For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चलो अच्छा हुआ ये भ्रम भी टुटा मेरा ....

चलो अच्छा हुआ ये भ्रम भी टुटा मेरा
वो हमे प्यार करते थे ये झूठ निकला

चलो अच्छा हुआ धोखा जो खा ही लिया
प्यार एतबार से होता है ये भी झूठ निकला 

चलो अच्छा हुआ जो गम ही मेरे दामन में आया 
कोशिश हमेशा कामयाब होती है ये भी झूठ निकला

चलो अच्छा हुआ जो मैं अकेला हो गया 
दोस्त हर पल साथ होते हैं ये भी झूठ निकला 

चलो अच्छा हुआ जो हमसे हाल-ए-दिल वो पूछ बैठा
अपने सब समझते हैं ये भी झूठ निकला 

Views: 958

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sonam Saini on March 15, 2013 at 9:44am

आदरणीय ब्रजेश कुमार जी आपका बहुत बहुत आभार व धन्यवाद।।

Comment by Sonam Saini on March 15, 2013 at 9:43am

आदरणीय वंदना तिवारी जी सादर नमस्कार
आपने रचना के भावो को समझा और अपना अनमोल समय दिया इसके लिए दिल से आभार व धन्यवाद

Comment by Sonam Saini on March 15, 2013 at 9:42am

आदरणीय सतवीर जी रचना को पसंद करने के लिए आभार व धन्यवाद

Comment by Sonam Saini on March 15, 2013 at 9:41am

आदरणीय योगी सर नमस्कार
रचना को पसंद करने व अपनी कीमती समय देने शुक्रिया ...

Comment by Sonam Saini on March 15, 2013 at 9:39am

आदरणीय राम सिरोमनि पाठक जी नमस्कार
समय देने के लिए आभार व धन्यवाद ...

Comment by Sonam Saini on March 15, 2013 at 9:39am

आदरणीय विजय सर जी नमस्कार
कविता को समय देने के लिए धन्यवाद .....

Comment by Sonam Saini on March 14, 2013 at 4:59pm

आदरणीय प्राची मैम सादर नमस्कार,
          आपकी प्रतिक्रिया हमेशा और अच्छा लिखने की प्रेरणा देती है, यूँ ही मार्गदर्शन करती रहियेगा।
    अपना कीमती समय देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद मैम .....

Comment by बृजेश नीरज on March 13, 2013 at 9:50pm

चलो अच्छा हुआ जो मैं अकेला हो गया 
दोस्त हर पल साथ होते हैं ये भी झूठ निकला  

बहुत सुन्दर रचना!

Comment by Vindu Babu on March 13, 2013 at 4:54pm
बड़ी संवेदनापूर्ण पंक्तियां पिरोई हैं आदरेया सोनम सैनी जी!
बहुत निराशा सी झलक रही है परन्तु अच्छी तरह से लयबद्ध किया है आपने।
Comment by सतवीर वर्मा 'बिरकाळी' on March 13, 2013 at 4:03pm
"चलो अच्छा हुआ
भ्रम तो टूटा"

अन्तस की पीङा को उजागर करती हुई बहुत सुन्दर रचना आ॰ सोनम सैनी जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
2 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
2 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
2 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
2 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
2 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"आ. भाई आजी तमाम जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post काश कहीं ऐसा हो जाता
"आदरणीय अमन सिन्हा जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर। ना तू मेरे बीन रह पाता…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल -- दिनेश कुमार ( दस्तार ही जो सर पे सलामत नहीं रही )
"आदरणीय दिनेश कुमार जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। इस शेर पर…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय सुशील सरना जी बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई। गौरैया के झुंड का, सुंदर सा संसार…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post यह धर्म युद्ध है
"आदरणीय अमन सिन्हा जी, इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर"
7 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service