सभे भाई लोगन के प्रणाम,
तिमाही भोजपुरी काव्य प्रतियोगिता के दू गो कड़ी ओबीओ पर संचालित भईल, पहिला कड़ी कुछ निको चलल बाकी दोसरका कड़ी में भोजपुरिया लोगन के उदासीनता ओबीओ प्रबंधन अउरो प्रतियोगिता के प्रायोजक के हतोत्साहित क दिहलस ।
ओबीओ प्रबंधन एह सम्बन्ध में जवन निर्णय लिहले बा ऊ नीचे लिखल जात बा …….
1 - "ओबीओ भोजपुरी काव्य प्रतियोगिता" अंक 2 में कवनो रचना के पुरस्कार योग्य ना पावल गइल, आदरणीय प्रदीप कुशवाहा जी आ आदरणीय बृजेश जी गैर भोजपुरिया भाषी होखलूँ प बढ़ चढ़ के एह आयोजन में हिस्सा लिहलन लोग, ऊ तारीफ़ के जोग बा, प्रबंधन मुक्त कंठ से दूनो लोगन के प्रसंसा करत बा .
2 - भोजपुरिया लोगन के उदासीनता के कारण "ओबीओ भोजपुरी काव्य प्रतियोगिता" अब बंद क दिहल गईल.
3 - "ओबीओ भोजपुरी काव्य प्रतियोगिता" के मंच संचालक सह भोजपुरी साहित्य समूह के प्रबंधक श्री सतीश मापतपुरी जी के निष्क्रियता आ उदासीनता के कारन उहाँ के भोजपुरी साहित्य समूह के दायित्व से मुक्त कइल जात बा.
सादर ।
गणेश जी बागी
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन
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निश्चित तौर पर लोगों की उदासीनता कई अच्छे कदमों को हतोत्साहित करती है।
आदरणीय बाग़ी जी
aage kaa intjaar
milega puruskar
jivn men pahli baar
jaese ho pahla pyar
abhar abhar abhar
कर दिया सब बेकार
हम सबका ई बतिया समझाइये कि अपनी व्यवस्था मा ईनाम दिये मा इतना सोचेला . भोजपुरी राष्ट्र भाषा मा देरी खातिर सरकार का काहे कोसला .
हाहाहाह................
वाह आदरणीय प्रदीप जी की जय हो!
हमार नेता कइसा हो
ई बुढ़उ बाबा जइसा हो!
आज आपने जो फैसला लिया ऐसा ही निर्णय प्राप्त होगा . आपसी चर्चा के और प्रतियोगिता के मध्य पूरी तरह से आश्वश्त थे. स्वरुप क्या होगा ये देखना शेष है.
प्रबंधन मंडल कदापि ये न सोचे कि हम लोग पुरस्कृत नही हुए इसलिए प्रतिक्रिया दे रहे हैं. निर्णय में दिखाई दे रहे कुछ बिंदु इस भाषा के विकास के लिए आज नही तो हमेशा बाधक रहेंगे .
१-प्रतियोगिता में निर्णय निर्धारित समिति द्वारा नहीं लिया गया , स्पष्ट रूप से आदरणीय सतीश जी को प्रबंध मंडल द्वारा हटाना पड़ा.
२- भोजपुरी और गैर भोजपुरी रचनाकार के मध्य भेद सर्वथा अनुचित है . ये भेद निर्णय प्रभावित करता है. मैं व्यक्तिगत रूप से पुरे राष्ट्र को सदेव एक मानता हूँ. किसी प्रकार का भेद किये जाने पर मेरी भावनाएं आहत होती हैं.
कथनी करनी ..
३ - रचना किन परिस्थितियों में भोजपुरी फार्मेट पर ठीक नहीं पायी गयीं. भोजपुरी भाषा जिस रूप में आज समाज में ज्यादा ग्राह्य है उसको आधार लिया गया है .
भोजपुरी भाषा में रचना रचने का फार्मेट क्या है ..चर्चा किया जाना चाहिये
ले दे कर ये कहना है कि मेरा मिशन भारत के साहित्य को मजबूत करना है भोजपुरी प्रतियोगिता भले बंद कर दी जाये पर बगैर पैसे की प्रतियोगिता जारी रखी जाए. धीरे धीरे लोग फिर जुड़ जायेंगे .
जरूरी नहीं किसी के विकास में उन्ही लोगों का योगदान हो जिनका विकास होना है. यदि ऐसा होता तो ऐसा न होता .
