For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गजल- वो लफ़्ज लफ़्ज गद्दार रखनी है

2212 122 1222

हर शेर में ये दरकार रखनी है!
वो बेवफा तो हर बार रखनी है!!

अशआर शेर अशआर रखनी है!
वो लफ़्ज लफ़्ज गद्दार रखनी है!!

जब तक वो खुदखुशी कर न ले मुझको!
हर लफ़्ज एक तलवार रखनी है!!

बीमार हूँ तो हँस कर दिखाऊं क्यूं!
ये नज़्म भी तो बीमार रखनी है!!

तू मर अभी नहीं सकता ऐ'राहुल'!
के बात और दो चार रखनी है!!


मौलिक व अप्रकाशित!

Views: 687

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rahul Dangi Panchal on December 16, 2014 at 10:11am
नाम बताने का कष्ट करेंगे
Comment by Rahul Dangi Panchal on December 16, 2014 at 10:10am
आदरणीय गिरीराज जी सादर धन्यवाद पर क्या आप मुझे मेरी इस गजल की बहर का नाम बताने का करेंगे प्लीज !

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 16, 2014 at 9:40am

आदरणीय राहुल भाई , गज़ल का प्रयास अच्छा है , आ. मिथिलेश भाई जी से सहमत हूँ , कई अशआर मे बात साफ नही कह पाये हैं । गज़ल समय चाहती थी  ऐसा लगता है ।

Comment by Rahul Dangi Panchal on December 13, 2014 at 9:23pm
धन्यवाद मिथिलेश जी

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 13, 2014 at 7:32pm

हर शेर में ये दरकार रखनी है!
वो बेवफा तो हर बार रखनी है!! ... कहन स्पष्ट नहीं हो पा रही है 

अशआर शेर अशआर रखनी है!
वो लफ़्ज लफ़्ज गद्दार रखनी है!! इसका मतलब समझ नहीं आया 

अच्छा प्रयास है  बधाई 

Comment by Rahul Dangi Panchal on December 13, 2014 at 10:41am
बहुत बहुत धन्यवाद! श्याम नारायण जी सादर!
Comment by Shyam Narain Verma on December 13, 2014 at 10:27am

बहुत सुंदर गज़ल। बधाई।

Comment by Rahul Dangi Panchal on December 12, 2014 at 10:53pm
बहुत बहुत आभारी हुँ भाई नीरज जी आपका! परन्तु दंगी नहीं दांगी हाहाहा...
Comment by Neeraj Nishchal on December 12, 2014 at 9:58pm
भाई बहुत खूब गज़ल राहुल दंगी जी बधाई ।
Comment by Rahul Dangi Panchal on December 12, 2014 at 9:05pm
गुमनाम जी सादर आभार !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
12 hours ago
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"आ. भाई आजी तमाम जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post काश कहीं ऐसा हो जाता
"आदरणीय अमन सिन्हा जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर। ना तू मेरे बीन रह पाता…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल -- दिनेश कुमार ( दस्तार ही जो सर पे सलामत नहीं रही )
"आदरणीय दिनेश कुमार जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। इस शेर पर…"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service