मनाने का हुनर हमको कभी न आया दोस्तों
बड़ी मगरूर थी वो मैं समझ न पाया दोस्तों
दिखे नादान सा लेकिन खबर सभी की है उसे
जिसे सबने सता के आदमी बनाया दोस्तों
गर्दिशों से मिटा जिसके ख्वाब महलों के रहे
उजालों की ख्वाहिस में झोपड़ी जलाया दोस्तों
बुरा कितना रहा हो आदमी जमाने में मगर
जनाजा चार कांधो ने वही उठाया दोस्तों
तडपता वो रहा जिसके लिये जिगर को थाम के
उसी ने तोड़ के वादे उसे सताया दोस्तों
हवाएँ रोक जिसने रात भर बिखेरी रौशनी
उसी फानूस ने ही दीप ये बुझाया दोस्तों
संदीप कुमार पटेल "दीप"
Comment
gazal ke ek ek sher mein, bade hi khubsurat vichaar piroye hai sandeep bhai... wah wah
aapka bahut bahut aabhar Nilansh ji .........tahe dil se shukriya aapka
दिखे नादान सा लेकिन खबर सभी की है उसे
जिसे सबने सता के आदमी बनाया दोस्तों
bahut khoobsoorat ghazal sandeep ji
हवाएँ रोक जिसने रात भर बिखेरी रौशनी
उसी फानूस ने ही दीप ये बुझाया दोस्तों.....vaah ...vaah kya baat hai .bahut sundar
संदीप जी
हवाएँ रोक जिसने रात भर बिखेरी रौशनी
उसी फानूस ने ही दीप ये बुझाया दोस्तों..
बहुत accha likha apne
गर्दिशों से मिटा जिसके ख्वाब महलों के रहे
उजालों की ख्वाहिस में झोपड़ी जलाया दोस्तों
तडपता वो रहा जिसके लिये जिगर को थाम के
उसी ने तोड़ के वादे उसे सताया दोस्तों
बहुत बढ़िया ... संदीप जी बधाई स्वीकार करें
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