आदरणीय साहित्य प्रेमियो,
सादर अभिवादन ।
ओपन बुक्स ऑनलाइन नें इसी माह अपने चार वर्ष पूर्ण कर, पांचवें में प्रवेश किया है. सभी जानते हैं कि लुप्त-प्राय लोकविधा 'कह-मुकरी' को पुनर्जीवित कर मुख्य धारा में लाने का श्रेय ओपन बुक्स ऑनलाइन को ही प्राप्त है. साथ ही इस लालित्यपूर्ण विधा के सममात्रिक समतुकांत स्वरुप को ओबीओ द्वारा ही स्पष्टतः स्थापित किया गया है. अत: निर्णय किया गया है कि इस बार का आयोजन इसी विधा पर ही आधारित हो. .तो आइए मित्रो, उठायें अपनी कलम और इस चुलबुली विधा में दे डालें अपनी सर्वश्रेष्ठ काव्यात्मक अभिव्यक्ति.
"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-42:
विधा: कह-मुकरी (विषय मुक्त)
आयोजन की अवधि- शनिवार 12 अप्रैल 2014 से रविवार 13 अप्रैल 2014 की समाप्ति तक
(यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)
उन सदस्यों के लिए जो कह-मुकरी के आधारभूत नियमों से परिचित नहीं हैं, उनके लिए इस विधा का संक्षिप्त विधान इस लिंक पर उपलब्ध है.
कह-मुकरियों के आधारभूत नियमों के लिए यहाँ क्लिक करें.
अति आवश्यक सूचना :-
.
(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 12 अप्रैल 2014 दिन शनिवार लगते ही खोल दिया जायेगा)
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महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
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मंच संचालिका
डॉo प्राची सिंह
(सदस्य प्रबंधन टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.
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बहुत धन्यवाद सर ! आप महारथियों के बीच कुछ कहने की हिम्मत करना बड़ी बात है ! मेरा डर कम किया आपकी सहजता ने ! :-))))))
आदरणीयAshok Kumar Raktale जी रचना एवं उत्सव में सहभागिता के लिये आपको हार्दिक बधाई
आदरणीय अखंड गहमरी जी सादर, मेरी रचना को समय देने के लिए आपका बहुत -बहुत आभार.
आदरणीय अशोक भाईजी,
सभी रिश्तों को बड़ी खूबसूरती से बाँधा है आपने , कुछ नयापन भी है
मुख चूमें तो मैं शरमाऊं,// ............ इतराऊँ ............. वैसे कोई खास अंतर नहीं है फिर भी
सभी मुकरियों पर मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें अशोक भाई
सादर्
आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, आपने छंद रचनाओं को सराह कर मेरा मान बढाया है. सादर आभार.
एक पवित्र रिश्ते में एक शब्द से ज़रा भी मैलापन आता है तो उसे बदलने में तनिक भी संकोच व्यर्थ है. सादर.
आदरणीय अशोक भाई , बहुत उन्नत कहमुकरियाँ लगीं , आपको बधाइयाँ !!
आदरणीय गिरिराज भंडारी साहब सादर, मेरी रचना को आपका स्नेह मिला मेरा रचना कर्म सार्थक हुआ. सादर आभार.
अच्छी प्रस्तुति!!!
रचनाओं को पसंद करने के लिए आपका दिल से आभार आदरणीय अजीत शर्मा साहब.
पिता के स्नेह वात्सल्य को समर्पित सुन्दर प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई आदरणीय अशोक जी
शरमाऊँ को इतराऊँ कर लेना ज्यादा सही होगा
सादर.
आदरणीया डॉ. प्राची सिंह जी सादर, कह-मुकरियों पर आपकी भावपूर्ण प्रतिक्रया से मेरा रचना कर्म सार्थक हुआ.
मेरी आपसे विनम्र विनती है कृपया मेरी प्रस्तुति के तीसरे छंद में "शरमाऊं" शब्द को "इतराऊं" शब्द से बदल दें. सादर आभार.
यथा संशोधित
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