इसलिए महँगाई बढ़ रही है”
भाई मैं तो बड़ी इज़्ज़त करता हू महारानी जी का नही तो मैं भी पिपली लाइव
की तरह डायन नहीं कहता भला.
प्रेम से बोलिए महँगाई महारानी की जय .
RATNESH RAMAN PATHAK

Views: 399

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by आशीष यादव on September 12, 2010 at 11:39pm
Jay ho ratnesh bhaiya. Ekdam hakikat dekhawat baani.
Comment by Subodh kumar on September 12, 2010 at 11:13pm
wah wah..bahut khoob ratnesh jee...maza aa gaya kya khoob likha hai aaj ke samaaj per !

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 11, 2010 at 9:14am
बहुत खूब रत्नेश भाई, आप तो परत परत उघाड़ दिये या यह कहे कि छिछालेदर कर दिये, बहुत ही सुंदर और व्यंगात्मक शैली है आपकी, जबरदस्त, बधाई आपको इस महंगाई भरे लेख के लिये, जोर से बोलिये महंगाई महारानी की जय य य य य ......

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
13 hours ago
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"आ. भाई आजी तमाम जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post काश कहीं ऐसा हो जाता
"आदरणीय अमन सिन्हा जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर। ना तू मेरे बीन रह पाता…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल -- दिनेश कुमार ( दस्तार ही जो सर पे सलामत नहीं रही )
"आदरणीय दिनेश कुमार जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। इस शेर पर…"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service