सावनी गीत
सावन क आयल महीनवा हो
हियरा हुलसाईल
चनवा क जईसे चननिया हो
अड.गना उतराईल !
१ – पण्डित पाहुन अगुवा ह आईल
दिन सगुन सभे लागल धराईल
बाबूजी बईठे कगरिया हो
अखिया भरि आईल ! सावन .....................................
२ – पुअरा पलानी से झाके पतईया
मेघ मल्हार गाए झीगुर बजईया
ताल ठोक आयल प॓चईया हो
जरई ह खोसाईल ! सावन ...............................
३ – मोटरी गुलाब लेहले बेला फ़ुलाईल
जूही कामिनी फ़ूले बगिया गदराईल
मह –मह महके अड.गनईया हो
कजरी ह गवाईल ! सावन ..................................
४ – चम से चमक के बिजुरिया लुकाईल
बदरा मे रहि -रहि जोन्हिया अड.जोराईल
चनवा करै मनुहार हो
अन्हरिया घेरि आईल ! सावन ..................................
५ – नदिया उतान भईल जल भरियाईल
गउआ नगर “मञ्जरी “ बुडीयाईल
नईया अस डोलै परनवा हो
लोगवा अकुलाईल ! सावन ................................
नोट : - चन्द्रबिन्दु एवम अनुस्वार चाह कर भी मै टाईप नही कर पाई ! अत:
सुधी पाठकबन्धुओ से निवेदन है कि वैसी जगहो पर स्वविवेक का प्रयोग
कर मुझे कृतार्थ करे ! धन्यवाद !
मौलिक एवम अप्रकाशित
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इस प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ..... |
आहा !! असली माटी के सुगंध आवत बा एह रचना में, भोजपुरिया संस्कार आ संस्कृति में हर महिना के एगो अलगे महत्व होला, वोमे सावन के का कहे के बा , एक से एक गीत आ त्यौहार, बहुत नीमन राउर गीत भईल बा, बधाई सवीकार कईल जाव ।
बहुते नीक ... जियरा जुड़ा गईल पढ़ि के
ढेर के बधाई रउआ के
आदरणीया मंजरी जी. राउर एह गीतरआजु नज़ परल बा हमार .. एह से पहिले त छिमा के दरकार बा.
गीत के भाव आ शब्द चयन बहु्ते ऊँच बा. दिल से बधाई..
अहा..हा..हा..हा...!!!!!....मन के अथाह शांति...मिलल...आ. मंजरी जी...राउर रचना साचो में..रेडियो के ऊ जमाना के याद ताजा करी दिह्लक..जब हम..बाबू..माई के..साथे...बधार में...जात रहनी..गाना...सुनत..रहनी...बहुत निक लागल.
पुअरा पलानी से झाके पतईया
मेघ मल्हार गाए झीगुर बजईया
ताल ठोक आयल प॓चईया हो
जरई ह खोसाईल ! .....................लाजवाब....
नदिया उतान भईल जल भरियाईल
गउआ नगर “मञ्जरी “ बुडीयाईल
नईया अस डोलै परनवा हो
लोगवा अकुलाईल ! .....................बेमिशाल.....
...........................................................................नमन राउर लेखनी के.........!!!!!!!
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