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ज़िंदगी किताब ,आइये पढ़ें 

दर्द बे-हिसाब,आइये पढ़ें 

हंसते चेहरों पे जमी गर्द 

आँखों में सैलाब ,आइये पढ़ें 

सिर्फ काँटों की तिजोरी है 

नाम है  गुलाब ,आइये पढ़ें 

चढ़ते सूरज की हिमाकत 

ढक दिए ख्वाब,आइये पढ़ें 

जब अँधेरे से दोस्ती है तो 

रोशनी खराब ,आइये पढ़ें 

इक परिंदे की उड़ान देखो तो 

ज़िंदगी लाजवाब,आइये पढ़ें 
__________प्रो.विश्वम्भर शुक्ल ,लखनऊ 

(मौलिक और अप्रकाशित )

Views: 404

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Comment by बृजेश नीरज on June 21, 2013 at 9:25am

बहुत सुन्दर रचना! मेरी बधाई स्वीकारें!

Comment by Sumit Naithani on June 20, 2013 at 8:53pm

जब अँधेरे से दोस्ती है तो 

रोशनी खराब ,आइये पढ़ें ....अतिसुन्दर

Comment by वेदिका on June 20, 2013 at 8:32pm

बहुत खूब काव्य चित्रण ..

सिर्फ काँटों की तिजोरी है 

नाम है  गुलाब ,आइये पढ़ें 

 
वास्तविकता को आइना दिखाती हुयी रचना ...बधाई आदरणीय 

 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 20, 2013 at 7:03pm

आ0 विश्वम्भर सर जी,    अतिसुन्दर ’इक परिंदे की उड़ान देखो तो,  ज़िंदगी लाजवाब आइये पढ़ें ’  इक ऊंची उड़ान।   हार्दिक  बधाई स्वीकारें।  सादर,

Comment by Meena Pathak on June 20, 2013 at 5:41pm

बेमिशाल रचना .... हार्दिक बधाई 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 20, 2013 at 3:13pm
सुंदर व वास्तविक रचना....शुभकामनाऐ
Comment by coontee mukerji on June 20, 2013 at 2:26pm

जिंदगी की सच्ची तस्वीर खींचती बहुत सुंदर रचना .

Comment by ram shiromani pathak on June 20, 2013 at 11:24am

सुन्दर  चित्रण किया है अपने आदरणीय //हार्दिक बधाई 

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