जो इश्क कर लिया हर्फों में नजाकत आ गई
यार दीवानगी से थोड़ी शरारत आ गई
ये नया दौर है इसमें जो लगा उनसे जिगर
चोट दिल पे लगी तो हमको मुहब्बत आ गई
बदलता रोज है आलम मगर जो बदला नहीं
साथ चलता रहा उसको तो अदावत आ गई
चार चांटे लगे वो फिर भी खडा झुकता गया
लोग कहने लगे की इसको शराफत आ गई
दर बदर ठोकरें ही खाता रहा जिसके लिये
आज उनकी निगाहों में ही हकारत आ गई
खेलना खूब सीखा उनसे मगर आया नहीं
तोड़ के दिल खुदी का इसमें महारत आ गई
नाम से बैठते गददी में मुफ्त की शोहरत
बाप के नाम से बच्चों को वजारत आ गई
दीप बाज़ार में दिल औ जिस्म बिकने जो लगा
इश्क बिकने लगा उसमे भी तिजारत आ गई
Comment
नाम से बैठते गददी में मुफ्त की शोहरत
बाप के नाम से बच्चों को वजारत आ गई
वाह वाह, बहुत खूब, अच्छी ग़ज़ल की प्रस्तुति, दाद कुबूल करें संदीप जी |
आदरणीय नीलांश जी
आपका तहे दिल से शुक्रिया और सादर आभार
आपका ये स्नेह बनाये रखिये
आदरणीया महिमा श्री जी
आपकी प्रतिक्रिया से मन प्रफुल्लित हो गया और अच्छा लिखने के लिए उत्साह बढ़ गया
आपका तहे दिल से शुक्रिया आपका सादर आभार
आदरणीय बाजपेई सर , सादर वन्दे
आपका बहुत बहुत शुक्रिया आपका सादर आभार
अपना ये स्नेह और मार्गदर्शन बनाये रखिये
अभिनव सर जी , सादर वन्दे
आपका बहुत बहुत आभारी हूँ सर जी जो आपने मेरी इस रचना को समय दिया और प्रतिक्रिया देकर उत्साह बढाया
ह्रदय की गहराई से आपका शुक्रिया ....................
आदरणीय योगराज प्रभाकर सर जी सादर नमन
आपके आशीर्वाद से लिखना सार्थक हो गया
आपकी इस प्रतिक्रिया से मन प्रफुल्लित हो गया
मैं अपनी ओर से अथक प्रयास करूँगा और संलग्न रहूँगा
अपना प्रेम इसी तरह हम अनुजों पर बनाये रखिये
जो इश्क कर लिया हर्फों में नजाकत आ गई
यार दीवानगी से थोड़ी शरारत आ गई
bahut sunder sandeep ji
जो इश्क कर लिया हर्फों में नजाकत आ गई
यार दीवानगी से थोड़ी शरारत आ गई
ये नया दौर है इसमें जो लगा उनसे जिगर
चोट दिल पे लगी तो हमको मुहब्बत आ गई......
क्या बात है , बहुत खूब ... बधाई आपको संदीप जी
सुंदर एवं भाव पूर्ण कलाम जनाब..... थोडा सा शब्द संयोजन कीजिये..... आपका कहन बहुत उत्तम है....
वाह वाह संदीप जी -
दीप बाज़ार में दिल औ जिस्म बिकने जो लगा
इश्क बिकने लगा उसमे भी तिजारत आ गई
आपके कलाम ने मन मोह लिया हार्दिक बधाई इस शानदार रचना पर !!
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