For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जागृत भारत को कर दूँ मुझमे पुरुषार्थ अपार भरो माँ
मन्त्र महार्णव मन्त्र महोदधि विस्मृत हैं यह ध्यान धरो माँ
छन्द जपे मम मानव तो तुम मन्त्र समान प्रभाव करो माँ
दिव्य अलौकिक बात कहूँ मम लेखन को इस भांति वरो माँ
रचनाकार
डॉ आशुतोष वाजपेयी
ज्योतिषाचार्य
लखनऊ

Views: 432

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on May 28, 2013 at 9:04am

बहुत आभार अशोक जी अब सुधार हो गया है.....पुनः अवलोकन करें 

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 24, 2013 at 8:40am

आदरणीय डॉ. आशुतोष वाजपेयी जी सादर वरदायी माँ को नमन करता  सुन्दर मत्तगयन्द छंद रचा है सादर बहुत बहुत बधाई स्वीकारें. एक जगह टंकन त्रुटी रह गयी है.सादर 

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on May 23, 2013 at 8:41am

thanks you very much respected Arun Sharma ji & respected Laxman prasaad ji

Comment by अरुन 'अनन्त' on May 22, 2013 at 10:54pm

वाह आदरणीय वाह बहुत ही सुन्दर सवैया हृदयस्पर्शी गहन भाव आपकी यह सुन्दर वंदना माँ शारदे पूर्ण करें. इस सुन्दर सवैया हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 22, 2013 at 5:47pm

प्रथम तो ओबीओ मंच पर आपका स्वागत है डॉ आशुतोष वाजपेयी जी | भारत  को जागृत करने का भाव लिए

माँ से वंदना, बहुत सुन्दर है, हार्दिक बधाई स्वीकारे आदरणीय  

 

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on May 21, 2013 at 6:02pm

बहुत बहुत आभार बृजेश जी और विजय जी 

Comment by बृजेश नीरज on May 21, 2013 at 2:35pm

बहुत ही सुन्दर आहवाहन! आदरणीय बधाई आपको!

Comment by विजय मिश्र on May 21, 2013 at 11:55am
"दिव्य अलौकिक बात कहूँ मम लेखन को इस भांति वरो माँ "

भगवती माता ने आपकी याचना सुन लियी है , साधना भी श्रेष्ठ है , इन दो कविताओं में राष्ट्र प्रेम की अद्भुत उद्वेलना है .आप सफल हैं भाई आशुतोषजी . प्रणाम और वंदन .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. रचना बहन, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। भाई अमित जी के सुझाव भी अच्छे हैं।…"
1 hour ago
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"जी भाई  मैं सोच रही थी जिस तरह हम "हाथ" ,"मात ",बात क़वाफ़ी सहीह मानते…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"पाँचवें शेर को यूँ देखें वो 'मुसाफिर' को न भाता तो भला फिर क्योंकर रूप से बढ़ के जो रूह…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. भाई संजय जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. रचना बहन, तर की बंदिश नहीं हो रही। एक तर और दूसरा थर है।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल से मंच का शुभारम्भ करने के लिए बहुत बहुत बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"कर्म किस्मत का भले खोद के बंजर निकला पर वही दुख का ही भण्डार भयंकर निकला।१। * बह गयी मन से गिले…"
6 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार बहुत अच्छा प्रयास तहरी ग़ज़ल का किया आपने बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी की…"
7 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी नमस्कार बहुत ही ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये एक से एक हुए सभी अशआर और गिरह…"
7 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय अमित जी नमस्कार बेहतरीन ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिये मक़्ता गिरह ख़ूब, हर शेर क़ाबिले तारीफ़…"
7 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"2122 1122 1122 22/112 घर से मेले के लिए कौन यूँ सजकर निकलाअपनी चुन्नी में लिए सैकड़ों अख़्तर निकला…"
7 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service