For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल- सारथी || तुम हो कली कश्मीर की ||

तुम हो कली कश्मीर की , कोई फ़ना हो जाएगा 

रब देख ले तुझको अगर , वो भी फ़िदा हो जाएगा /१

कोरा दुपट्टा बांध लो, पतली कमर के खूंट से 

सरकी अगर ये नाज़ से , मौसम खफ़ा हो जाएगा/२

साहिब बहाने से गया, मैं बारहा उसकी गली 

दिख जाये गर शोला बदन , कुछ तो नफा हो जाएगा /३ 

शीशे से नाजुक हुस्न पर, जालिम बड़ी मगरूर है 

दो पल की है ये नाजुकी, फिर सब हवा हो जाएगा /४ 

मुझको सज़ा-ए-मौत दो , शामिल रहा हूँ क़त्ल में 

उनको सुकूँ मिल जाएगी, हक़ भी अदा हो जाएगा/५ 

कोई मुसाफिर भूल कर, जाये उधर तो रोक लो

तफ़सील से समझा उसे, वो गुमशुदा हो जाएगा/६ 

माँ की नजर जो पड़ गई उस पर कभी ईमान से

सच कह रहा हूँ तिफ़्ल भी, कल बादशा हो जाएगा/७ 

भगवान मुझको माफ़ कर, मजबूर हूँ मैं इस कदर

दो जून की रोटी जो दे, मेरा खुदा हो जाएगा/८ 

माने कहाँ गुस्ताख़ दिल, देखे लगाकर टकटकी

नादान है दो पल में ही , सबको पता हो जाएगा/९ 

पैसे के पीछे भागते, इंसान को मत रोकिये

थक जाएगा, फिर हारकर खुद ही जुदा हो जाएगा/१०

शैदाइ सारे हैं जमा , तू सारथी की है ग़ज़ल

घूँघट उठाकर देख लो, सबका भला हो जाएगा/११ 

.........................................................

अरकान : २२१२ २२१२ २२१२ २२१२

सर्वथा मौलिक व अप्रकाशित 
तर्जुमा: फना = मर मिटना ,तफ़सील =विस्तार से ,तिफ़्ल =बच्चा ,शैदाई =चाहने वाले  

Views: 770

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 18, 2013 at 8:38pm

आवश्यक संशोधनों के बाद यह प्रस्तुति सुगढ़ प्रतीत हो रही है.

इस शेर पर अपनी दृष्टि डालें -

कोई मुसाफिर भूल कर, जाये उधर तो रोक लो

तफ़सील से समझा उसे, वो गुमशुदा हो जाएगा/६... .. . शुतुर्गुर्बा का दोष बन रहा दीख रहा है.

शुभेच्छाएँ

Comment by Saarthi Baidyanath on December 7, 2013 at 10:55pm

जनाब  Ayub Khan "BismiL साहिब ..बड़ी मेहरबानी आपकी ! शुक्रिया बहुत बहुत :)

Comment by Saarthi Baidyanath on December 7, 2013 at 10:54pm

माननीया coontee mukerji जी ...आपने उन मिसरों को अंकित किया ..जो मुझे भी अजीज़ है !...बहुत बहुत शुक्रिया प्रतिसाद के लिए ! सादर प्रणाम कर रहा हूँ ! ..:)

Comment by Saarthi Baidyanath on December 7, 2013 at 10:52pm

आदरणीया savitamishra जी और श्रीमती Meena Pathak जी ...आप दोनों देवियों का स्नेह मिला ..आभारी हूँ !..आशीष देते रहिएगा...सादर नमन सहित :) 

Comment by Saarthi Baidyanath on December 7, 2013 at 10:51pm

आदरणीय अरुन शर्मा 'अनन्त' जी , बहुत मेहरबानी साहिब जो अशआर आपको पसंद आये ! मेहनत सफल हो गई ! कुछ चूक हुई है ..उसे मैं सही कर रहा हूँ ...! चंद मिसरों को आपने अंकित किया है ..विशेष आभार उसके लिए ! सादर :)

Comment by Saarthi Baidyanath on December 7, 2013 at 10:48pm

आदरणीय  गिरिराज भंडारी जी ..सर्वप्रथम विनीत नमन करता हूँ, जो ग़ज़ल को, आपकी नजर मिल गई ! बिलकुल वाजिब फरमा रहे हैं आप! गलतियाँ भूलवश हुई हैं और ..मैं अतिशीघ्र इसे सही करने का प्रयत्न करूँगा !

ह्रदय तल से धन्यवाद ज्ञापित कर रहा हूँ इस अमूल्य मार्गदर्शन के लिए ! कोटिशः आभार सहित - सादर :) 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 7, 2013 at 10:38pm

आदरणीय वैद्य नाथ भाई , लाजवाब गज़ल कही है , आपको तहे दिल से बधाई !!!!

शीशे से नाजुक हुस्न पर, जालिम बड़ी मगरूर है 

दो पल की है ये नाजुकी, फिर सब हवा हो जाएगा --- इस शे र के लिये आपको ढेरों दाद !!!!

मुझको सज़ा-ए-मौत दो , शामिल रहा हूँ क़त्ल में 

उनको शुकुं मिल जाएगी तेरा हक़ अदा हो जाएगा/५  -------- ये शे र बे बह्र हो रहा है , पहले मिसरे मे इजाफत की मात्रा शायद गलत है , और दूसरे मिसरे मे - हक़ की मात्रा 1 मानना पड़ रहा है !!! शुक़ुं को  सुकूँ कर लीजियेगा !!!

9 वें शे र  के सानी   - नादान है अभी देखना, सबको पता हो जाएगा ----  की तकतीअ फिर करके देख लीजियेगा !!!!

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 7, 2013 at 5:48pm

भाई सारथी साहिब बहुत ही अच्छी ग़ज़ल हुई है सभी शेर पसंद आये खासकर ये शेर तो बस दिल को छू गया ग़ज़ल पर बधाई स्वीकारें. खासकर इस शेर पर विशेष दाद कुबूल फरमाएं

माँ की नजर जो पड़ गई उस पर कभी ईमान से

सच कह रहा हूँ तिफ़्ल भी कल बादशा हो जाएगा वाह वाह भाई

Comment by savitamishra on December 7, 2013 at 5:07pm

बेहतरीन

Comment by coontee mukerji on December 7, 2013 at 3:38pm

भगवान मुझको माफ़ कर, मजबूर हूँ मैं इस कदर

दो जून की रोटी जो दे, मेरा खुदा हो जाएगा/८ .............बहुत सुंदर बात.भूखे को क्या चाहिये..रोटी.

आदरणीय हार्दिक बधाई.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service