आदरणीय साहित्य प्रेमियों
सादर वन्दे,
"ओबीओ लाईव महा उत्सव" के २१ वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है. पिछले २० कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने २० विभिन्न विषयों पर बड़े जोशो खरोश के साथ और बढ़ चढ़ कर कलम आजमाई की. जैसा कि आप सब को ज्ञात ही है कि दरअसल यह आयोजन रचनाकारों के लिए अपनी कलम की धार को और भी तेज़ करने का अवसर प्रदान करता है, इस आयोजन पर एक कोई विषय या शब्द देकर रचनाकारों को उस पर अपनी रचनायें प्रस्तुत करने के लिए कहा जाता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है:-
"OBO लाइव महा उत्सव" अंक २१
विषय - "नयन"
आयोजन की अवधि- ७ जुलाई २०१२ शनिवार
से
९ जुलाई २०१२ सोमवार तक
तो आइए मित्रो, उठायें अपनी कलम और दे डालें अपनी कल्पना को हकीकत का रूप, बात बेशक छोटी हो लेकिन घाव गंभीर करने वाली हो तो बात का लुत्फ़ दोबाला हो जाए. महा उत्सव के लिए दिए विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते है साथ ही अन्य साथियों की रचनाओं पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते है |
उदाहरण स्वरुप साहित्य की कुछ विधाओं का नाम निम्न है: -
अति आवश्यक सूचना :- "OBO लाइव महा उत्सव" अंक- २१ में सदस्यगण आयोजन अवधि में अधिकतम तीन स्तरीय प्रविष्टियाँ ही प्रस्तुत कर सकेंगे | नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा गैर स्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटा दिया जाएगा, यह अधिकार प्रबंधन सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी |
(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो शनिवार ७ जुलाई लगते ही खोल दिया जायेगा )
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"महा उत्सव" के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
मंच संचालक
धर्मेन्द्र शर्मा (धरम)
(सदस्य कार्यकारिणी)
ओपन बुक्स ऑनलाइन
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सौरभ जी, सुबह सुबह आपकी टिप्पणी पढ़ी जो सच में अभिभूत कर गई । मेरी इस रचना ने आपके दिल पर दस्तक दी, मेरी लेखनी सफल हुई । आपकी टिप्पणियों के हाथों में ही रचना की जान होती है । मेरी रचना को तो मुक्त कर पंख देकर उच्च गगन में उड़ा दिया आपने । ह्रदय से आभारी हूँ |
आदरणीया राजेशकुमारी जी, एक रचनाकार नहीं बल्कि उसकी रचना विशेष ही पाठकों की कसौटी का अभीष्ठ हुआ करती है और तदनुरूप किसी रचनाकार को सम्मान मिलता है. यही सर्वोच्च परिपाटी है. आश्वस्ति यह है कि इस मंच ओबीओ पर इस समृद्ध परिपाटी को धार्मिक संस्कार की तरह निबाहा जाता है. यहाँ रचनाकार की प्रतिष्ठा उसकी व्यक्तिगत संज्ञा से नहीं उसकी रचना-प्रक्रिया से होती है. उसके रचनाकर्म का कुल समुच्चय और उसकी निरंतर प्रतिभागिता का स्तर ही उसके व्यक्तित्व का मूल परिचायक होता है. अब आपसे इस मंच की परिपाटियों को क्या कहना.
सादर शुभेच्छाएँ
आदरणीय सौरभ जी आपकी प्रतिक्रिया का अंदाज सबसे अलग और शब्द सार्थक अभिभूत करने वाले होते है
सादर प्रणाम आपको
आदरनीय सौरभ भईया, आदरणीय राजेश जी की उत्कृष्ट रचना पर आपके हृदय से निकली प्रतिक्रया हृदयग्राही है...
सादर नमन स्वीकारें गुरुवर...
अभिन्न भाई संजय जी, आपको आदरणीया राजेशजी की रचना पर मेरे कहे का सत्त (gist) आश्वस्त कर पाया यह आपकी संवेदना का परिचायक है.
शुभ-शुभ
आदरणीया राजेश कुमारी जी बहुत ही सुंदर कविता बधाई आपको
प्रिय दीप्ति जी आपका प्यार मिला रचना को और क्या चाहिए
आदरणीय राजेश कुमारी जी.
मज़ा आ गया खुबसूरत रचना
मन को आहत कर गए नैनो से निकले बाण,
अद्भुत है रचते लीला, ह्रदय से हरते प्राण.....
अरुण शर्मा जी हार्दिक आभार आपको रचना पसंद आई
नयनों की ही तो लियाक़त है
गगन के विस्तार सी अनुभूति कराती है
सीलने लगते हैं धीरे- धीरे
टीस जन्मने लगती है
क्यों एक शून्यता.. . अव्यक्त रिक्तता व्याप्त है इनमें ?
कि इन झीलों में
कभी सूरज नहीं उगता
उपरोक्त प्रस्तुति शब्दों का बंधना कलाकारी भाव पूर्ण अत्यंत मधुकर लगी राजेश कुमारी जी हार्दिक बधाई
उमा शंकर मिश्र जी बहुत बहुत हार्दिक आभार आपको रचना पसंद आई
अफ़सोस!
कि इन झीलों में
कभी सूरज नहीं उगता....
वाह! इस उन्नत अभिव्यक्ति के लिए सादर बधाईया स्वीकारें आदरणीया राजेश कुमारी जी....
आवश्यक सूचना:-
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