तुझे तो देख के जोरों से मेरा दिल धडकता है
जिये पानी बिना मछली के जैसे मन तडपता है
जिगर को थाम के बैठूं मैं अक्सर सामने तेरे
के हाले दिल सुनाने को ये पागल दिल मचलता है
मैं चातक सा फिरूँ राहों में स्वाती बूँद का प्यासा
अगर तुम ना दिखो तो हो के व्याकुल दिल तरसता है
बड़ा बेचैन होता हूँ तू मेरे साथ में जब हो
किसी के साथ देखूं तो कोई शोला भड़कता है
दिवाने घूमते हैं बस तेरा दीदार पाने को
हवाएँ भी हैं थम जाती दुपट्टा जब सरकता है
मेरे सागर से दिल में उठ रहीं हैं इश्क की मौजें
तुझे पाने की खातिर आँखों से सागर छलकता है
तेरे आने से रंगत बढ़ गयी बीमार चेह्रे की
किसी बंजर में जिस तरह कोई बादल बरसता है
संदीप कुमार पटेल "दीप"
Comment
बढ़िया प्रयास है संदीप बाबू, दाद कुबूल करें |
तेरे आने से रंगत बढ़ गयी बीमार चेह्रे की
किसी बंजर में जिस तरह कोई बादल बरसता है
bahut sunder sandeep ji
बड़ा बेचैन होता हूँ तू मेरे साथ में जब हो
किसी के साथ देखूं तो कोई शोला भड़कता हैsandip ji bahut badhiya panktiyaan
बड़ा बेचैन होता हूँ तू मेरे साथ में जब हो
किसी के साथ देखूं तो कोई शोला भड़कता है
waah bahut khoob....
आदरणीय प्रदीप KUMAR SINGH KUSHWAHA सर जी
सादर वन्दे
आपकी इस अनमोल प्रतिक्रिया से मन प्रसन्न् हो गया सर
अपना स्नेह ऐसे ही बनाये रखिये
आपका बहुत बहुत धन्यवाद और सादर आभार
मैँ अपनी अगली गज़ल मेँ इस बात का ध्यान रखुंगा आदरणीय डॉ. सूर्या बाली "सूरज" सर जी
इस उत्साह वर्धन और मार्ग्दर्शन के लिये आपका आभार
सादर वन्दे
श्रध्येय गुरुवर Saurabh Pandey सर आपका चरण वन्दन
आपकी इस प्रतिक्रिया से मन उत्साहित हो गया
अपना स्नेह और आशीर्वाद ऐसे ही बनाए रखिये
aapka bahut bahut aabhari hun aadarniyaa rajesh kumari ji
apne jo meri is ghazal ko padha aur haushalafajai ki uske liye tahe dil se shukriya aapka
aapki pratkriya se utsaah doguna ho jata hai apna sneh banaye rakhiye
aapka hriday se dhanyvaad Bhawesh Rajpal ji ........saadar aabhar is utsaah-wardhan ke liye
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