For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गजल- चल रही है आँंधियॉं...

गजल- चल रही है आँंधियॉं...
बह्र-- 2122 2122 2122 212

जिन्दगी है आस्मां हर ओर खालीपन चुभे। 
आजकल की दास्तां हर ओर खालीपन चुभे।।

चॉंद, अपनी चॉंदनी रखता नहीं जब पास में,
मेघ-मावस से जहां हर ओर खालीपन चुभे।1

भोर की लाली चहक कर मॉंगती वर खास है,
सॉंझ को लुटती यहां हर ओर खालीपन चुभे।2

प्यार आँंखों में दिलों में दर्द का दरिया बहे,
डूबती कश्ती शमां हर ओर खालीपन चुभे।3

झॉंकते हैं अब झरोखों से सितमगर-हमसफर,
आग से उठता धुआं हर ओर खालीपन चुभें।4

धर्म-'सत्यम' का दिया कब तक जले इस देश में,
चल रही है आँंधियां हर ओर खालीपन चुभे।।5

के0पी0 सत्यम/ मौलिक व अप्रकाशित

Views: 680

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on July 7, 2014 at 6:07pm

बहुत ख़ूब ...इस सुन्दर ग़ज़ल के लिए बधाई 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 7, 2014 at 5:58pm

हार्दिक धन्यवाद भाई केवल जी, आपने मेरे कहे को मान दिया.

//किसी भी पोस्ट पर आपकी टिप्पणी मात्र से ही मन उत्साहित हो जाता है। आपकी उपस्थिति संजीवनी का ही कार्य करती है //

ऐसा अब भी. भाईजी ? हम सब तो इन सबों से अब बहुत आगे निकल गये हैं ..  शुभ-शुभ

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 7, 2014 at 5:48pm

आ0 सौरभ सरजी, सादर प्रणाम!   आपने बिलकुल सही कहा- मुझे 'समां' ही लिखना था। किसी भी पोस्ट पर आपकी टिप्पणी मात्र से ही मन उत्साहित हो जाता है। आपकी उपस्थिति संजीवनी का ही कार्य करती है।  सर जी, आपके आशीष बचनों हेतु आपका बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 7, 2014 at 5:41pm

आ0 जीत भाईजी,  आपको गजल पसन्द आई। मेरे उत्साहवर्धन हेतु आपका बहुत-बहुत आभार।  सादर,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 7, 2014 at 12:16am

वाह वाह ! बढिया ग़ज़ल के लिए दिल से दाद स्वीकारें, भाईजी. डूबती कश्ती के साथ शमां को शायद आप भी समां कहना चाह रहे हों.. . 

बहरहाल, पुनः बधाई !

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 22, 2014 at 10:07am

प्यार आँंखों में दिलों में दर्द का दरिया बहे,
डूबती कश्ती शमां हर ओर खालीपन चुभे......बहुत सुंदर, बधाई आदरणीय केवल जी

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 20, 2014 at 10:35pm

आ0 गुमनाम भाईजी,  आपका हृदयतल से आभार।  सादर,

Comment by gumnaam pithoragarhi on June 20, 2014 at 9:26pm

बहुत खूब..............खूबसूरत गजल .बधाई कबूलें ......................

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 20, 2014 at 6:09pm

आ0  धामी जी, गोपाल भाईजी,  मैं घरेलू कार्यो एवं अवकाश के कारणों से वि-िभन्न महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में उप-िस्थति देने में असमर्थ रहा। अब आपके समक्ष हूँ। आपका हृदयतल से आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 20, 2014 at 5:59pm

आ0   कुन्तीजी,   आपका हृदयतल से आभार।  सादर,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
19 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Monday
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service