प्रेम तुम्हारी कविता है
और मेरा अहसास
रहते हैं कुछ ख्वाब पिरोए
दोनों दिल के पास
और अधर जब नीरव हंसते
साथ भींगती रात
बिंदिया पर बिखरे पड़े
सोते कुछ जज्बात
ऐसे में कुछ शब्द अचानक
गढ़ लेते कुछ रीत
सच कहता हूं ऐसे ही तो
बनते मेरे गीत
वक्त मिले तो पढ़ना उनको
और लगे जो खास
रख लेना ताबीज समझकर
उनको अपने पास
नहीं जानता किस मुकाम पर
रुक जायेंगें पांव
कहां गगन ये विस्मृत होगा
कहां छले ये छांव
(पूर्णतया मौलिक एवं अप्रकाशित)
Comment
वक्त मिले तो पढ़ना उनको
और लगे जो खास
रख लेना ताबीज समझकर
उनको अपने पास
नहीं जानता किस मुकाम पर
रुक जायेंगें पांव
कहां गगन ये विस्मृत होगा
कहां छले ये छांव........................wah .....shabd shabd .....par rukne ka man karta hai ......bahut bahut sunder rachna hetu bhadhayiyan
आप सबका हार्दिक आभार
रहते हैं कुछ ख्वाब पिरोए
दोनों दिल के पास
प्रेम की सुंदर रचना
सुंदर रचना आदरणीय राजेश जी //////बधाई आपको!
हमेशा की तरह आपकी एक और सुंदर प्रस्तुति . ...प्रेम की सुंदर भावनाओं को मोती की तरह पिरोते हुए आपने दार्शनिक ही ढंग से इसका
अंतिम पंक्ति को विराम दिया है.....
रुक जायेंगें पांव
कहां गगन ये विस्मृत होगा
कहां छले ये छांव..........सादर / कुंती.
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ....बधाई आप को
ऐसे में कुछ शब्द अचानक
गढ़ लेते कुछ रीत
सच कहता हूं ऐसे ही तो
बनते मेरे गीत
अतिसुंदर भाव /हार्दिक बधाई
आदरणीय...उम्दा रचना के लिए शुभकामनाऐं.........................
आ0 राजेश भाई जी, अतिशय सुन्दर भाव भरा गीत । हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर,
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online