ये आह पानी ,वो वाह पानी ,
कर गया आखिर तबाह पानी !
कभी बादलों से रही शिकायत ,
जिधर डालिए अब निगाह पानी !
दिखे ऐसे मंजर,उतराती लाशें
उठे दर्द,चीखें,कराह पानी !
जहां ज़िंदगी मांगने को गए थे,
कर के गया सब सियाह पानी !
रहम करनेवाला खुद ही परीशां
माँगी है तुझसे पनाह पानी !
____________प्रो.विश्वम्भर शुक्ल ,लखनऊ
(मौलिक और अप्रकाशित )
Comment
समसामयिक विषय पर सराहनीय प्रयास .......बधाई !
जहां ज़िंदगी मांगने को गए थे,
कर के गया सब सियाह पानी !
रहम करनेवाला खुद ही परीशां
माँगी है तुझसे पनाह पानी !
बहुत ही प्रभावी पंक्तियाँ !
बहुत ही अच्छा प्रयास। एक समसामायिक विषय पर।
आदरणीय इस रचना पर मेरी बधाई स्वीकारें!
इस प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ............... |
हिमाचल और उत्तराखंड मे हुई पानी से हुई तबाही , से आज पूरा देश स्तब्ध है \
यदि कविता मे कुछ विस्तार होता तो ..........
अति सुंदर !
हकिकत को बयाँ करती बहुत सुन्दर रचना /... बधाई
जहां ज़िंदगी मांगने को गए थे,
कर के गया सब सियाह पानी !
रहम करनेवाला खुद ही परीशां
माँगी है तुझसे पनाह पानी !............इससे बड़ी विडम्बना और क्या हो सकती है.
आ0 विश्वम्भर सर जी, बहुत ही सम-सामयिक गजल हुई।
‘दिखे ऐसे मंजर,उतराती लाशें
उठे दर्दएचीखेंएकराह पानी !
जहां ज़िंदगी मांगने को गए थे,
कर के गया सब सियाह पानी !
रहम करनेवाला खुद ही परीशां
माँगी है तुझसे पनाह पानी !‘... असहनीय पीड़ा का सजीव चित्रण। क्या कहूं? आपके मर्म को कोटिशः नमन। सादर,
जहां जिंदगी मांगने को गए थे,
कर के गया सब सियाह पानी !
आदरणीय शुक्ल सर ,बिल्कुल सत्य है वो ना हो तो कष्ट,
और ज्यादा हो तो भी कष्ट ,कैसी त्रासदी है,
जीव कितना असहाय है !
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online