सादर अनुरोध है मेरे भाव समझे जाएँ, भाषा नही. प्रतियोगिता फ्री वाली चलाते रहिये.
आदरणीय प्रदीप कुशवाहा जी,
टिप्पणी हेतु आभार,
//aage kaa intjaar
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कर दिया सब बेकार
हम सबका ई बतिया समझाइये कि अपनी व्यवस्था मा ईनाम दिये मा इतना सोचेला . भोजपुरी राष्ट्र भाषा मा देरी खातिर सरकार का काहे कोसला .
हाहाहाह................
वाह आदरणीय प्रदीप जी की जय हो!
हमार नेता कइसा हो
ई बुढ़उ बाबा जइसा हो!//
जहाँ तक मुझे याद है उल्लेखित बातें व्यक्तिगत चैट पर हुई थी जिसे आपने कॉपी कर यहाँ पोस्ट किया है, यह कितना उचित है यह आप खुद समझ सकते हैं क्योंकि आप एक बुजुर्ग सदस्य है ।
//आज आपने जो फैसला लिया ऐसा ही निर्णय प्राप्त होगा . आपसी चर्चा के और प्रतियोगिता के मध्य पूरी तरह से आश्वश्त थे. स्वरुप क्या होगा ये देखना शेष है.//
जिस प्रतियोगिता में केवल दो प्रतिभागी हों (प्रतिभागियों द्वारा प्रस्तुत रचनायें यहाँ देखी जा सकती है) कोई भी संवेदनशील सदस्य समझ सकता हैं कि इस प्रतियोगिता का परिणाम क्या हो सकता है ।
//प्रबंधन मंडल कदापि ये न सोचे कि हम लोग पुरस्कृत नही हुए इसलिए प्रतिक्रिया दे रहे हैं. निर्णय में दिखाई दे रहे कुछ बिंदु इस भाषा के विकास के लिए आज नही तो हमेशा बाधक रहेंगे .//
यह कहने की जरुरत नहीं आदरणीय आशय बिलकुल स्पष्ट है ।
//१-प्रतियोगिता में निर्णय निर्धारित समिति द्वारा नहीं लिया गया , स्पष्ट रूप से आदरणीय सतीश जी को प्रबंध मंडल द्वारा हटाना पड़ा. //
निर्धारित समिति मे केवल आदरणीय सतीश जी ही थे क्या ? तीन सदस्ययी निर्णायक मंडल में यदि एक सदस्य निर्णय न दें तो क्या निर्णय न होगा ? आदरणीय सतीश जी को क्यों हटाना पड़ा कारण दिया हुआ है, कृपया कयास लगाकर भ्रम की स्थिति उत्पन्न न करें ।
//२- भोजपुरी और गैर भोजपुरी रचनाकार के मध्य भेद सर्वथा अनुचित है . ये भेद निर्णय प्रभावित करता है. मैं व्यक्तिगत रूप से पुरे राष्ट्र को सदेव एक मानता हूँ. किसी प्रकार का भेद किये जाने पर मेरी भावनाएं आहत होती हैं.
कथनी करनी ..//
श्रीमान छिछले विचार आपको शोभा नहीं देते, इस मंच पर कभी भेद भाव नहीं होता है, पता नहीं आप आज तक यह बात क्यों नहीं समझ सके,कथनी करनी ............उफ्फ़ , आहत तो मैं हूँ, जो आप जैसे बुजुर्ग सदस्य ऐसा सोचते हैं ।
//रचना किन परिस्थितियों में भोजपुरी फार्मेट पर ठीक नहीं पायी गयीं. भोजपुरी भाषा जिस रूप में आज समाज में ज्यादा ग्राह्य है उसको आधार लिया गया है .//
निर्णायक मंडल के निर्णय के बाद इन बातों के लिए कोई जगह नहीं है, हां मैं यह बताना चाहूँगा कि निम्नलिखित विन्दुओं की कसौटी पर रचनाओं का चयन होता है --
1. प्रतियोगिता हेतु दिये गये शीर्षक के परिप्रेक्ष्य में अथवा दिये गये शीर्षक के अनुसार रचना की प्रासंगिकता
2. रचना में प्रयुक्त शिल्प का निर्वहन और रचना की विधा
3. रचना के कथ्य में वैचारिकता का निर्वहन
4. उक्त रचना में शब्द, शब्द-शुद्धि, शब्द-प्रवाह और शब्द-विन्यास
चौथे विन्दु में आये शब्द-शुद्धि का अर्थ उस शब्द की अक्षरी या हिज्जे दोष मात्र से न हो कर प्रयुक्त शब्द की डिग्री से भी है. जैसे- देह, शरीर, तन वस्तुतः मानव रूपी जीव की काया के ही पर्याय हैं. किन्तु तीनों शब्दों की डिग्री अलग-अलग होती है. जो कुछ तन से निरुपित है, वह देह से भिन्न है. और, शरीर तो एकदम से अलग है, जो जन्म के कारणों का धारक माना जाता है. वैसे इसतरह से हर शब्द के लिए मानक रखना अपार ज्ञान की अपेक्षा करता है, लेकिन इतना अवश्य है कि रचनाओं में शब्दों के चयन, शब्दों की प्रासंगिकता और उनके शुद्ध रूप के प्रति रचनाकार अवश्य सजग रहें.
