For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल---तू आज नहीं आयी तो जान ये जानी है

221 1222 221 1222

तू आज नहीं आयी तो जान ये जानी है
मैं रोज कहूँ ऐसा ये बात पुरानी है
......
कुछ वादे तेरे झूठे कुछ तोड दिये मैंने
ये कैसी मुहब्बत है ये कैसी कहानी है
...
बस चाँद सितारे हैं जो साथ जगे मेरे 
उनके ही सहारे से अब याद भुलानी है
..
जिस रोज उतर जाये उस रोज चले आना
कुछ दिन ही चलेगा बस ये जोश जवानी है
....
सच यार कहूँ दिल से हैं  बात ये सब झूठी
तेरा मैं  दिवाना हूँ तू मेरी दिवानी है
--------------
उमेश कटारा 
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 757

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by umesh katara on March 25, 2015 at 8:42am

आदरणीय Nilesh Shevgaonkar जी आभार

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 25, 2015 at 8:14am

बहुत खूब ..वाह 

Comment by umesh katara on March 25, 2015 at 7:15am

आदरणीय JAWAHAR LAL SINGH जी आभार

Comment by umesh katara on March 25, 2015 at 7:15am

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 24, 2015 at 11:16pm

आदरणीय उमेश भाई जी , बेहतरीन ग़ज़ल हुई है , क्या बात है , हार्दिक बधाइयाँ आपको

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on March 24, 2015 at 10:25pm

बेहतरीन गजल!

Comment by umesh katara on March 24, 2015 at 8:54pm

आदरणीय  Samar kabeerजी आभार

Comment by Samar kabeer on March 24, 2015 at 5:02pm
जनाब उमेश कटारा जी,आदाब,सुन्दर ग़ज़ल के लिये बधाई स्वीकार करें,इस मिसरे की तरफ़ आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूँगा :-

"उनके ही सहारे से तेरी याद भुलानी है"

बह्र से ख़ारिज हो रहा है,देख लीजिएगा ,कृपया अन्यथा न लें |
Comment by umesh katara on March 23, 2015 at 9:26pm

आदरणीय somesh kumar जी आभार

Comment by somesh kumar on March 23, 2015 at 8:44pm

जिस रोज उतर जाये उस रोज चले आना
कुछ दिन ही चलेगा बस ये जोश जवानी 

जब कोई तुम्हारा हृदय तोड़ दे गीत की याद आ गई 

तू आज नहीं आयी तो जान ये जानी है
मैं रोज कहूँ ऐसा ये बात पुरानी है-

आज के प्यार करने वालों का 90 % इसमें फीट हो जाए 

बधाई !भाईजी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"प्रस्तुति को आपने अनुमोदित किया, आपका हार्दिक आभार, आदरणीय रवि…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
Saturday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
Saturday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service