For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अनंग शॆखर छन्द =
===============
कभी डरॆ नहीं कभी मरॆ नहीं सपूत वॊ, प्रचंड  वृष्टि बर्फ और ताप मॆं खड़ॆ रहॆ ॥

हिमाद्रि-तुंग बैठ शीत संग तंग हाल मॆं, सपूत एकता अखण्डता लियॆ अड़ॆ रहॆ ॥
प्रहार रॊज झॆलतॆ अशांति कॆ कुचाल कॆ, सदा निशंक काल-भाल वक्ष पै चढ़ॆ रहॆ ॥
अखंड भारती सुहासिनीं सुभाषिणीं कहॆ, सभी अघॊष युद्ध वीर शान सॆ लड़ॆ रहॆ ॥

 

 
कवि-"राज बुन्दॆली"

17/12/2013

पूर्णत: मौलिक एवं अप्रकाशित रचना,,,,

Views: 3445

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on January 4, 2014 at 3:20pm

Dr.Prachi Singh जी बहुत बहुत धन्यवाद आपका,,,,,,,,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on January 4, 2014 at 3:17pm
Comment by कवि - राज बुन्दॆली on January 4, 2014 at 3:15pm

आदरणीय,,,,, Sanjay Mishra 'Habib' ,,जी,,,,आपने अपना स्नेह दिया दिल से शुक्रगुज़ार  हूं आपका,,,,,,,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on January 4, 2014 at 3:14pm

आदरणीय,,,,,डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव ,,जी,,,,आपने अपना स्नेह दिया दिल से आभारी हूं आपका,,,,,,,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on January 4, 2014 at 3:12pm

आदरणीय,,,,Saurabh Pandey,,,,,,जी,,,,आपके इस स्नेह कॊ,,,,,,नमन ,,,,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on January 3, 2014 at 8:27pm
Comment by कवि - राज बुन्दॆली on January 3, 2014 at 8:26pm

भाई,,,,,अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी इस स्नेह हेतु,,आपका ,,,बहुत बहुत आभार


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 20, 2013 at 12:45pm

देश के वीर सैनिकों को समर्पित बहुत शानदार ऊर्जस्वी रचना 

हार्दिक बधाई आ० राज बुन्देली जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 20, 2013 at 3:34am

मुग्ध मुग्ध मुग्ध .. .. :-)))

बधाई भाईजी..

सादर

Comment by Sanjay Mishra 'Habib' on December 18, 2013 at 6:18pm

बहुत सुन्दर... जोश भरती छंद रचना...

आदरणीय डा गोपाल नारायण जी से सहमत...

सादर बधाई स्वीकारें आ राज बुंदेली जी..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service