//बगैर पैसे की प्रतियोगिता जारी रखी जाए. धीरे धीरे लोग फिर जुड़ जायेंगे .//
किनके लिए प्रतियोगिता जारी रखी जाय ? जिस प्रतियोगिता में सिर्फ २ सदस्य सहभागिता देते हों उस प्रतियोगिता को संचालित रखना एक मजाक से बढ़कर अधिक कुछ न होगा ।
भोजपुरी रचना कर्म हेतु "भोजपुरी साहित्य" समूह पहले से उपलब्ध है जिसमे हम सभी भोजपुरी रचना कर्म करते हैं ।
//मेरे भाव समझे जाएँ, भाषा नही.//
भाव सम्प्रेषण का माध्यम भाषा ही है आदरणीय और आपकी भाषा से भाव बिलकुल स्पष्ट आ रहें हैं ।
सादर ।
आदरणीय बाग़ी जी
//जहाँ तक मुझे याद है उल्लेखित बातें व्यक्तिगत चैट पर हुई थी जिसे आपने कॉपी कर यहाँ पोस्ट किया है, यह कितना उचित है यह आप खुद समझ सकते हैं क्योंकि आप एक बुजुर्ग सदस्य है । //
निश्चित तौर पर बुजुर्ग हूँ . और अपनी समझ के अनुसार राष्ट्र का सजग ईमानदार नागरिक .गलती मुझसे भी हो सकती है जैसा आप अपनी यादाश्त के आधार पर कह रहे हैं की चैट से उद्धरण लिया गया है .पर शायद ऐसा नही है.
milega puruskar
jivn men pahli baar
jaese ho pahla pyar
abhar abhar abhar
हम सबका ई बतिया समझाइये कि अपनी व्यवस्था मा ईनाम दिये मा इतना सोचेला . भोजपुरी राष्ट्र भाषा मा देरी खातिर सरकार का काहे कोसला .
हाहाहाह................
वाह आदरणीय प्रदीप जी की जय हो!
हमार नेता कइसा हो
ई बुढ़उ बाबा जइसा हो!//
//aage kaa intjaar
milega puruskar
jivn men pahli baar
jaese ho pahla pyar
abhar abhar abhar
कर दिया सब बेकार
//आज आपने जो फैसला लिया ऐसा ही निर्णय प्राप्त होगा . आपसी चर्चा के और प्रतियोगिता के मध्य पूरी तरह से आश्वश्त थे. स्वरुप क्या होगा ये देखना शेष है.//
जिस प्रतियोगिता में केवल दो प्रतिभागी हों (प्रतिभागियों द्वारा प्रस्तुत रचनायें यहाँ देखी जा सकती है) कोई भी संवेदनशील सदस्य समझ सकता हैं कि इस प्रतियोगिता का परिणाम क्या हो सकता है ।
क्या मैं असंवेदनशील हूँ. इतनी भी समझ नही है मुझे निर्णय अब क्या होगा. क्या अंदाज लगाना और फैसले के आंकलन का अधिकार प्रतिबंधित है.
जहाँ तक यदि पुरूस्कार के संबंध में मेरे लालची होने का अर्थ अब भी निकाला जा रहा हो तो महोदय स्वयं आश्वस्त होंगे कि इसी मंच पर दिये जाने वाले पुरूस्कार को बहुत विलम्ब से काफी कई बार कहे जाने के बाद ही स्वीकारा था. . हंसना हँसाना मेरा स्वभाव है.
