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शहरों में घर रूम रूम के बाबाजी

सावन आया झूम झूम के बाबाजी
बजे  नगाड़े  धूम धूम  के बाबाजी

छोरे ने छोरी के गाल भिगो डाले
चूम चूम के, चूम चूम के बाबाजी

घाट घाट का पानी पीने वालों ने
कपड़े पहने लूम लूम के बाबाजी

आँगन,वेह्ड़ा और वरांडा मत ढूंढो
शहरों में घर रूम रूम के बाबाजी

अलबेला को ओबीओ से इश्क़ हुआ
कहदो सबको घूम घूम के बाबाजी

-अलबेला खत्री

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Comment

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Comment by Albela Khatri on July 12, 2012 at 7:55am

ये गलत बात है आदरणीय वीनस केसरी  जी.......
इधर छोरी के गाल गीले हो गए, उधर आप हँस रहे हैं ....
चिदम्बरम साहेब को पता चला तो इस पे भी कर लगा देंगे ...हा हा हा
प्रति चुम्बन पांच रुपया .....हा हा हा

______वैसे आपको  पंक्तियाँ पसन्द आयीं........मेरा मन पुलकित हो गया
___आभार

Comment by Albela Khatri on July 12, 2012 at 7:49am

आदरणीय उमाशंकर जी,
ये रचना आपको पसंद आई,
मैं धन्य हो गया
मेरा कंप्यूटर धन्य हो गया
कंप्यूटर का स्क्रीन धन्य हो गया
की बोर्ड धन्य होगया
माउस धन्य हो गया
___बोले तो सबकुछ धन्य हो गया

__विनम्र आभार !

Comment by वीनस केसरी on July 12, 2012 at 2:08am

छोरे ने छोरी के गाल भिगो डाले
चूम चूम के, चूम चूम के बाबाजी

हा हा हा
क्या कहने ........

Comment by UMASHANKER MISHRA on July 11, 2012 at 11:10pm

छोरे ने छोरी के गाल भिगो डाले
चूम चूम के, चूम चूम के बाबाजी ....आदरणीय अलबेला जी इतना रस मय....?  एक ही कविता में कई कई रंग डाल देते हैं मै पहले भी कहता था अब भी कहूँगा आलराउंडरी है 

वाह वाह बहुत बढ़िया है जी ......हमें भी पता चल गया .......

Comment by Albela Khatri on July 11, 2012 at 10:19pm

आपका तहेदिल से शुक्रिया भ्रमर जी........

__आपके स्नेहिल प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद

Comment by Albela Khatri on July 11, 2012 at 10:16pm

कैसे पता लगा दीप्ति जी...........
ये तो राज़ की बात थी........हा हा हा

__आपके आने का धन्यवाद
____आते रहिएगा ...अच्छा लगता है

Comment by Albela Khatri on July 11, 2012 at 10:14pm

आदरणीय संदीप द्विवेदी जी.....
आपकी सटीक टिपण्णी और  उदार सराहना ने मन को आनन्दित  कर दिया
ऊर्जस्वित कर दिया ......

___आपका हार्दिक आभार

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 11, 2012 at 10:08pm

आँगन,वेह्ड़ा और वरांडा मत ढूंढो 
शहरों में घर रूम रूम के बाबाजी 

अलबेला को ओबीओ से इश्क़ हुआ 
कहदो सबको घूम घूम के बाबाजी 

बड़ी ख़ुशी की खबर है आई इश्क चढ़ा परवान 
ओ बी ओ  अलबेला जी आये मन अब हुआ जवान 
गाओ झूम झूम के बाबा जी ..
सटीक दृश्य शहर आदि का 
भ्रमर ५ 

 

Comment by deepti sharma on July 11, 2012 at 7:13pm

वाह वाह बहुत खूब 

बधाई आपको 

हमे भी पता लग चूका है हा हा हा हा

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on July 11, 2012 at 2:12pm

वास्तविकता के धरातल पर सरल सहज शब्दों में आपकी यह कृति बहुत कुछ कहती है| ऐसा लेखन आपकी कलम के ही वश में है अलबेला जी| आपका इश्क़ हम सब के लिए बेहद ख़ुशी की बात है| सादर.. :-))

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