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भेद भाव की बुनियाद अनजाने ही पड़ जाती है और पता भी नही चल पता ,बहुत अच्छी लघुकथा हुई है आ राजेश कुमारी जी
मीना पाण्डेय जी ,लघु कथा पर आपके अनुमोदन हेतु दिल से बहुत बहुत आभार
आदरणीय राजेश जी, बहुत ही पीडा दायक लघुकथा,बधाई!हमारे समाज में जब भी उत्तराधिकार की बात आती है तो केवल बेटे ही याद आते हैं चाहे बेटियां किसी भी बुलंदी को छूलें!
आ० तेजवीर सिंह जी,यही तो हमारे समाज की विडंबना है न जाने ये भेद कब खत्म होगा लघु कथा के मर्म पर अपने विचार रखने के लिए दिल से आभार आपका सादर.
आदरणीया राजेशजी
पंडितजी ही परिस्थिति को सँभाल सकते थे, दोनों बच्चों के हाथ में कलावा बाँधकर । लेकिन सच तो ये है कि दादी और पंडितजी दोनों तो उसी पीढ़ी से हैं।
हार्दिक बधाई इस सुंदर कथा के लिए।
आ० अखिलेश जी,लघु कथा के अनुमोदन हेतु दिल से आभार आपका |
घर के बड़े ही जाने अनजाने बच्चों में अलगाव की भावना को प्रेरित करने के लिए उत्तरदाई होते हैं । छोटी सी बात क्या असर डालेगी बालमन पर , यह तो सोच भी नहीं पाते। बहुत सुन्दर लघुकथा , वाकई में लघु पर बात बहुत बड़ी कह दी। बधाई आ. राजेश कुमारी जी।
आ० डॉ० नीरज शर्मा जी,आपको लघु कथा पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हो गया दिल से आभार आपका |
आदरणीया राजेश दीदी, बहुत ही सशक्त लघुकथा हुई है. बेटियों से किया जाने वाला दोहरा व्यवहार एक छः वर्षीय बालिका के माध्यम से अभिव्यक्त कर आपने उस मूल धारणा को रेखांकित किया है जिसके कारण बेटियों के मन में इस दोगले व्यवहार को समझने की संवेदना जन्म लेती है और समय के साथ इस बुनियाद पर दोहरे व्यवहार की बेमन स्वीकार्यता की इमारत बुलंद होती है. आपने बाल-मन की जो पैठ ली है, एक बेटी का अनुभव कलम से बोल रहा है. घर के बड़ों को सदैव ये भ्रम होता है कि बच्चा है क्या समझेगा. लेकिन जितनी संवेदना पर पकड़ बच्चों की होती शायद ही किसी की हो, बशर्ते संवेदनाएं क्लिष्ट और संश्लिष्ट परिस्थियों से उपजी न हो. आपने इस लघुकथा के माध्यम से क्या कहना है, कैसे कहना है, क्यों कहना है और कितनी शिद्दत से कहना है को स्पष्ट किया है. लेकिन यह भी अवश्य है कि लघुकथा कल्पना की छौंक के साथ थोड़ा सा विस्तार चाहती है. इस सशक्त कथानक की प्रस्तुति पर आपको बहुत बहुत बधाई.
मिथिलेश भैया,लघु कथा के मर्म तक पँहुच कर दी गई प्रतिक्रिया एक संवेदनशील हृदय वाले पाठक को सामने ला रही रही है
मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से प्रभूत आभार.
मेरे कहे के अनुमोदन के लिए हार्दिक आभार दीदी ...
प्रदत विषय को सार्थक करती इस मार्मिक प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय राजेश कुमारी जी।
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