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अजीत शर्मा 'आकाश'
  • Allahabad, U.P.
  • India
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  • वेदिका
  • Saurabh Pandey

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अजीत शर्मा 'आकाश' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-119
"अच्छी और सधी हुई ग़ज़ल.... गिरह बहुत अच्छी लगायी है आपने !!!"
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"बहुत शुक्रिया, भाई अनीस अरमान जी !!!"
May 23, 2020
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"बहुत शुक्रिया, भाई लक्ष्मण धामी जी !!!"
May 23, 2020
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"धन्यवाद !!!"
May 23, 2020
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"अच्छी ग़ज़ल है, भाई नादिर ख़ान जी !!!"
May 23, 2020
अजीत शर्मा 'आकाश' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-119
"हालात क्यों ग़रीब के बदले नहीं अभी जम्हूरियत को आये ज़माना बहुत हुआ// क्या कहने.... बहुत अच्छा कहा !!!"
May 23, 2020
अजीत शर्मा 'आकाश' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-119
"वाह.... अच्छी ग़ज़़ल कही है आपने !!! आ0 समर कबीर साहब का मार्गदर्शन पटल को उपलब्ध है, यह हमारा सौभाग्य है !!!"
May 23, 2020
अजीत शर्मा 'आकाश' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-119
"बहुत-बहुत शुक्रिया आ0 रचना भाटिया जी !!!"
May 23, 2020
अजीत शर्मा 'आकाश' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-119
"हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत-बहुत आभार, भाई अजय गुप्ता जी !!!"
May 23, 2020
अजीत शर्मा 'आकाश' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-119
"हार्दिक आभार आ0 दयाराम मैथानी जी !!!"
May 23, 2020
अजीत शर्मा 'आकाश' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-119
"आपके आशीर्वचनों के लिए हार्दिक आभारी हूँ, आ0 समर कबीर साहब। पढ़ते समय 'दीवाना' में मात्रा गिराकर दिवाना नहीं पढ़ा जा सकता क्या ?  या 'दिवाना' ही लिखना चाहिए ? सहीह शब्द "दफ़'अ" 21 के बारे में जानकारी नहीं थी…"
May 23, 2020
अजीत शर्मा 'आकाश' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-119
"शिकवे-गिले सुनाना, सताना बहुत हुआ। बाहों में आ भी जाओ, बहाना बहुत हुआ। फिर फूल मुस्कुराये, बहारें जवाँ हुईं मौसम शरीर फिर से दीवाना बहुत हुआ। आँखों में है उदासी, जिगर में भी दर्द है देखे हुए किसी को ज़माना बहुत हुआ। कितनी दफ़ा बतायें सबब हादसे का…"
May 22, 2020

Profile Information

Gender
Male
City State
Allahabad U.P.
Native Place
Etawah
Profession
Service
About me
Kavi-Shair

अजीत शर्मा 'आकाश''s Blog

ग़ज़ल - देख लेना क्रान्ति अपनी रंग लायेगी ज़रूर

ग़ज़ल

 

देख लेना क्रान्ति अपनी रंग लायेगी ज़रूर

ये महा हड़ताल शासन को झुकायेगी ज़रूर

 

देखकर गहरा अंधेरा किसलिए मायूस हो

रात कितनी भी हो लम्बी भोर आयेगी ज़रूर

 

हौसला हालात से लड़ने का होना चाहिए

आयेंगे तूफ़ां तो कश्ती डगमगायेगी ज़रूर

 

अब बग़ावत पर उतर आओ सुनो पूरी तरह

वर्ना ये सत्ता तुम्हें  भी नोंच खायेगी ज़रूर

 

ये हमारी सारी माँगें मान तो ली जायेंगी

हाँ मगर सरकार हमको…

Continue

Posted on November 21, 2013 at 6:30am — 11 Comments

जुम्मन ख़ाँ (व्यंग्य -रचना)

__________________

जुम्मन ख़ाँ

__________________

अब तो थोड़ा सोचो और विचारो जुम्मन ख़ाँ

मेरी मानो अपना हाल सुधारो जुम्मन ख़ाँ .

 

सच्चाई को कब तक ओढ़ो और बिछाओगे

ख़ुदग़र्ज़ी से, मक्कारी से आँख चुराओगे

मुँह में रखकर राम बगल में छुरी नहीं रखते

नीयत कभी किसी की ख़ातिर बुरी नहीं रखते

निश्छल चेहरे पर छाया जो ये भोलापन है

सच मानो जुम्मन ख़ाँ सबसे शातिर दुश्मन है

थोड़ा सा तो डूबो धन-दौलत की चाहत में…

Continue

Posted on October 13, 2013 at 2:30pm — 12 Comments

ग़ज़ल

---------------------------

           ग़ज़ल

---------------------------

कैसा      भाईचारा     जी

रख दो  माल  हमारा  जी .

 

दिल का क्या कहना मानें

दिल  तो  है  आवारा  जी  .

 

शीशा तोड़ा,  क्या तोड़ा ?

तोड़ो  तम की  कारा  जी .

 

माल  अकेले  गपक गये 

तुम  सारे  का  सारा  जी .

 

जाओ,  कूद पड़ो  रण में

दुश्मन ने  ललकारा  जी .

 

पेट भरेगा…

Continue

Posted on October 1, 2013 at 8:00am — 14 Comments

Comment Wall (4 comments)

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At 6:14pm on October 18, 2013, वीनस केसरी said…

WAAH PHOTO LAG GAI :)))))))))

At 11:37pm on August 11, 2013, mrs manjari pandey said…

     धन्यवाद आदरणीय अजीत जी !

At 11:33am on July 11, 2013, वीनस केसरी said…

स्वागत स्वागत हार्दिक स्वागत

At 11:19am on July 11, 2013,
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
said…

आदरणीय अजीत ’आकाश’ भाईजी, आपका इस मंच पर हार्दिक स्वागत है. पूर्ण विश्वास है, इस मंच के साहित्याग्रही आपकी सुखकर रचनाओं का रसास्वादन करेंगे. 

शुभ-शुभ

 
 
 

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