//१-प्रतियोगिता में निर्णय निर्धारित समिति द्वारा नहीं लिया गया , स्पष्ट रूप से आदरणीय सतीश जी को प्रबंध मंडल द्वारा हटाना पड़ा. //
निर्धारित समिति मे केवल आदरणीय सतीश जी ही थे क्या ? तीन सदस्ययी निर्णायक मंडल में यदि एक सदस्य निर्णय न दें तो क्या निर्णय न होगा ? आदरणीय सतीश जी को क्यों हटाना पड़ा कारण दिया हुआ है, कृपया कयास लगाकर भ्रम की स्थिति उत्पन्न न करें ।
// आप बेहतर समझते हैं.की निर्णयक समिति एक अध्यक्ष भी होता है . तीन सदस्यों में अध्यक्ष शून्य हो जाये तो निर्णय कैसा. निर्णय की घोषणा के साथ सब कुछ भंग का फैसला देना क्या सन्देश देता है. भंग के निर्णय की प्रतीक्षा की जानी ज्यादा ठीक होती. अब आप कहेंगे प्रबंध मंडल के निर्णय में दखल देने वाले हम कौन होते हैं। फिर देश में घटने वाली घटनाओं पर हम कलम क्यों खोलते हैं. मान्यवर ये मंच मेरा है .मैं भ्रम की स्थिति कदापि उत्पन्न नही कर रहा हूँ, कभी करूँगा भी नही. निष्ठावान सिपाही हूँ.
// १-. तिमाही भोजपुरी काव्य प्रतियोगिता के दू गो कड़ी ओबीओ पर संचालित भईल, पहिला कड़ी कुछ निको चलल बाकी दोसरका कड़ी में भोजपुरिया लोगन के उदासीनता ओबीओ प्रबंधन अउरो प्रतियोगिता के प्रायोजक के हतोत्साहित क दिहलस ।//
2 - भोजपुरिया लोगन के उदासीनता के कारण "ओबीओ भोजपुरी काव्य प्रतियोगिता" अब बंद क दिहल गईल.
महोदय आपका उपरोक्त निर्णय भाषा को विशेष वर्ग का बहुमत न मिलने पर गैर भाषायी में भेद करता नहीं दिखता ?
/२- भोजपुरी और गैर भोजपुरी रचनाकार के मध्य भेद सर्वथा अनुचित है . ये भेद निर्णय प्रभावित करता है. मैं व्यक्तिगत रूप से पुरे राष्ट्र को सदेव एक मानता हूँ. किसी प्रकार का भेद किये जाने पर मेरी भावनाएं आहत होती हैं.
कथनी करनी ..//
श्रीमान छिछले विचार आपको शोभा नहीं देते, इस मंच पर कभी भेद भाव नहीं होता है, पता नहीं आप आज तक यह बात क्यों नहीं समझ सके,कथनी करनी ............उफ्फ़ , आहत तो मैं हूँ, जो आप जैसे बुजुर्ग सदस्य ऐसा सोचते हैं ।
आदरणीय महोदय ,
अदालत आपकी , फैसला आपका
बहुत ही सही रूप में मेरी भावनाओं को लिया गया जिसके प्रती मेरी आने वाली पीढ़ी भी आपकी इस महान उदारता की रिणी रहेंगी
आपने मेरे निम्नांकित सकारात्मक बिन्दुनो को संज्ञान में नही लिया गया. .
भोजपुरी भाषा में रचना रचने का फार्मेट क्या है ..चर्चा किया जाना चाहिये
ले दे कर ये कहना है कि मेरा मिशन भारत के साहित्य को मजबूत करना है भोजपुरी प्रतियोगिता भले बंद कर दी जाये पर बगैर पैसे की प्रतियोगिता जारी रखी जाए. धीरे धीरे लोग फिर जुड़ जायेंगे .
जरूरी नहीं किसी के विकास में उन्ही लोगों का योगदान हो जिनका विकास होना है. यदि ऐसा होता तो ऐसा न होता .
उपरोक्त बिंदु भोजपुरी भाषा के विकास के प्रती मेरी सद्भावना दिखाती है या विरोध.
छिछला की पदवी मुझे सहर्ष स्वीकार है. मेरा डाक पता आपके कार्यालय में भी उपलब्ध है.
आप आहत हुए इसका मुझे व्यक्तिगत दुःख है.इसकी प्रतिपुरती कैसे हो ये तो आप ही बताएँगे मुझे. क्योंकि शायद आहत होने वाले प्रथम पुरुष आप ही होंगे.. जीवन के आखीरी लम्हों की एक और उपलब्धि, वाह.
