For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गीतिका छन्द......पीपल का वृक्ष


सत्य संकल्पों सहित इक बीज बोया था कभी।
ब्रह्म का अवतार हितकर पूजते पीपल सभी।।
चंचला हैं पत्र निश्छल शक्ति शाखा भॉंपते।
छॉंव शीतल भाव भर कर शांति-सुख नित बॉंटते।।1


देव का उपकार पीपल दु:ख दारूण काटता।
सूर्य-शनि से मुक्त करके दीप लौ को साधता।।
वासना दूषित मन: को सत्य का परिणाम दे।
भूत-प्रेतों को शरण रख मुक्ति आठो याम दे।।2


कामना फलती सदा यदि साधना सत्कार हो।
धैर्य-साहस-चेतना गुण शोध का आधार हो।।
हर परि-िस्थति में जिएं पीपल हमारा सार हो।
सिर चढ़े दुश्मन अगर तो धारणा प्रतिकार हो।।3


ज्ञान से परिपूर्ण पीपल स्वर्ग सा सुख भोगता।
मान में, सम्मान में सत्यम- शिवालय शोभता।।
दिव्य नैसर्गिक हवा को पत्र पल-पल हॉकते।
शब्द-सरगम-ताल लय में राग हर-हर बॉचते।।4


के0पी0सत्यम/ मौलिक व अप्रकाशित

Views: 831

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 20, 2014 at 6:08pm

आ0 सौरभ सर जी, सादर प्रणाम!  जी, टंकण की त्रुटि तो मंगल फान्ट में परिवर्तित करने के समय हो जाती है।  ब्रह्म और शक्ति को सही कर दिया है। आपकी सराहना हेतु आपका बहुत-बहुत हार्दिक आभार।   सादर,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 15, 2014 at 2:20am

भाई केवल प्रसादजी, चार छन्द हैं आपके .. सभी चार-चार लाख के.. !
आपके इस उन्नत प्रयास को मैं हृदय की अतल गहराइयों से मान देता हूँ. पीपल वृक्ष का सांगोपांग स्वरूप उभर आया है.

आदरणीय भाई अरुन अनन्तजी द्वारा बताये गये दो शब्द किसी अन्यथा अर्थ के प्रति इशारा न हो कर टंकण त्रुटियों की तरफ़ इशारा हैं. शायद मैं गलत भी होऊँ. परन्तु मुझे यही प्रतीत हुआ है.
आप बृह्म को ब्रह्म तथा शाक्ति को शक्ति कर दें तो समस्या का संभवतः समाधान हो जाये. इसके अलावा आदरणीय अरुन अनन्तभाईजी कुछ और कहना चाहते हों तो मुझ जैसे सामान्य पाठक नहीं समझ पायेंगे.

पुनः इस छन्द के होने पर ढेर सारी बधाइयाँ.
शुभ-शुभ

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 11, 2014 at 7:31pm
आ0 विजय सर भाईजी, गीतिका छन्द की सराहना करने हेतु आपका बहुत-बहुत आभार। सादर,
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 11, 2014 at 7:31pm
आ0 भण्डारी भाईजी, गीतिका छन्द की सराहना करने हेतु आपका बहुत-बहुत आभार। सादर,
Comment by विजय मिश्र on July 8, 2014 at 4:01pm
वाह केवल भाई वाह , क्या सात्विक भाव पिरोया है |

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 7, 2014 at 8:02pm

आदरणीय केवल भाई , बहुत सुंदर गीतिका छंद की रचना की है  ,आपको मेरी दिली बधाइयाँ ॥

ज्ञान से परिपूर्ण पीपल स्वर्ग सा सुख भोगता।
मान में, सम्मान में सत्यम- शिवालय शोभता।।
दिव्य नैसर्गिक हवा को पत्र पल-पल हॉकते।
शब्द-सरगम-ताल लय में राग हर-हर बॉचते।। बहुत सुन्दर , भाई जी अनेकों बधाइयाँ ॥

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 7, 2014 at 6:08pm

आ0 अरून अनन्त भाईजी,   प्रणाम!   भाई जी, आपके 'बृह्म' और 'शक्ति' पर संशय को स्पष्ट करना चाहूंगा। यह दोनों शब्द मेरी जानकारी में पूर्ण सत्य हैं, क्योंकि पीपल के बृक्ष को बृह्म ही मानते है।  और शाखाओं की शक्ति के बल पर दीर्घायु तक खड़े रहने में समर्थ है।  एक बात और है कि पीपल के तने शुष्क होते हैं यदि आप उस पर चढ़ने की कोशिश  करेंगे तो आप धराशाही भी हो सकते हैं।  इन्ही कारणों से मैंने इन शब्दों को प्रयुक्त किया है। भाईजी, यदि आपके मन में कोई और शंका हो तो कृपया स्पष्ट करना चाहें।  आपकी सकारात्मक टिप्पणी से मन उत्साहित है।   आपका बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 7, 2014 at 5:53pm

आ0 लड़ीवाला सरजी,     सादर प्रणाम!   आपकी सकारात्मक टिप्पणी से मन उत्साहित होता है।  सर जी, आपके आशीष बचनों हेतु आपका बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 7, 2014 at 5:53pm

आ0  गोपाल सरजी,       सादर प्रणाम!     आपकी सकारात्मक टिप्पणी से मन उत्साहित होता है।  सर जी, आपके आशीष बचनों हेतु आपका बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 7, 2014 at 5:52pm

आ0 संत लाल  सरजी,       सादर प्रणाम!     आपकी सकारात्मक टिप्पणी से मन उत्साहित होता है।  सर जी, आपके आशीष बचनों हेतु आपका बहुत-बहुत आभार।  सादर,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
17 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service