हमारी फिक्र थी ये गाँव अब भी गाँव है
सियासत के करम से गाँव अब भी गाँव है
मखमली सेज सूखी घास से देखो बनी
महल सी झोपड़ी में गाँव अब भी गाँव है
मिलेगी छाँव बरगद नीम पीपल की घनी
मिटे हर पीर जाके गाँव अब भी गाँव है
ख़ुशी हर चेहरे में औ दर्द दिल में दफ़न
रंज औ गम भुलाके गाँव अब भी गाँव है
सखी ऐसे तके है राह हाये प्रियतम की
बिछाये चश्म अपने गाँव अब भी गाँव है
परेशाँ आदमी बिजली लगे जादूगरी
बिना बिजली अधूरे गाँव अब भी गाँव है
रिवाजो रश्म की इबरत मिले हर-सू ऐसी
दिलों से दिल लगाले गाँव अब भी गाँव है
मवेशी हैं यहाँ पर दूध की नदिया बहे
पले हैं शहर जिससे गाँव अब भी गाँव है
पुजा हर एक सजर रब सा पुजा पत्थर यहाँ
इबादत सीख इससे गाँव अब भी गाँव है
फरेबी ढूँढने से "दीप" एक पाया नहीं
जुदा सारे जहां से गाँव अब भी गाँव है
संदीप कुमार पटेल "दीप"
Comment
सादर वन्दे Ganesh Jee "Bagi" सर जी
आपकी प्रतिक्रिया का जो आशीर्वाद मिला है उससे मेरा लिखना सार्थक हो गया सर जी
अपना ये स्नेह और आशीर्वाद ऐसे ही बनाये रखिये आपका सादर आभार
आपका बहुत बहुत धन्यवाद PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA सर जी आपका सादर आभारी हूँ
आपकी प्रतिक्रिया से उत्साह दोगुना हो जाता है rajesh कुमारी जी आपका सादर आभार और ह्रदय से शुक्रिया
बहुत बहुत शुक्रिया आपका Nilansh जी ...सादर आभार
बहुत बहुत शुक्रिया आपका अजय जी .........आपने अपना कीमती वक़्त दिया उसके लिए आभार
//सखी ऐसे तके है राह हाये प्रियतम की
बिछाये चश्म अपने गाँव अब भी गाँव है//
वाह वाह संदीप जी, क्या रदीफ़ लिया है, आनंद आ गया , सभी शेर बहुत ही अच्छे लगें , दाद कुबूल करें भाई |
vaah sandip ji , sab kuch hai vahan par hain ganv. badhai,
पुजा हर एक सजर रब सा पुजा पत्थर यहाँ
इबादत सीख इससे गाँव अब भी गाँव है....बहुत सुन्दर भाव पूर्ण रचना गाँव फिर भी गाँव हैं सही कहा है
मिलेगी छाँव बरगद नीम पीपल की घनी
मिटे हर पीर जाके गाँव अब भी गाँव है
bahut sunder sandip bhai
aapne to gaanv ki yaad dila di.
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