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खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...

ओपन बुक्स ऑनलाइन के सभी सदस्यों को प्रणाम, बहुत दिनों से मेरे मन मे एक विचार आ रहा था कि एक ऐसा फोरम भी होना चाहिये जिसमे हम लोग अपने सदस्यों की ख़ुशी और गम को नजदीक से महसूस कर सके, इसी बात को ध्यान मे रखकर यह फोरम प्रारंभ किया जा रहा है, जिसमे सदस्य गण एक दूसरे के सुख और दुःख की बातो को यहाँ लिख सकते है और एक दूसरे के सुख दुःख मे शामिल हो सकते है |

धन्यवाद सहित
आप सब का अपना
ADMIN
OBO

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अब मुझे धर्मेन्द्र भाई का कमेन्ट नहीं दिख रहा है .... हा हा हा
लगता है उन्होंने सरेंडर कर दिया  :))))))))))))))))))

वैसे धर्मेन्द्र भाई का शेर मुझे तो"हिन्दवी" का लग रहा था  ... :)))))))))))


मिठाई की बात को डाइवर्ट मत कीजिए। हाँ तो कौन सी मिठाई खिला रहे हैं।

आपने शायद ध्यान नहीं दिया .... मैं पहले ही मथुरा का पेड़ा की बात तय कर चुका हूँ
खाएँगे ???
जब खाना हो तो हिमाचल से इलाहाबाद आते हुए वाया मथुरा आईयेगा और मथुरा में रुक् कर २ किलो पेड़ा ले लीजिएगा .... बैठ कर खाया जाएगा ... सौरभ जी को भी बुला लेंगे
सीधी सी बात है कि आपकी भी किताब आ रही है तो उस पेड़ा का पेमेंट मैं नहीं करूँगा

अब चलता हूँ ...
टाटा

क्या मिठाई का नाम लिया है ! अय हय !! .. ;-))))

मथुरा का पेड़ा.. जो न खाया वो तो सदा पछताया, और जो खाया वो खूब पछताया.. .

हा हा हा हा..

:-))))))))))))))))))))))

//और जो खाया वो खूब पछताया.. .//

खासकर यदि वो पेड़ा रेलवे स्टेशन से खरीदा हुआ हो...  

शुक्रिया ... साझा करने लायक बात लगी तो फेसबुक पर साझा कर ली ... फिर यहाँ भी चेप दिया :)))))))))))))))

बधाई बधाई बधाई !!

शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया !!

धा

ही

धा

न्

वा


:))))))))))))))

बहुत बधाई इस डबल सेंचुरी की आदरणीय श्री वीनस जी ... हमें आप पर गर्व है .. आप ग़ज़लगोई ही नहीं अपनी सरलता और साफगोई के लिए भी बधाई के योग्य है ... आपके लेखों को अपना गुरु मान सीख रहा हूँ ... प्रयास है अच्छा विद्यार्थी बन सकूं ... भाई जी जब पेड़ों का इंतज़ाम हो जाए तो पण्डेयों  में मुझे भी विजय भेजिएगा हम अभी से ही अपना लोटा लिए दक्षिणा और नेवता की बाट जोह रहे हैं :-))) 

आपकी ज़र्रा नवाजिश है ....
हम सभी एक दूसरे से सीख रहे हैं ...
सीखने सिखाने के क्रम में इस मंच के महत्त्व रेखांकित होता है ...
सादर

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