For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्यार का समन्दर हो .....

प्यार का समन्दर हो .....

किसको लिखता
और क्या लिखता
भीड़ थी अपनों की
पर कहीं अपनापन न था
एक दूसरे को देखकर
बस मुस्कुरा भर देना
हाथों से हाथ मिला लेना ही
शायद अपनेपन की सीमा थी
खोखले रिश्ते
बस पल भर के लिए खिल जाते हैं
इन रिश्तों की दिल में
तड़प नहीं होती
यादों का बवण्डर नहीं होता
बस एक खालीपन होता है
न मिलने की चाह होती है
न बिछुड़ने का ग़म होता है
इसलिए ट्रेन छूटने के बाद
मैंने उसे देने के लिए
हाथ में दबाया हुआ प्रेम पत्र
जो मेरी हथेली के पसीने से
गीला हो गया था
जिसके अक्षर
मिलन से पहले ही
पिघल गए थे
उस निष्ठुर पटरी पर
बिना किसी कसक के
मैंने हवा में उड़ जाने के लिए
गिरा दिया
फिर खुद ही
अपने हाल पे मुस्कुरा दिया
और चल दिया
एक सच्चे
रिश्ते की तलाश में
जिसमे अपनेपन की मिठास हो
मिलने की चाह हो
बिछुड़ने का दर्द हो
यादों का बवण्डर हो
प्यार का समन्दर हो

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 670

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on January 22, 2015 at 3:45pm

आदरणीय   pratibha tripathi    जी रचना पर आपकी आत्मीय  प्रशंसा का  हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on January 21, 2015 at 7:36pm

आदरणीय  लक्ष्मण रामानुज लडीवाला  जी रचना पर आपकी गहन प्रशंसात्मक प्रतिक्रिया का तहे दिल से शुक्रिया। 

Comment by Sushil Sarna on January 21, 2015 at 2:16pm

आदरणीय  गिरिराज भंडारी   जी रचना पर आपकी आत्मीय  प्रशंसा का  हार्दिक आभार। 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on January 21, 2015 at 11:41am

मिलने की चाह हो,बिछुड़ने का दर्द हो
यादों का बवण्डर हो,प्यार का समन्दर हो 

ऐसे रिश्ते की तलाश जहां अपनापन हो - बहुत सुंदर बाह्व्पूर्ण रचना के लिए बधाई श्री सुशिल सरना जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 21, 2015 at 10:47am

लाजवाब रचना , सभी की तलाश यही है , एक  सच्चा रिश्ता , जीवित , मशीनी नहीं । बधाइयाँ आ. सुशील भाई ।

Comment by Sushil Sarna on January 20, 2015 at 7:35pm

आदरणीय  Er. Ganesh Jee "Bagi"  जी रचना पर आपकी गहन प्रशंसात्मक प्रतिक्रिया का तहे दिल से शुक्रिया। 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 20, 2015 at 3:36pm

बहुत सुन्दर, रिश्तों को गहराई से देखने का प्रयास रचना को विशिष्ट बना गया, आदरणीय सरना साहब इस अभिव्यक्ति पर ढेरों बधाई.

Comment by Sushil Sarna on January 20, 2015 at 3:00pm

आदरणीय डॉ गोपाल नरायन श्रीवास्तव जी रचना पर आपकी मधुर अभिव्यक्ति का  हार्दिक आभार। आदरणीय हमारी रचना उस पानी के समान है जो जिस प्याले में जाती है उसी का रंग अपना लेती है। मेरी बात छोड़िये और  गौर से सोचिये इसमें कहीं न कहीं आप भी शामिल नज़र आयेंगे। हा हा हा। .... कृपया अन्यथा न लेवें ये आपसी मज़ाक है।  वैसे आपकी इस स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक हार्दिक आभार. 

Comment by Sushil Sarna on January 20, 2015 at 2:55pm

आदरणीय डॉ विजय शंकर  जी रचना पर आपकी आत्मीय  प्रशंसा का  हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on January 20, 2015 at 2:54pm

आदरणीय मिथिलेश वामनकर   जी रचना पर आपकी आत्मीय  अभिव्यक्ति  के लिए आपका हार्दिक आभार। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय निलेश सर ग़ज़ल पर नज़र ए करम का देखिये आदरणीय तीसरे शे'र में सुधार…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"  आदरणीय सुशील सरनाजी, कई तरह के भावों को शाब्दिक करती हुई दोहावली प्रस्तुत हुई…"
2 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . . .

कुंडलिया. . .चमकी चाँदी  केश  में, कहे उमर  का खेल ।स्याह केश  लौटें  नहीं, खूब   लगाओ  तेल ।खूब …See More
3 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
4 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय निलेश सर ग़ज़ल पर इस्लाह करने के लिए सहृदय धन्यवाद और बेहतर हो गये अशआर…"
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. आज़ी तमाम भाई "
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आ. आज़ी भाई मतले के सानी को लयभंग नहीं कहूँगा लेकिन थोडा अटकाव है . चार पहर कट जाएँ अगर जो…"
4 hours ago
Aazi Tamaam commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"बेहद ख़ूबसुरत ग़ज़ल हुई है आदरणीय निलेश सर मतला बेहद पसंद आया बधाई स्वीकारें"
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आ. आज़ी तमाम भाई,अच्छी ग़ज़ल हुई है .. कुछ शेर और बेहतर हो सकते हैं.जैसे  इल्म का अब हाल ये है…"
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आ. सुरेन्द्र भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है बोझ भारी में वाक्य रचना बेढ़ब है ..ऐसे प्रयोग से…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सुरेंदर भाई , अच्छी ग़ज़ल हुई है , हार्दिक बधाई आपको , गुनी जन की बातों का ख्याल कीजियेगा "
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आदरणीय आजी भाई , ख़ूबसूरत ग़ज़ल हुई है , दिली बधाई स्वीकार करें "
6 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service