For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उनका अभिनंदन है जो कुछ कर गुजरते हैं - सुलभ अग्निहोत्री

उनका अभिनंदन है जो कुछ कर गुजरते हैं ।
भाग्य की प्राण-प्रतिष्ठा के हवन में भी
कर्म ही यजमान बनकर होम करते हैं ।

मेरे शब्दों को अभी स्वर की तमन्ना है,
फड़फड़ाते पंख को आकाश बनना है,
वेदना के गर्भ में संकल्प पलता है
हर अमा को चीर कर सूरज निकलता है
आश्वासन आस से परिहास मत करना
आँसुओं से अन्ततः अंगार झरते हैं ।

चेतना की बाँसुरी को स्नेह की सरगम,
भावना को दे नये उद्गम, नये संगम,
ओस बन अन्तःकरण के कुसुम को धो दे
बीज प्राणों में नये उत्साह के बो दे
दोस्त बन संवेदना संजीवनी जिससे
रूह तक पैठे हुये नासूर भरते हैं ।

शक्ति सत्ता में सहज सद्भावना भर दें,
रुँधे कण्ठों को जो बल दे, शब्द दे, स्वर दें,
वे सहज मन की गली में घर बना लेते
सृष्टि के इतिहास को धड़कन नई देते
पत्थरों पर नाम खुदवाने नहीं जाते
जो खरे मन की कसौटी पर उतरते हैं ।

- सुलभ अग्निहोत्री

मौलिक तथा अप्रकाशित

Views: 868

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sulabh Agnihotri on November 23, 2014 at 10:57am

आदरणीय !
मुखड़ा त्रिपदी में क्यों ? इसका कोई उत्तर मेरे पास नहीं हैं सिवाय इसके कि बस हो गया।
प्राण-प्रतिष्ठा रवानी को बाधित नहीं कर रहा है।
‘प्राण-प्रतिष्ठा में भी द्वित्व का वही नियम काम कर रहा है जो आग्रह में करता है।
कहने का तात्पर्य यह कि प्राण-प्रतिष्ठा का सही उच्चारण -- प्राणप्प्रतिष्ठा -- होगा।
.. और सही उच्चारण के साथ रवानी कतई बाधित नहीं हो रही है। उच्चारण में यदि द्वित्व नहीं करेंगे तो रवानी बाधित होगी - पर वह अशुद्ध उच्चारण है।


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 3, 2014 at 4:06pm

गीत निस्संदेह सुन्दर रचा है, लेकिन मुखड़ा त्रिपदी में क्यों आ० सुलभ अग्निहोत्री जी ? इसके इलावा मुखड़े (त्रिपदी) में "प्राण-प्रतिष्ठा" शब्द रवानगी को बाधित भी कर रहा है।

Comment by Sulabh Agnihotri on October 5, 2014 at 1:35pm

बहुत-बहुत आभार आदरणीया  vandana जी !

Comment by Sulabh Agnihotri on October 5, 2014 at 1:35pm

बहुत-बहुत आभार आदरणीय Er. Ganesh Jee "Bagi"  जी !

... किंतु आदरणीया ‘एमिन’ स्तर के सदस्यों से तो मैं रचना के भरपूर पोस्टमार्टम के अपेक्षा करता हूँ।

Comment by Sulabh Agnihotri on October 5, 2014 at 1:34pm

बहुत-बहुत आभार आदरणीया rajesh kumari  जी !

... किंतु आदरणीया ‘एमिन’ स्तर के सदस्यों से तो मैं रचना के भरपूर पोस्टमार्टम के अपेक्षा करता हूँ।

Comment by Sulabh Agnihotri on October 5, 2014 at 1:30pm

बहुत-बहुत आभार जितेन्द्र 'गीत'  जी !

Comment by Sulabh Agnihotri on October 5, 2014 at 1:30pm

बहुत-बहुत आभार सविता जी !

Comment by vandana on October 5, 2014 at 6:34am

आश्वासन आस से परिहास मत करना
आँसुओं से अन्ततः अंगार झरते हैं ।

बहुत शानदार गीत आदरणीय बहुत२ बधाई आपको 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 4, 2014 at 9:00pm

सुन्दर गीत प्रस्तुत हुआ है सुलभ जी, बधाई प्रेषित करता हूँ। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 4, 2014 at 8:10pm

बहुत सुन्दर वाह्ह्ह ,बहुत बहुत बधाई आपको इस शानदार प्रस्तुति के लिए आ० सुलभ जी. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"धन्यवाद"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ऑनलाइन संगोष्ठी एक बढ़िया विचार आदरणीया। "
15 hours ago
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"इस सफ़ल आयोजन हेतु बहुत बहुत बधाई। ओबीओ ज़िंदाबाद!"
22 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"बहुत सुंदर अभी मन में इच्छा जन्मी कि ओबीओ की ऑनलाइन संगोष्ठी भी कर सकते हैं मासिक ईश्वर…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
Sunday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ठीक है "
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"शुक्रिया आ सादर हम जिसे अपना लहू लख़्त-ए-जिगर कहते थे सबसे पहले तो उसी हाथ में खंज़र निकला …"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"लख़्त ए जिगर अपने बच्चे के लिए इस्तेमाल किया जाता है  यहाँ सनम शब्द हटा दें "
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service