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मासूम सी एक सूरत,

मासूम सी एक सूरत,
बन गई वो मेरी जरुरत,
होता है कुछ देखकर उसे,
क्या कहू वो है कितनी खूबसूरत....
........
अब सब कुछ फ़साना एक लगता है,
उसका दूर जाना भी, पास आना लगता है,
सोचा न था, एक दौर ऐसा आएगा,
जब ये दिल, किसी को चाहेगा,
फिर भी चुप रहेगी ये जुबाँ, ऐसी कोशिस है,
आँखों से समझे वो प्यार, ये साजिस है,
अब समझाना है उसको इन आँखों की भाषा,
वो होगी मेरे रूबरू,है इस दिल को आशा,
पा लेंगे उसको खुदपर विस्वास है,
मिलेगी वो, क्योकि वो मेरी तलाश है,
की लगता है अब........
धीरे-2 अब वो मेरी तकदीर बन गई,
इन हाथो की अब वो लकीर बन गई,
हम तो यूँही लिख रहे उसका नाम,
देखा तो उसकी तश्वीर बन गई.....

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Comment

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Comment by Harish Bhatt on July 7, 2012 at 11:12am

प्रदीप जी नमस्‍कार, बेहतरीन रचना के लिए हार्दिक बधाई

धीरे-2 अब वो मेरी तकदीर बन गई,
इन हाथो की अब वो लकीर बन गई,
हम तो यूँही लिख रहे उसका नाम,
देखा तो उसकी तश्वीर बन गई....

 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 6, 2012 at 11:25pm

अब समझाना है उसको इन आँखों की भाषा,
वो होगी मेरे रूबरू,है इस दिल को आशा,
पा लेंगे उसको खुदपर विस्वास है,
मिलेगी वो, क्योकि वो मेरी तलाश है,

प्रिय प्रदीप जी शुभ कामनाएं मिले और बहुत शीघ्र मिले ये दिल की तडपन और दूरियों की खांई जल्द मिट जाए ...सुन्दर रचना  ..भ्रमर ५ 

Comment by Rekha Joshi on July 6, 2012 at 6:19pm

प्रदीप जी ,

धीरे-2 अब वो मेरी तकदीर बन गई,
इन हाथो की अब वो लकीर बन गई,
हम तो यूँही लिख रहे उसका नाम,
देखा तो उसकी तश्वीर बन गई,बहुत बढ़िया ,बधाई 

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