निर्णयक मंडल के फैसले पर कोई आपत्ति नही की गयी और न कभी करूँगा. तकनीक पक्ष को देखा गया था, उसके निर्णय को नहीं .
एकला चलो, कारवां बन जायेगा, रोम एक दिन में नहीं बना था ... ये मेरे प्रेरणा सूत्र हैं.
अब भी भाषा विकास के प्रति मेरी सदाशयता ही है. मंच पर मेरे लिए किसी के द्वारा कहे गए भाव को बे भाव कभी नही लिया गया है और न ही जीवन पर्यंत लिया जायेगा.
आज भी जो पोस्ट डाली थी उसे चैट पर इस लिए डाला था की जल्दी ध्यान अक्र्ष्ट हो.
सभी को सादर / सनेह अभिवादन.
आदरणीय प्रदीप जी,
निर्णय सोच समझकर ही लिया गया होगा। रचनायें मानकों के अनुरूप नहीं होंगी इसीलिए उन्हें पुरूस्कृत किया जाना उपयुक्त नहीं समझा गया। आदरणीय बागी जी और आदरणीय सौरभ जी ने स्थितियां स्पष्ट की हैं।
प्रतिभागिता पुरूस्कार का मानक नहीं होती।
एक प्रतियोगिता में यदि तीन लोग ही प्रतिभाग करें तो ऐसी प्रतियोगिता का बंद हो जाना ही अच्छा।
मेरा अनुरोध है कि निर्णय को सकारात्मक ढंग से स्वीकारते हुए प्रकरण को यहीं समाप्त कर दिया जाए।
सादर!
हमारा नेता कैसा हो
प्रदीप भइया जैसा हो
जनता नेता के प्रति जरूरत के हिसाब से संबोधन परिवर्तित करती है। :))))))))))))))))
बृजेश जी, ध्यान रहें आदरणीय कुशवाहा जी ने कुछ बाते व्यक्तिगत चैट से कॉपी पेस्ट की है, और हम सभी जानते हैं कि व्यक्तिगत चैट पर हम स्वतंत्र रूप से हँसी मजाक करते है, हमें यह अंदाजा नहीं होता कि सामने वाला उन बातों को सार्वजानिक कर देगा जो सर्वथा अनुचित है ।
आदरणीय बागी जी,
मुझे इस बात का भान नहीं था। मैंने अपनी टिप्पणी सिर्फ मजाक के तौर पर दी थी।
व्यक्तिगत चैट में हम बहुत सी बातें करते हैं जो सार्वजनिक नहीं कर सकते। बहुत सी बातों का निराकरण हम चैट से कर लेते हैं। अपनी नाराजगी भी जाहिर कर लेते हैं। खुशी, मजाक भी। चैट पर ऐसी बातें भी हो जाती हैं जो सार्वजनिक तौर पर पोस्ट करने पर शायद परिणाम गलत आएं या कम से कम संदेश गलत जाएं।
इस प्रतियोगिता का इसके अलावा कुछ और परिणाम नहीं हो सकता था। मैं स्वयं सिर्फ दो ही लोगों की उपस्थिति से मायूस था। जो भी रचनायें आयीं उन पर कोई परिणाम घोषित किया जाना उचित नहीं था।
बहरहाल, आप अन्यथा न लें। इस टिप्पणी से संबंधित प्रकरण को यहीं समाप्त करने का मेरा आग्रह है। यदि इन टिप्पणियों से कोई गलत संदेश गया हो तो मैं क्षमा प्रार्थी हूं।
सादर!
आदरनीय ब्रजेश जी
क्या उक्त टिप्पणी चैट का भाग है या पोस्ट पर अंकित टिप्पणी जो सार्वजानिक है .
यहाँ नेतागीरी कैसी भाई जी.
राष्ट्रिय चेतना जाग्रत करना गलत है क्या.
सादर
आदरणीय प्रदीप जी आपसे सादर अनुरोध है कि इस प्रकरण को यहीं समाप्त समझा जाए।
सादर!
अपेक्षाओं से लोभ .. लोभ से मोह.. मोह से क्रोध .. क्रोध से अशांति .. अशांति से दुर्भावना.. दुर्भावना से संबन्ध विच्छेद .. संबन्ध विच्छेद से दुःख होता है.
सादर अनुरोध है कि जितने पर सब ठिठका है, वहीं सबको रोक दिया जाय.
सादर
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