For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शब्द के व्यापार में.. (नवगीत) // --सौरभ

पूछता है द्वार
चौखट से --
कहो, कितना खुलूँ मैं !

सोच ही में लक्ष्य से मिलकर
बजाता जोर ताली
या, अघाया चित्त
लोंदे सा,
पड़ा करता जुगाली.

मान ही को छटपटाता,
सोचता--
कितना तुलूँ मैं !

घन पटे दिन
चीखते हैं -- रे, पड़ा रह तन सिकोड़े..
काम ऐसा क्या किया, पातक !
कि व्रत में रस सपोड़े !

किन्तु, ले शक्कर हृदय में
कुछ बता
कितना घुलूँ मैं !

शब्द के व्यापार में हैं रत
किये का स्वर  
अहं है
इस गगन में राह भूला वो
अटल ध्रुव
जो स्वयं है !

अब मुझे, संसार,
कह आखिर.. .
कहाँ कितना धुलूँ मैं !
*****************
--सौरभ

*****************

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 1075

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 28, 2014 at 11:01pm

आदरणीया गीतिका वेदिकाजी, एक अरसे बाद आपको मंच पर देख कर मन खुश है.

इस रचना और मेरे रचनाकर्म को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 28, 2014 at 10:59pm

//आपके द्वारा अब तक रचे गये नवगीतों में पान, सुपारी के बाद मैं इसे दूसरे नम्बर पर रखूँगा //

आपने बहुत बड़ा कॉम्प्लिमेण्ट दिया है, आदरणीय धर्मेन्द्रजी. ’पान-सुपारी’ कई मायनों में मेरी न केवल दुलारी बल्कि हस्ताक्षर-रचना भी है.

प्रस्तुत रचना को इतना मान देने के लिए पुनः आभार.

सादर

Comment by वेदिका on April 4, 2014 at 1:07pm
आपकी कलम से उद्गामित सादगीयुक्त प्रवाहवती को नमन करती हूँ आ0 सौरभ भैया!
आपकी रचना पढ़कर हमेशा ऐसे लगता है कि आपने अरसे से इधर उधर बिखरे शब्दों को उठाकर उनका उपयोग कर उनको पुन: अस्तित्व में ला दिया हो।
सादर
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 4, 2014 at 12:33pm

आदरणीय सौरभ जी, आपके द्वारा अब तक रचे गये नवगीतों में पान, सुपारी के बाद मैं इसे दूसरे नम्बर पर रखूँगा। हार्दिक बधाई स्वीकारें।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 23, 2014 at 4:28am

सहयोग बना रहे. इसी अपेक्षा के साथ हार्दिक धन्यवाद, जितेन्द्र भाईजी.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 23, 2014 at 4:28am

हार्दिक धन्यवाद, भाई केवल प्रसादजी, रचना आपको प्रभावशाली लगी.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 23, 2014 at 4:27am

आदरणीय आशुतोषजी, आपकी साफ़गोई विस्मित तो करती ही है, तनिक उदास भी करती है कि हम रचनाओं को किस रूप में लेते हैं. कविताओं की विधा कोई हो, उसका मूल इंगितों से ही मुखर होता है. सपाटबयानी कभी कविता नहीं होती. इंगितों को डिकोडिफाइ करने के क्रम में पाठक अपनी तैयारी करता है. ये तैयारियाँ ही पाठक की पहुँच हुआ करती हैं.
आप स्वयं एक संवेदनशील रचनाकार हैं. आपकी रचनाधर्मिता का मैं सम्मान करता हूँ, जिसका एक पहलू पाठक-धर्म भी है.
सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 6, 2014 at 12:56pm

बस यों ही एक विचार आया कि क्यों न प्रस्तुत नवगीत में तनिक परिवर्तन किया जाय.

विश्वास है, इस परिवर्तन पर सुधीजनों की दृष्टि पड़ेगी.. :-))

सादर

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 5, 2014 at 11:25pm

मान ही को छटपटाता,

सोचता-

कितना तुलूँ मैं !

बहुत सुंदर ,मन को बहुत करीब से छू जाते हुए भाव.   बधाई स्वीकारें आदरणीय सौरभ जी

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 5, 2014 at 7:56pm

आ0 सौरभ सर जी,  वाह..//इस गगन में राह भूला वो 
अटल ध्रुव 
जो स्वयं है !//.....बहुत सुन्दर भाव पूर्ण नवगीत। हार्दिक बधार्इ स्वीकारें।

सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम. . . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। रोटी पर अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
38 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
46 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
49 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आदाब।‌ हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब। आपकी उपस्थिति और…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं , हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रेरणादायी छंद हुआ है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आ. भाई शेख सहजाद जी, सादर अभिवादन।सुंदर और प्रेरणादायक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
23 hours ago
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service