For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

“मम्मी मैं किटी पार्टी में जा रही हूँ , आप हेमा को कह दो वह विवान को दूध दे देगी ...वैसे भी विवान मेरे पास नहीं उसी के पास रहता है |” अपने लहराते हुए बालों को झटका देते हुए फाल्गुनी ने कहा ||स्टाइल में रहना, फैशनेबल कपड़े पहनना, सहेलियों के बीच अपनी सुन्दरता की प्रशंसा सुनना, यही तो मनपसंद कार्य है फाल्गुनी का | जन्म तो दिया बच्चे को मगर ममता नहीं लुटा पाई |

इसके विपरीत हेमा जो कि अपने से अधिक चिंता करती है घर परिवार की...अपनी जेठानी के पुत्र पर  जान से भी अधिक स्नेह लुटाती है मगर किस्मत देखिये...पन्द्रह साल हो गए शादी को किन्तु  भगवान् ने उसे अभी तक मातृत्व सुख से वंचित कर रखा है | इलाज भी बहुत करवाया मगर डॉक्टर सिर्फ एक ही बात कहते हैं कि ...सब ईश्वर के हाथ में है |

“माँ मेरा ट्रांसफर हो गया है मुझे और फाल्गुनी को मुंबई शिफ्ट होना होगा |” घर के बड़े बेटे ने अपना फैसला सुना दिया | विवान सहित फाल्गुनी अपने पति के साथ नयी दुनिया बसाने चली गई |

विवान के जाने के बाद हेमा बुझी बुझी सी रहने लगी ..किसी से कुछ बात नहीं करती थी..रह रह कर उसे विवान की याद सताती ..खाना पीना सब छोड़ दिया था उसने |

आज अचानक कपड़े सुखाते समय चक्कर खाकर गिर पड़ी थी हेमा ..डॉक्टर के पास चेकअप के लिए ले जाया गया | डॉक्टर ने हेमा के पति सौरभ को अन्दर बुलवाया |

“ बधाई हो आपको ! आप पिता बनने वाले है...सौरभ को अपने कानो पर भरोसा नहीं हुआ इतनी बड़ी ख़ुशी !!

“थैंक यू डॉक्टर !! मैं बयां नहीं कर सकता आपने मुझे कितनी बड़ी ख़ुशी दी है ..मैं अभी हेमा से मिलता हूँ |” कहकर तुरंत वहाँ से जाने को हुआ  |

“अरे सुनिए मि० सौरभ ! ... एक जरुरी बात... डॉक्टर की बात अधूरी छोड़ सौरभ बाहर चला गया |

आज उसके कदम ज़मीन पर नहीं पड़ रहे थे...जल्दी ही हेमा के रूम में पहुँच गया |

वहाँ का दृश्य देख तो वह भोचक्का सा रह गया |पाँच छह नर्सों ने हेमा को पकड़ रखा था ..वह जोर जोर से हँस रही थी .. ..और मारे ख़ुशी के उसकी आँखें फटने सी लगी थी |

“सुनों सब सुनों  !! मैं माँ बनूँगी !!  मेरा भी बच्चा होगा हा हा हा...|” कहकर अपने बाल खीँच रही थी वह |

इतनी बड़ी ख़ुशी बर्दाश्त नहीं कर सकी थी हेमा   | अपना मानसिक संतुलन खो बैठी थी  बेचारी | जिस अधूरी  आस  को पूरा करने के लिए कब  से तरस रही थी , आज वो ख़ुशी नसीब तो हुई मगर...इस .ख़ुशी ने एक माँ को, पागल बना दिया !!

(संशोधित)

डिम्पल गौर 'अनन्या '

( मौलिक और अप्रकाशित )

Views: 734

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डिम्पल गौड़ on February 17, 2015 at 2:45pm

धन्यवाद ...गोपाल मोर्या जी 

Comment by Gopal Maurya on February 17, 2015 at 1:50am

उम्दा ........अत्यंत उम्दा

Comment by डिम्पल गौड़ on February 16, 2015 at 9:30pm

 बहुत बहुत आभार ...श्रीमान जितेन्द्र जी |

Comment by डिम्पल गौड़ on February 16, 2015 at 9:27pm

सटीक प्रतिक्रिया के लिए आपका बहुत बहुत  आभार श्रीमान शुभ्रांशु पाण्डेय जी |

Comment by डिम्पल गौड़ on February 16, 2015 at 9:25pm

धन्यवाद आदरणीय हरी दर्शन दुबे जी |

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 15, 2015 at 6:28pm

बहुत सुंदर कहानी, आदरणीया डिम्पल जी. हार्दिक बधाई


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 15, 2015 at 3:01pm

देवरानी कौन, जेठानी कौन ? भ्रम पैदा होता है. अच्छी कथा पर बधाई आदरणीया डिम्पल जी.

Comment by Shubhranshu Pandey on February 15, 2015 at 11:26am

आदरणीया डिम्पल जी, सुन्दर कथा है. 

एक दूसरे से सम्बन्धों को बताने पर एक बार फ़िर ध्यान दें.

सादर.

 

Comment by Hari Prakash Dubey on February 15, 2015 at 10:53am

" ठीक है आपके डॉक्टर विजय शंकर जी को लिखे उत्तर से / कमेंट से समझ गया ! सादर 

Comment by Hari Prakash Dubey on February 15, 2015 at 10:49am

आदरणीया डिम्पल गौर 'अनन्या'  ji सुन्दर रचना , हार्दिक बधाई , पर कहानी में अंतिम पड़ाव पर ये twist क्यों ? सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service