For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरे खोये हुये लम्हात के ग़म को,

हकीकत के सीने में दफ़्न,

कुछ इच्छाओं की

उन धुँधली यादों को,

मेरे सपनों की लाशों को,

अब तक ढो रहा हूँ मैं…

 

कई दफे

ज़िन्दगी करीब से गुज़री,

मगर,

मैं ही जी न पाया..

आज मुझे लगता है

मैंने बहुत कुछ खो दिया,

पहले जो खोया है..

उसे याद कर,

और फिर,

उन्हीं यादों में खोकर,

 

एक लम्बा सफर तय किया,

मगर,

आज मुझे लगा

कि मैं वहीं हूँ!

वहीं हूँ जहाँ से चला था……

 

-मौलिक व अप्रकाशित

Views: 878

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 10, 2014 at 8:21pm

आदरणीया डॉ प्राची जी आपके शब्दों से बहुत हौसला मिला है आपका बहुत बहुत शुक्रिया


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 10, 2014 at 10:07am

कई दफे

ज़िन्दगी करीब से गुज़री,

मगर,

मैं ही जी न पाया..

आज मुझे लगता है

मैंने बहुत कुछ खो दिया,

पहले जो खोया है..

उसे याद कर,

और फिर,

उन्हीं यादों में खोकर....................सुन्दर आत्म मंथन करती रचना 

शुभकामनाएं 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 9, 2014 at 9:42pm

बहुत बहुत शुक्रिया आपका स्नेह बना रहे


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 9, 2014 at 12:34am

बधाई.. .

लिखते रहिये.. . शुभ-शुभ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 5, 2014 at 8:46pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी बहुत बहुत धन्यवाद आपका

Comment by annapurna bajpai on January 5, 2014 at 8:22pm

सुंदर रचना , बधाई आपको आ0 शिजू जी । 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 5, 2014 at 8:21pm

आदरणीय बृजेशजी आपका बहुत बहुत धन्यवाद

Comment by बृजेश नीरज on January 4, 2014 at 11:44pm

वाह! गज़ब! बहुत ही सुन्दर रचना! आपको हार्दिक बधाई!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 4, 2014 at 7:48pm

भाई अरुणजी आपका बहुत बहुत शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 4, 2014 at 7:47pm

आदरणीय सुजीत जी आपका आभार

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Sunday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service