For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सूखे गुल की दास्ताँ.!

अश्क आँखों में औ
तबस्सुम होठो पे है

सूखे गुल  की दास्ताँ
अब बंद किताबो में है

बीते वक़्त का वो लम्हा
कैद मन की यादों में है

दिल  में दबी है चिंगारी
जलती शमा रातो में है

चुभन है यह विरह की  
दर्द कहाँ अल्फाजों में है

नश्वर होती  है  रूह
प्रेम समर्पण भाव में है

अविरल चलती ये साँसे
रहती जिन्दा तन में है

खेल है यह तकदीर का
डोर खुदा के हाथो में है 

 

शशि  पुरवार

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 464

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on July 5, 2013 at 5:55pm

आपके इस प्रयास पर आपको हार्दिक बधाई!

Comment by Ketan Parmar on July 4, 2013 at 9:09pm

22 22 22 2 ISPE METER RAKHE OR SAJKAR AAYEGI

MAIN BHI SIKH RAHA HU. BHAVISHYA KE LIYE SHUBH KAMNAYEE

Comment by Ketan Parmar on July 4, 2013 at 9:08pm

सूखे गुल  की दास्ताँ
अब बंद किताबो में है

yE SHER BEHR SE BAHAR HAI

ATTI SUNDER RACHNA

Comment by coontee mukerji on July 4, 2013 at 6:13pm

अश्क आँखों में औ
तबस्सुम होठो पे है

सूखे गुल  की दास्ताँ
अब बंद किताबो में है
बहुत सुंदर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 4, 2013 at 5:25pm

प्रस्तुति वस्तुतः उपस्थिति सदृश है.  

इस हेतु आभार

सादर

Comment by shashi purwar on July 4, 2013 at 1:14pm

atendra ji d p mathur ji aapka tahe dil se dhanyavad ,aapne apni pasand ko jahir kiya ,

Comment by Atendra Kumar Singh "Ravi" on July 4, 2013 at 9:43am

चुभन है यह विरह की  
दर्द कहाँ अल्फाजों में है

विरह का दर्द होता ही ऐसा है ......आपके प्रेम के ये अलफ़ाज़ आपकी रचना में दिखती है ....भावपूर्ण रचना बधाई अतेन्द्र की तरफ से

Comment by D P Mathur on July 4, 2013 at 7:29am

नश्वर होती है रूह
प्रेम समर्पण भाव में है
उत्कृष्ट रचना के लिए बधाई !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

दोहा सप्तक. . . . . नजरनजरें मंडी हो गईं, नजर बनी बाजार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार…See More
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२/२१२/२१२/२१२ ****** घाव की बानगी  जब  पुरानी पड़ी याद फिर दुश्मनी की दिलानी पड़ी।१। * झूठ उसका न…See More
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"शुक्रिया आदरणीय। आपने जो टंकित किया है वह है शॉर्ट स्टोरी का दो पृथक शब्दों में हिंदी नाम लघु…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"आदरणीय उसमानी साहब जी, आपकी टिप्पणी से प्रोत्साहन मिला उसके लिए हार्दिक आभार। जो बात आपने कही कि…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"कौन है कसौटी पर? (लघुकथा): विकासशील देश का लोकतंत्र अपने संविधान को छाती से लगाये देश के कौने-कौने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"सादर नमस्कार। हार्दिक स्वागत आदरणीय दयाराम मेठानी साहिब।  आज की महत्वपूर्ण विषय पर गोष्ठी का…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी , सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ.भाई आजी तमाम जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"विषय - आत्म सम्मान शीर्षक - गहरी चोट नीरज एक 14 वर्षीय बालक था। वह शहर के विख्यात वकील धर्म नारायण…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . . .

कुंडलिया. . .चमकी चाँदी  केश  में, कहे उम्र  का खेल । स्याह केश  लौटें  नहीं, खूब   लगाओ  तेल ।…See More
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सादर प्रणाम - सर सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार…"
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपकी लघुकविता का मामला समझ में नहीं आ रहा. आपकी पिछ्ली रचना पर भी मैंने…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service