For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-56

परम आत्मीय स्वजन,

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के 56 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा -ए-तरह  मशहूर शायर जनाब कैफ भोपाली साहब की ग़ज़ल से लिया गया है | पेश है मिसरा ए- तरह ....

 

"दिलों के खेल में खुद्दारियाँ नहीं चलतीं "

1212  1122  1212   22

मुफाइलुन फइलातुन मुफाइलुन फेलुन/फइलुन

(बह्र: बह्र मुजतस मुसम्मन् मख्बून मक्सूर)
रदीफ़ :- नहीं चलतीं 
काफिया :- आरियाँ (खुद्दरियाँ, दुश्वारियां, तैय्यारियाँ आदि )

 

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 27 फरवरी  दिन शुक्रवार लगते ही हो जाएगी और दिनांक 28 फरवरी  दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

नियम एवं शर्तें:-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |
  • एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |
  • तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |
  • ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |
  • ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 27 फरवरी  दिन शुक्रवार  लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन
बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.


मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह 
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 13681

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदेश नहीं हुजुर, अनुरोध किया था :-)

.
वो जिसकी शाख से हत्थे नहीं बना करते 
उसी शजर पे कभी आरियाँ नहीं चलतीं   
.
गुरूर छोड़ करो अब सुरूर की बातें   
हिकारतों से कभी यारियाँ नहीं चलतीं 
.
गुलों से इश्क़ अगर, बादलों से बात करो 
बरसती आग में फुलवारियाँ नहीं चलतीं 
सादर नमन  आदरणीय योगराज सर आपकी लेखनी को 

आपकी सराहना का ह्रदयतल से आभार आ० वंदना जी।

आदरणीय योगराज सर, मुशायरों में आपकी टिप्पणियाँ देख पाया था. ग़ज़ल देखकर मुग्ध हो गया. शेर-दर-शेर दाद कुबूल फरमाएं.

वो जिसकी शाख से हत्थे नहीं बना करते 
उसी शजर पे कभी आरियाँ नहीं चलतीं   .............. कमाल का शेर हुआ है ...  बड़ा शेर ...
गिरह का शेर ...वाह वाह .. कितनी सहजता से गिरह लगा दी आपने 
दिलो के खेल में दिलदारियाँ ही चलती है  
दिलों के खेल में खुद्दारियाँ नहीं चलतीं
इस बेहतरीन उम्दा और मुक्कमल ग़ज़ल के लिए बधाई निवेदित है. नमन 

भाई मिथिलेश वामनकर जी, आपको मेरा प्रयास पसंद आया यह जानकार बहुत प्रसन्नता हुई, हार्दिक आभार स्वीकारें।

वो जिसकी शाख से हत्थे नहीं बना करते
उसी शजर पे कभी आरियाँ नहीं चलतीं .....बहुत अच्छा शे'र
गुलों से इश्क़ अगर, बादलों से बात करो
बरसती आग में फुलवारियाँ नहीं चलतीं ... वाह वाह

कोई तो हाथ यक़ीनन लगे पसे मंज़र
बगैर पाँव तो चिंगारियाँ नहीं चलतीं...लाजवाब कहन
गिरह के शे'र का भी कमाल है। उस्तादाना ग़ज़ल के लिए दिल से मेरी दाद कबूल कीजिए आदरणीय योगराज सर जी। वाह

आपकी मुक्तकंठ प्रशंसा ने दिल जीत लिया भाई दिनेश कुमार जी, हार्दिक आभार स्वीकारें।

आदरणीय गुरुदेव, सभी अशआर एक से बढ़कर एक लगें, किन्तु आपसे यह शेर निकलना ......

गुलों से इश्क़ अगर, बादलों से बात करो 
बरसती आग में फुलवारियाँ नहीं चलतीं 
वाह वाह, मन मुग्ध कर गया, बहुत खूब, अब जाके गुजरा ज़माना याद आया :-) जय हो, जय हो. 
बहुत बहुत बधाई.

आपकी ज़र्रानवाज़ी का बेहद शुक्रिया भाई गणेश बाग़ी जी। 

वो जिसकी शाख से हत्थे नहीं बना करते
उसी शजर पे कभी आरियाँ नहीं चलतीं
.
गुरूर छोड़ करो अब सुरूर की बातें
हिकारतों से कभी यारियाँ नहीं चलतीं

.

वाह्ह्ह्ह वाह्ह्ह्ह्ह ...बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल हुई है जनाब योगराज प्रभाकर साहिब.. एक से एक उम्दा अशआर ... ये दो नगीने बहुत ही पसंद आये... और गिरह का तो कहना ही क्या... शानदार....

बहुत बहुत मुबारकबादें एक बेहतरीन ग़ज़ल के लिए..

आप ने पीठ थपथपा दी तो मुझे हौसला मिला, आपकी फ़राख़दिली और ज़र्रानवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ आ० रौशन साहिब। 

आदरणीय प्रभाकर जी, एक अरसे के बाद यहाँ आना हुआ है.. आपकी ये ग़ज़ल पढ़कर दिल बाग़ बाग़ हो गया! एक से बढ़कर एक शेर, और काफी कसावदार! जिस शेर ने हतप्रभ कर दिया और शिद्दत से सोचने के लिए मजबूर किया .....वो ये है....

//वो जिसकी शाख से हत्थे नहीं बना करते 

उसी शजर पे कभी आरियाँ नहीं चलतीं//

एक प्रौढ़ सोच और अनुभव के बिना ये शेर कहना ही मुमकिन नहीं है... दिली दाद कुबूल कीजिये प्रभु जी....

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय निलेश जी, अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें। "
1 minute ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अजय जी, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है। बधाई स्वीकार करें"
4 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय निलेश जी, बहुत धन्यवाद"
11 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अजय जी, बहुत धन्यवाद"
12 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय निलेश जी, बहुत धन्यवाद"
13 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय आज़ी जी, बहुत धन्यवाद"
13 minutes ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . संबंध

दोहा सप्तक. . . . संबंधपति-पत्नी के मध्य क्यों ,बढ़ने लगे तलाक ।थोड़े से टकराव में, रिश्ते होते खाक…See More
1 hour ago
मनोज अहसास replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"अगर ये ग़ज़ल बेकार है आदरणीय अमित जी तो कुछ सुझाव दे दीजिए आप कुछ सुझाव दे दीजिए सादर"
1 hour ago
मनोज अहसास replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"हार्दिक आभार आदरणीय सादर"
1 hour ago
मनोज अहसास replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"हार्दिक आभार आदरणीय सादर"
1 hour ago
मनोज अहसास replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"हार्दिक आभार आदरणीय सादर"
1 hour ago
मनोज अहसास replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"हार्दिक आभार आदरणीय सादर"
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service