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आदरणीय राहुल जी हार्दिक बधाई स्वीकार करें अच्छी ग़ज़ल के लिए ।
ये तो बच्चों की लाशे है या रब!
ये तेरी खामुशी के पन्ने हैं!!
ना समझ हो अभी ना समझोगे!
मेरे कागज सभी के पन्ने हैं!!
पूरी गज़ल हेतु बधाई पर जो अच्छा लगा वो पेस्ट कर दिया
आदरणीय राहुल जी आपकी इस रचना पर सार्थक चर्चायेँ हुई हैं, इसके अलावा इस मंच पर गज़ल के शिल्प पर समुचित जानकारी मौजूद है आगे बहुत काम आयेंगी।
बहरहाल इस प्रयास के लिये दाद कुबूल फरमायें
आदरणीय गिरिराजभाईजी, काफ़िया पर चर्चा कर आपने विश्लेषण को पूर्णता दी है. ग़ज़ल लेखन में यह विन्दु वाकई बहुत अहम है. बहुत-बहुत धन्यवाद.
भाईजी, मंच पर फिलवक़्त कुछ अच्छे रचनाकार सदस्य हुए हैं. उनको दिशानिर्देश मिलना हम सभी का सामुहिक दायित्त्व है. अपनी समस्त विवशताओं के बावज़ूद कार्यरत रहना है.
सादर
ये तो बच्चों की लाशे है या रब!
ये तेरी खामुशी के पन्ने हैं!!
मार्मिक अभिव्यक्ति!
बहुत ही सुन्दर रचना
आवश्यक सूचना:-
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