For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुझे तो देख के जोरों से मेरा दिल धडकता है

तुझे तो देख के जोरों से मेरा दिल धडकता है

जिये पानी बिना मछली के जैसे मन तडपता है

जिगर को थाम के बैठूं मैं अक्सर सामने तेरे

के हाले दिल सुनाने को ये पागल दिल मचलता है

मैं चातक सा फिरूँ राहों में स्वाती बूँद का प्यासा

अगर तुम ना दिखो तो हो के व्याकुल दिल तरसता है

बड़ा बेचैन होता हूँ तू मेरे साथ में जब हो

किसी के साथ देखूं तो कोई शोला भड़कता है

दिवाने घूमते हैं बस तेरा दीदार पाने को

हवाएँ भी हैं थम जाती दुपट्टा जब सरकता है

मेरे सागर से दिल में उठ रहीं हैं इश्क की मौजें

तुझे पाने की खातिर आँखों से सागर छलकता है

तेरे आने से रंगत बढ़ गयी बीमार चेह्रे की

किसी बंजर में जिस तरह कोई बादल बरसता है

संदीप कुमार पटेल "दीप"

Views: 687

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 23, 2012 at 7:14pm

बढ़िया प्रयास है संदीप बाबू, दाद कुबूल करें |

Comment by Nilansh on May 17, 2012 at 10:05pm

तेरे आने से रंगत बढ़ गयी बीमार चेह्रे की

किसी बंजर में जिस तरह कोई बादल बरसता है


bahut sunder  sandeep  ji

Comment by Rekha Joshi on May 17, 2012 at 9:24pm

बड़ा बेचैन होता हूँ तू मेरे साथ में जब हो

किसी के साथ देखूं तो कोई शोला भड़कता हैsandip ji bahut badhiya panktiyaan 

Comment by AjAy Kumar Bohat on May 17, 2012 at 9:14pm

बड़ा बेचैन होता हूँ तू मेरे साथ में जब हो

किसी के साथ देखूं तो कोई शोला भड़कता है
waah bahut khoob....

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on May 17, 2012 at 7:53pm

आदरणीय प्रदीप  KUMAR SINGH KUSHWAHA सर जी

सादर वन्दे

आपकी इस अनमोल प्रतिक्रिया से मन प्रसन्न् हो गया सर

अपना स्नेह ऐसे ही बनाये रखिये

आपका बहुत बहुत धन्यवाद और सादर आभार

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on May 17, 2012 at 7:49pm

मैँ अपनी अगली गज़ल मेँ इस बात का ध्यान रखुंगा आदरणीय डॉ. सूर्या बाली "सूरज" सर जी

इस उत्साह वर्धन और मार्ग्दर्शन के लिये आपका आभार

सादर वन्दे

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on May 17, 2012 at 7:47pm

श्रध्येय गुरुवर Saurabh Pandey  सर आपका चरण वन्दन

आपकी इस प्रतिक्रिया से मन उत्साहित हो गया

अपना स्नेह और आशीर्वाद ऐसे ही बनाए रखिये

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on May 17, 2012 at 7:44pm
Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on May 17, 2012 at 7:42pm

aapka bahut bahut aabhari hun aadarniyaa rajesh kumari ji

apne jo meri is ghazal ko padha aur haushalafajai ki uske liye tahe dil se shukriya aapka

aapki pratkriya se utsaah doguna ho jata hai apna sneh banaye rakhiye

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on May 17, 2012 at 7:40pm

aapka hriday se dhanyvaad Bhawesh Rajpal ji ........saadar aabhar is utsaah-wardhan ke liye

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
1 hour ago
Sushil Sarna posted blog posts
15 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
16 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
16 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Monday
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service