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आदरणीय नीता जी, आपकी टिप्पणी इस लघुकथा को सार्थक कर गयी, बहुत बहुत आभार.
आद0 गणेश जी बागी जी, कमाल की लगुकथा पेश की, खास करके इस का अंत प्रभावशाली रहा
आभार आदरणीय मोहन बेगोवाल जी.
आदरणीय बागी सर, बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है. इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई निवेदित है. सादर
धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी. आपकी प्रतिक्रिया सदैव प्रोत्साहित करती है.
वाह सर, गजब की पंच लाइन और बहुत बढ़िया रचना कही है आपने| बधाई स्वीकार करें|
आदरणीय चंद्रेश जी, उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत आभार.
आदरणीय गणेश भाईजी
सुंदर कथा , अंत कमाल का, पुत्र और भाई दोनों रूप में एक आदर्श है मोहन
हार्दिक बधाई स्वीकार करें
आ. बागी जी. गांव की प्रोपर्टी से बुजर्गो का भावनात्मक लगाव रहता है. उन्हे बेचना उनके लीऐ दुखद रहता है.ईस सुन्दर लघु कथा के लिऐ बधाई स्वीकार करे.
सराहना युक्त प्रतिक्रिया हेतु दिल से आभार आदरणीय मदनलाल जी.
आदरणीय अखिलेश भाई साहब, आपकी उत्साहवर्धन करती टिप्पणी हेतु आभार.
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