=========== माँ ===========
मेरे आते ही तेरा मुश्कुराना याद है
वो रोते रोते तुझसे लिपट जाना याद है
तेरे हाथों में माँ जादू रहा मीठा कोई
वो अपने हाथों से मुझको खिलाना याद है
तेरा दर छोड़ा मैंने जब पढ़ाई के लिये
मैं खुद भी रोया माँ तुझको रुलाना याद है
मेरे गम अपने आँचल में छुपा तुमने रखे
मेरी खुशियों में तेरा खिलखिलाना याद है
मेरे यारों ने मुझको नाम तो नए नए दिए
माँ तेरा वीरा कह मुझको बुलाना याद है
मैं तो रूठा हूँ माँ हर बार गलती में मेरी
वो गोदी में बैठा फिर भी मनाना याद है
मैं रब से ये मांगू सबको मिले माँ इधर पे
उसकी जन्नत में वो गुजरा जमाना याद है
उसकी ममता की छाया दीप किस्मत से मिले
मैं तो सोया हूँ पर उसको जगाना याद है
====संदीप कुमार पटेल "दीप"=====
Comment
संदीप जी
नमस्कार, बहुत सुन्दर कविता, माँ की ममता को भी कभी कोई भूल पाया है भला. बधाई.
आपका बहुत बहुत शुक्रिया और सादर आभार महिमा जी ..................सादर नमन
आपका बहुत बहुत आभारी हुँ अजय जी ...................तहे दिल से शुक्रिया आपका
आपका तहे दिल से शुक्रिया नीलांश जी , आपका आभारी हुँ ॥
आदरणीय प्रदीप सर जी सादर नमन
आपका आशिर्वाद ऐसे ही बनाये रखिये ...................बहुत बहुत आभारी हुँ
आदरणीय गणेश सर जी आपकी इस प्रतिक्रिया को पाके मै कृतकृत्य हो गया ..................मै अथक प्रयास करुंगा के इसकी बहर मे सुधार कर लूँ ॥ आपका बहुत बहुत शुक्रिया सर जी
आदरणीया rajesh kumari जी आपका ह्रदय से धन्यवाद और सादर आभार ......................आपके कहे अनुसार मै इसमे सुधार कर लूंगा .................आपका आभारी हुँ ।
वाह बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल कही है बन्धु...
bahut sunder bhai
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